छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की उत्तर प्रदेश सरकार की कवायद ने छोटे और मझोले उद्यमियों का सुख चैन छीन लिया है।
मायावती सरकार ने वेतन बढ़ोत्तरी के चलते खजाने पर पड़ने वाले बोझ को कम करने के लिए वैट की दरों में संशोधन क्या किया प्रदेश के लोहा और प्लास्टिक के कारोबारियों ने उत्पादन घटा दिया है।
राजधानी लखनऊ और कानपुर के कई छोटी और मझोली इकाइयों ने तो उत्पादन बंद ही कर दिया है। इन इकाइयों के मालिक सरकार से करों में राहत की मांग कर रहे हैं। खास तौर पर लोहे की सरिया बनाने वाले उद्यमियों ने तो सरकार के हस्तक्षेप के बगैर उत्पाद शुरू करने से ही इनकार कर दिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में वैट दरों में संशोधन कर ज्यादातर चीजों पर कर की दर को 4 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। वैट दरों में बढ़ोत्तरी की सबसे ज्यादा मार उद्योगों पर पड़ी है, जिन्हें नए काराधानों के मुताबिक पड़ोसी राज्यों से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा।
सरकार के इस रुख से परेशान उद्यमियों ने आज प्रदेश की मुखिया को ज्ञापन देने के इरादे से इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के बैनर तले मार्च निकाला पर उन्हें मायावती के आवास से काफी पहले ही हिरासत में ले लिया गया। मार्च की अगुवाई आईआईए के महासचिव मुकेश टंडन कर रहे थे।
आईआईए के अधिशासी निदेशक डी. एस. वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार ने आतार्किक ढंग से वैट की दरों में संशोधन किया है, जिससे उद्योगों के सामने संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि सभी बिजली के उपकरणों पर वैट की दर चार फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दी गई है, जिनमें ट्रांसफार्मर भी शामिल है।
उत्तर प्रदेश के सभी पड़ोसी राज्यों में इन पर वैट की दर 4 फीसदी ही है। बिजली के सामान बनाने वाली इकाइयों को बढ़ी वैट दर के बार बाजार में अपना माल बेंचना मुश्किल हो जाएगा। रोचक यह है कि सरकार ने तंबाकू और भांग पर वैट की दर को घटा दिया है और उद्योगों के काम मे आने वाली चीजों पर कर बढ़ा दिया है।
बिजली के सामान बनाने वाले उद्यमियों के मुताबिक वैट बढ़ाने के बाद डीजल इंजन की कीमत 24000 से बढ़कर 26400 रुपये, जनरेटर 25000-40000 से बढ़कर 27500-44000 रुपये और मिक्सर ग्राइंडर की कीमत 30000 रुपये से बढ़कर 33000 रुपये हो गई है। उनके मुताबिक मशीनरी के साथ कच्चे माल की लागत बढ़ने से तैयार माल की लागत में खासा इजाफा होगा और पड़ोसी राज्यों में सस्ते में यही माल उपलब्ध है।
दूसरी ओर सरिया निर्माताओं पर वैट बढ़ने के बाद दोहरी मार पड़ी है। आईआईए के अनुसार लोहो की कीमतों में इस साल की शुरुआत से काफी उथल-पुथल रही है, जिसके चलते छोटे उद्यमियों के लिए बाजार मे बने रहना मुश्किल हो रहा था और अब वैट की दरें बढ़ाकर सरकार ने इनकी कमर ही तोड़ दी है। कुछ ऐसा ही हाल पीवीसी पाइप बनाने वालों का है, जिन्हें सबसे बड़ी चुनौती उत्तराखंड की इकाइयों से मिल रही है। यूपी के मुकाबले उत्तराखंड से आने वाला पीवीसी पाइप 15 फीसदी तक सस्ता पड़ रहा है।