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खरीदारों की कमी और लागत बढऩे से परेशान मुरादाबाद के लघु उद्योग

Last Updated- December 12, 2022 | 2:51 AM IST

उत्तर प्रदेश के ‘पीतल शहर’ के नाम से मशहूर मुरादाबाद से सटी एक बस्ती हुसैनपुर हमीर में 40 साल के शमशेर अहमद ने अपना सारा जीवन बिताया है लेकिन उन्होंने कभी भी इस तरह की मंदी नहीं देखी जो इतने लंबे समय तक चली हो। अहमद ने 25 साल से अधिक समय से शहर के पीतल और कांसे के बर्तन तैयार करने वाले कारखाने में टूल ऑपरेटर के तौर पर काम किया है और उन्हें कोविड-19 महामारी की शुरुआत होने और इसके बाद लगने वाले लॉकडाउन के बाद 15 महीने में से छह महीने कोई वेतन नहीं मिला।
वह जिस छोटे कारखाने में काम करते थे वह फिर से चालू हो चुका है लेकिन कामगारों का वेतन कोविड से पहले के मुकाबले काफी कम है। अहमद पहले हर महीने 15,000 रुपये कमाते थे लेकिन अब वह कहते हैं, ‘अप्रैल और मई में कोई काम नहीं होने के बाद जून में मैंने कई घंटे काम किया लेकिन मुझे मानक वेतन का केवल 60 फीसदी ही मिला। उत्पादन फिर से शुरू हो गया है लेकिन ऑर्डर कम हैं। इसी वजह से नकदी में बाधा आई है।’
अब वह और उनकी पत्नी अपने घरेलू खर्च पूरा करने और अपने पांच सदस्यीय परिवार का पालन-पोषण करने के लिए राजमार्ग पर एक अस्थायी फूड स्टॉल लगाने की योजना बना रहे हैं। अहमद अकेले नहीं हैं। आसपास की बस्तियों में रहने वाले कम से कम 5 लाख कामगारों की एक ही हालत है। निर्माण गतिविधियों के बार-बार बाधित होने से नौकरियां घट रही हैं और ज्यादातर ने अपनी सारी बचत खर्च कर दी है और वे कर्ज में हैं।
स्थानीय पीतल हस्तशिल्प निर्माता संघ (बीएचएमए) के अनुसार मुरादाबाद में बड़े पैमाने पर पीतल हस्तशिल्प और बर्तन विनिर्माण उद्योग में करीब 8 लाख लोग सीधे तौर पर कार्यरत हैं जिनमें से करीब 30,000 लघु और सूक्ष्म इकाइयां हैं और कुल वार्षिक कारोबार करीब 10,000 करोड़ रुपये का है। ये निर्माता अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ जैसे निर्यात वाले बाजारों पर पूरी तरह निर्भर हैं। इनके राजस्व में निर्यात की हिस्सेदारी करीब 70 फीसदी तक है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक इस साल के लॉकडाउन के बाद से विनिर्माण सामान्य स्तर के 65 फीसदी पर है। मुरादाबाद के निर्यातक पीतल हैंडीक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर्स ऐेंड एक्सपोट्र्स के फैक्ट्री मैनेजर रहीम मोहम्मद शेख कहते हैं, ‘हमें कामगारों की संख्या में कटौती करनी पड़ी। लेकिन हमें उम्मीद है कि बाजार पिछले साल की तुलना में तेजी से उबर जाएगा।’ हालांकि दुनिया भर में लॉकडाउन लगने से निर्यात से होने वाली कमाई पर गंभीर रूप से असर पड़ा और उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि साल 2020 में अनलॉक के बाद से ही रिकवरी की रफ्तार मंद रही है। दिल्ली-मुरादाबाद रोड पर पीतल और चांदी की परत वाले बर्तनों के बहुमंजिला, वातानुकूलित शोरूम मेटल वल्र्ड के मालिक महेश शर्मा कहते हैं, ‘इस साल बिक्री का नुकसान अनुमान से कम है लेकिन राजस्व सामान्य से 25 फीसदी कम है।’
मंडी चौक शहर का सबसे बड़ा बाजार है जहां पीतल के हस्तशिल्प और प्लेटेड आभूषणों की दुकानें हैं। कोविड से पहले के दौर में यहां हजारों लोंगों की भीड़ हुआ करती थी। आज बिल्कुल भी भीड़ नहीं है। कुछ लोग खाने-पीने से जुड़ी दुकानों और किराने की दुकानों पर नजर आ जाते हैं लेकिन पीतल के हैंडीक्राफ्ट और ज्वैलरी की दुकानों पर शायद ही कोई ग्राहक आता हो। वहीं बर्तन बाजार में शाही मस्जिद के सामने, आरएसडी कलेक्शन, सलीम ऐंड संस, एफएस ट्रेडर्स और अन्य शोरूम खरीदारों का इंतजार ही करते रह जाते हैं।
बर्तन बाजार में गनी हैंडीक्राफ्ट के मालिक रहमान गनी कहते हैं, ‘स्थानीय कारोबार पूरी तरह से कम हो चुका है। पिछले साल त्योहारी सीजन के दौरान कोविड से पहले के दौर के 90 फीसदी तक की वृद्धि हुई। लेकिन अब लोग पीतल के उत्पाद बिल्कुल नहीं खरीद रहे हैं। निर्यात बाजार में काम करने वाले लोग अब पहले से बेहतर हैं।’
हालांकि, अब निर्यातक लॉकडाउन के प्रभाव से उबर रहे हैं लेकिन उन्हें भी जोखिम उठाना पड़ रहा है। पीतल के सामानों के निर्माता और निर्यातक जेआर गिफ्ट्स ऐंड हैंडीक्राफ्ट के निदेशक अब्दुल गनी के अनुसार कच्चे माल की बढ़ती लागत की वजह से वैश्विक बाजार में उद्योग की मुकाबला करने की क्षमता घट रही है। गनी कहते हैं, ‘हमारी कुल लागत में 100 फीसदी तक की वृद्धि हुई है जिससे कार्यशील पूंजी में कमी आई है। इसी वजह से हममें से कई लोग अपने कर्मचारियों को ठीक से भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।’ बीएचएमए के अनुसार, तांबा और जस्ता जैसे प्रमुख कच्चे माल की कीमत में भारी वृद्धि और पैकेजिंग सामग्री और परिवहन की लागत का असर स्थानीय उत्पादकों और निर्यातकों की क्षमता पर पड़ रहा है।

First Published - July 11, 2021 | 11:31 PM IST

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