मराठी भाषी बेलगाम, करवार और निपानी इलाक़ों को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों से चल रहा विवाद एक बार फिर उभर कर सामने आ गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी सरकार कर्नाटक के उन इलाकों को राज्य में शामिल करने के लिये प्रतिबद्ध हैं जहां मराठी भाषी लोगों की बहुलता है। जबकि कर्नाटक इसको अपना इलाका मान रहा है।
महाराष्ट्र राज्य भाषायी आधार पर बेलगाम तथा अन्य इलाकों पर दावा जताता है जो पूर्ववर्ती बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा थे लेकिन अब कर्नाटक राज्य में आते हैं। बेलगाम तथा कुछ अन्य सीमावर्ती इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करवाने के लिए संघर्ष कर रहे क्षेत्रीय संगठन महाराष्ट्र एकीकरण समिति ने उन लोगों की याद में 17 जनवरी को शहीदी दिवस मनाया, जो इस उद्देश्य के लिए लड़ते हुए 1956 में मारे गए थे। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट किया गया कि सीमा विवाद में शहीद होने वाले लोगों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी कर्नाटक के कब्जे वाले मराठी भाषी तथा सांस्कृतिक इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करना। हम इसके लिए एकजुट हैं और हमारी प्रतिज्ञा दृढ़ है। शहीदों के प्रति सम्मान जताते हुए यह वादा करते हैं।
मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे से महाराष्ट्र एकीकरण समिति के नेताओं ने इस मुद्दे पर ध्यान देने की मांग की। ठाकरे ने इस पर दो सदस्यों की समिति बनाई। इस समीति के गठन के समय कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कहा था कि कर्नाटक की एक इंच जमीन भी किसी राज्य को देने का सवाल नहीं उठता। गौरतलब है कि यह सीमा विवाद दोनों राज्यों के बीच आजादी के समय से चला आ रहा है। 1947 से पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्य अलग नहीं थे। तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी और मैसूर स्टेट हुआ करते थे। आज के कर्नाटक के कई इलाक़े उस समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी में थे। आज के बीजापुर, बेलगावी (पुराना नाम बेलगाम), धारवाड़ और उत्तर कन्नड जिले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में ही थे। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में मराठी, गुजराती और कन्नड भाषाएं बोलने वाले लोग रहा करते थे।
आज़ादी के बाद भाषा के अधार पर राज्यों का बँटवारा शुरू हुआ। बेलगाम में मराठी बोलने वालों की संख्या कन्नड़ बोलने वालों की संख्या से ज्यादा थी। 1983 में बेलगाम में पहली बार नगर निकाय के चुनाव हुए। इन चुनावों में महाराष्ट्र एकीकरण समिति के प्रभाव वाले उम्मीदवार ज्यादा संख्या में जीतकर आए और उन्होने बेलगाम को महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग की। गौरतलब है कि कर्नाटक के बेलगाम, कारवार और निप्पनी इलाकों पर महाराष्ट्र यह कहकर दावा जताता है कि इन इलाकों में बहुसंख्यक आबादी मराठी भाषी है। बेलगाम समेत अन्य सीमावर्ती इलाकों को लेकर दोनों राज्यों के बीच जारी विवाद कई वर्षों से उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
