एचडीएफसी एएमसी और एचडीएफसी लाइफ के चेयरमैन दीपक पारेख ने बुधवार को कहा कि बैंकों को यह इजाजत होनी चाहिए कि वे डेवलपरों को जमीन का अधिग्रहण करने के लिए ऋण प्रदान कर सकें। वह मुंबई में तीसरे बिज़नेस स्टैंडर्ड इंडिया मॉर्गेज लीडरशिप (आईएमएल) कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। इसी कार्यक्रम में भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम बजट में घोषित रूफटॉप सोलर प्रोग्राम ‘बड़ा बदलाव’ लाने वाला साबित हो सकता है और स्टेट बैंक इसे अपने आवास ऋण कारोबार के लिए एक अवसर के रूप में देख रहा है।
पारेख ने कहा कि वर्तमान में डेवलपरों को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) तथा विदेशी कंपनियों से अल्पावधि का ऋण लेना पड़ता है जिस पर उन्हें करीब 17 से 18 फीसदी की भारी दर से ब्याज चुकाना होता है।
उन्होंने कहा, ‘जैसे ही उन्हें जमीन मिलती है और वे निर्माण कार्य शुरू करते हैं, उन्हें निर्माण के लिए कर्ज मिल जाता है। ऐसे में वे एनबीएफसी का कर्ज चुका देते हैं। अगर हम चाहते हैं कि अचल संपत्ति की कीमतें कम हों और वह किफायती बने तो बैंक जमीन के लिए ऋण क्यों नहीं दे सकते?’ पारेख ने कहा कि देश में किफायती रिहायशी क्षेत्र को अधिक तवज्जो नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि मुंबई में अधिकांश फ्लैट एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत पर बिकते हैं और उन्हें किफायती नहीं कहा जा सकता है।
इसी परिचर्चा के दौरान स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि बैंक वित्त मंत्री द्वारा घोषित रूफटॉप सोलर प्रोग्राम को एक अवसर के रूप में देख रहा है। उन्होंने कहा कि बैंक पहले ही सौर ऊर्जा और रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं ला चुका है।
उन्होंने कहा कि गुजरात और केरल में रूफटॉप सोलर प्रोग्राम को अपनाने वालों की तादाद अच्छी खासी है। यह योजना बड़ा बदलाव लाएगी क्योंकि हर घर बिजली का उत्पादक होगा और जरूरत से अधिक बिजली को सीधे ग्रिड में भेजा जा सकेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में कहा था कि केंद्र सरकार एक करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर की मदद से हर माह 300 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली देने का लक्ष्य लेकर चल रही है जिससे करीब 18,000 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के तहत एक करोड़ घरों की छत पर सोलर पैनल लगाने की योजना है।