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समृद्धि उप्र: यूपी में सरकारी बसों की बदली चाल, बस अड्डों पर बनेंगे होटल, मॉल

निगम अधिकारियों का कहना है कि अनुबंधित बसें आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और राजधानी लखनऊ से चलाई जाएंगी

Last Updated- July 03, 2023 | 12:01 AM IST
Samriddhi UP: Prosperity UP: Changed speed of government buses in UP, hotels, malls will be built at bus stands
Business Standard

उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की बसें और बस स्टेशन किसी जमाने में अपनी खस्ता हालत के लिए कुख्यात थे। मगर यह सब अब गुजरे जमाने की बात हो रही है। कुछ अरसा बाद शायद आपको उत्तर प्रदेश रोडवेज के बस अड्डे देखकर अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं होगा क्योंकि उन्हें तेजी से नया रंग रूप देकर नए जमाने के मुताबिक बनाया जा रहा है। निगम के दशकों पुराने जर्जर बस स्टेशनों को आधुनिक मॉल की तर्ज पर विकसित करने की कवायद चल रही है और जमाने पहले खरीदी गई खटारा बसों की जगह आरामदेह बसें चलाई जा रही हैं।

उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की पहल पर 23 सरकारी बस स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा, जिसके लिए निजी क्षेत्र की मदद ली जाएगी। सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इनमें से 5 बस स्टेशनों के विकास के लिए निजी कंपनी का चयन किया जा चुका है और 18 के लिए एक बार फिर निविदा मंगाई जाएंगी। इन बस स्टेशनों को सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) के आधार पर विकसित किया जाएगा। इस बारे में निगम के प्रस्ताव को इसी महीने मंत्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी भी मिल गई।

पीपीपी मॉडल के जरिये इन बस स्टेशनों पर कई ऐसी सुविधाएं होंगी, जो आम तौर पर बस अड्डों पर नजर नहीं आतीं मसलन यात्रियों के ठहरने के लिए वातानुकूलित लाउंज, रेस्टोरेंट, शॉपिंग मॉल और होटल। नई शक्लोसूरत वाले इन स्टेशनों पर पानी के लिए किऑस्क, बैंकों के एटीएम और मनोरंजन के लिए थिएटर बनाने की भी योजना है। राजधानी लखनऊ में आलमबाग अंतरराज्यीय बस स्टेशन कुछ अरसा पहले इसी तरह विकसित किया गया था। अब गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, प्रयागराज समेत कई शहरों में इसी तर्ज पर बस स्टेशन बनेंगे।

नई बसों की आमद

बस अड्डे ही नहीं बसों की शक्ल भी पूरी तरह बदली जा रही है। निगम ने बड़े पैमाने पर नई बसें चलाने का फैसला किया है। राज्य परिवहन निगम की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर इसी साल जून में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 100 नई बसें इसके बेड़े में शामिल की हैं। इन बसों को राजधानी एक्सप्रेस सेवा का नाम दिया है और इन्हें विभिन्न जिला मुख्यालयों से दिल्ली के लिए चलाया जा रहा है। नई बसों में 93 दिल्ली तक चलेंगी और बाकी सात बसें प्रदेश के भीतर विभिन्न जिलों के बीच चलेंगी।

पूरे प्रदेश को राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जोड़ने की मुहिम तेजी से चलाई जा रही है। प्रदेश के सभी 75 जिलों को बस सेवा के जरिये देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ा गया है। योजना के मुताबिक प्रदेश के कई प्रमुख शहरों से रोजाना दो-दो बसें दिल्ली के लिए चलाई जाएंगी। सरकार ने इससे पहले प्रदेश के सभी जिलों को राजधानी लखनऊ से जोड़ने वाली बसें शुरू की थीं। कई बड़े जिलों से लखनऊ के लिए वातानुकूलित बस सेवा भी शुरू की गई है।

राजधानी एक्सप्रेस का जिक्र करते हुए परिवहन मंत्री ने बताया कि इसके नाम से कोई यह न सोच ले कि किराया भारीभरकम वसूला जाएगा। जनता के कल्याण के लिए काम करने वाली प्रदेश सरकार ने इन बसों का किराया सामान्य बसों के मुकाबले 10 फीसदी ही अधिक रखा गया है। मगर ये सामान्य बसों की तुलना में कम स्थानों पर रुकेंगी। मंत्री ने बताया कि दिल्ली सेवा की बसें दूसरी बसों से तेज चलेंगी और कम समय में ही मुसाफिरों को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचा देंगी।

बढ़ गई कमाई

सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के छह साल के कार्यकाल में प्रदेश में 2,000 नई बसें चलाई गई हैं, जिनके कारण निगम मुनाफे में आ गया है। उन्होंने बताया कि पहले निगम को रोजाना 12-13 करोड़ रुपये की आय होती थी। मगर अब आय का आंकड़ा बढ़कर 18 से 21 करोड़ रुपये रोजाना हो गया है।

नई बसें शुरू करते समय लंबी दूरी मुसाफिरों की सुविधा का भी ध्यान निगम रख रहा है। पड़ोसी राज्यों को जाने वाली सरकारी बसों में स्लीपर की सुविधा भी दी जा रही है। निगम ने इसके लिए निजी कंपनियों को ठेके देना शुरू कर दिया है। पड़ोसी राज्यों के लिए अनुबंधित बसों की सेवा ली जा रही है। सिंह ने बताया कि निजी बसों के साथ करार के लिए निगम अधिकारियों ने बड़ी योजना तैयार की है। इसके तहत 100 से अधिक बसों के साथ अनुबंध किया जाएगा। इनमें करीब 40 फीसदी बसें स्लीपर सुविधा के साथ होंगी। उन्होंने बताया कि इस योजना को जल्द ही अमल में लाया जाएगा ताकि लंबी दूरी की यात्रा करने वालों को ज्यादा सहूलियत मिल सकें।

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निगम अधिकारियों का कहना है कि अनुबंधित बसें आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर और राजधानी लखनऊ से चलाई जाएंगी। इन बसों से यात्रियों को दिल्ली, उत्तराखंड, राजस्थान व मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों तक जाने का मौका मिलेगा। योजना के मुताबिक इन बसों में निगम के चालक नहीं होंगे। उनके बजाय निजी कंपनी के चालक ही बस चलाएंगे। मगर परिचालक निगम के ही रखे जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि देश की बड़ी और प्रतिष्ठित ट्रैवल एजेंसियों से संपर्क कर बसों का अनुबंध करने की योजना है।

फिलहाल परिवहन निगम दूसरे राज्यों के लिए सीमित संख्या में बसें चला रहा है। सरकारी बसों की हालत बेहतर की जा रही है और संख्या भी बढ़ाई जा रही है मगर आज की स्थिति में अंतरराज्यीय बसें बढ़ा पाना मुमकिन नहीं है। सरकारी बसें न चलने या कम चलने के कारण इन राज्यों के लिए निजी ट्रैवल एजेंसियां बड़े पैमाने पर बसें चलाती हैं। ट्रेनों में भारी भीड़ देखकर या आपात स्थिति में ट्रेन का टिकट नहीं मिल पाने पर यात्रियों को मजबूरी में इन्हीं बसों से सफर करना पड़ता है। एजेंसियों की ये बसें मनमाना किराया वसूलती हैं और अक्सर यात्रियों को आरामदेह सफर भी नहीं मिल पाता। निजी बसों के साथ अनुबंध करने का यह भी कारण है।

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बड़ी तादाद में बसें ठेके पर लेने के बाद निगम हर राज्य के लिए उत्तर प्रदेश से कम से कम आधा दर्जन बसें चला देगा। इनमें यात्रियों को निजी बसों के मुकाबले कम किराया देना पड़ेगा। दिल्ली, देहरादून और जयपुर के लिए निगम ठेके पर वॉल्वो बसें पहले ही चला रहा है मगर इनकी संख्या अभी काफी कम है।

First Published - July 2, 2023 | 9:14 PM IST

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