उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाले आम, जामुन, अमरूद जैसे तमाम मौसमी फलों का इस्तेमाल उम्दा क्वालिटी की वाइन बनाने में किया जाएगा। सुला, गाडसन, गुड ड्राप सहित कई मशहूर देशी वाइन निर्माता कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में अपनी इकाई लगाने में रुचि दिखाई है।
प्रदेश सरकार अपनी महत्त्वाकांक्षी वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) के तहत भी ऐसे जिलों को चिह्नित करेगी, जहां कोई खास फल बड़े पैमाने पर पैदा होता है। इन जिलों में वाइनरीज की स्थापना को ओडीओपी के तहत प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रदेश में वाइन उत्पादक इकाइयों की स्थापना के लिए ऑल इंडिया वाइन प्रोड्यूशर एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित विभिन्न प्रदेशों की वाइन उत्पादक इकाइयों इंडोस्प्रिट, गाडसन आर्गेनिक्स फार्म, बरेली, गुड ड्राप सेलर, सुला विनियार्ड के प्रतिनिधियों अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय भूसरेड्डी और आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी से मुलाकात की।
नई आबकारी नीति में जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव, आबकारी ने कहा कि प्रदेश में सब-ट्रापिकल फलों जैसे आम, जामुन, कटहल, अमरूद, अंगूर, लींची, आंवला, पपीता आदि का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिसकी खपत पूरी तरह से नहीं हो पाती है, साथ ही फलों के समुचित भंडारण की सुविधा के अभाव में रख-रखाव न हो पाने से भारी मात्रा में फल शीघ्र खराब होते रहते हैं। उन्होंने कहा कि नई नीति के तहत किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य दिलाने के लिए वाइनरी की स्थापना मददगार साबित होगी। गौरतलब है कि प्रदेश में वाइनरी स्थापित करने संबंधी नियमावली पहले 1961 व फिर 2001 में बनाई गई थी। हालांकि, इसके बाद भी प्रदेश में एक भी वाइन उत्पादन की इकाई की स्थापना नहीं हो सकी है। जबकि महाराष्ट्र के पुणे व नासिक में इनकी तादाद दर्जनों में है। संजय ने बताया कि वहां की वाइनरी के लिए फल उत्पादक किसानों से उचित दामों पर खरीद कर वाइन का उत्पादन हो रहा है।
