राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली बुधवार को तेल की आग की जद में आ गई है। इस दौरान पूरे शहर में तेल की काफी किल्लत रही।
ग्राहक पेट्रोल पंपों से बैरंग लौटते रहे। एक ओर जहां लोग काफी मात्रा में पेट्रोल-डीजल खरीदने के लिए उतावले हुए जा रहे थे वहीं दूसरी ओर कुछ पेट्रोल पंपों पर एक निर्धारित सीमा से अधिक तेल नहीं देने से मना कर दिया गया। दिल्ली के अलावा इस तरह के समाचार देश के कुछ और हिस्सों से भी मिले रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ाए जाने की बात हो रही थी और आज सरकार ने कीमतें बढ़ा भी दी हैं। लोगों का कहना है कि इस बढ़ोतरी से पेट्रोल पंप मालिक अधिक से अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसके लिए वे ज्यादा से ज्यादा तेल बचाकर रखना चाहते हैं, जिससे बाद में वह बचे हुए तेल को बढ़ी कीमतों पर बेचने में सफल रहें।
दिल्ली के एक पेट्रोल पंप से अपनी कार के साथ खाली हाथ लौट रहे, एस एम कुमार जैसे कई लोगों की यही राय है। लोगों की इस राय को इस बात से बल भी मिलता कि कई पेट्रोल पंपों ने ‘तेल नहीं है’ की पट्टी लगा दी है। दूसरी पेट्रोल पंप मालिक इसको महज एक गलतफहमी मानते हैं। एक पेट्रोल पंप मालिक का कहना है कि जब भी कीमतें बढ़ाई जाती हैं तो इसकी घोषणा दिन में की जाती हैं, जबकि बढ़ी हुई कीमतें रात 12 बजे के बाद ही प्रभावी होती हैं।
उनका कहना है कि इस दौरान पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइनें लग जाती हैं। वह बताते हैं कि सभी पेट्रोल पंपों पर एक सीमा तक ही पेट्रोल-डीजल होता है और जब इस तरह की स्थिति आ जाए तो तेल का स्टॉक कैसे बचा रह सकता है। लोग कम कीमत पर पेट्रोल-डीजल खरीदने की होड़ में लग जाते हैं।
तेल कंपनियों के सिर मढ़ा दोष
पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन के एक वरिष्ठ अधिकारी तेल की किल्लत की बात को स्वीकार करते हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पेट्रोलियम कंपनियों से ही आपूर्ति में दिक्कत आ रही है। उनका कहना है कि इस समय आपूर्ति बहुत बाधित है।
जनवरी के मुकाबले जून तक आते-आते कंपनियों द्वारा पेट्रोल पंपों को होने वाली आपूर्ति में 40 फीसदी तक की कमी आई है। वे कहते हैं कि मान लीजिए जनवरी में हमें पेट्रोलियम कंपनियों से 100 लीटर तेल की आपूर्ति होती थी, तो फिलहाल हमें केवल 60 लीटर तेल ही मिल पा रहा है, ऐसे में जब आपूर्ति ही नहीं होगी, तो हम घर से तो ग्राहकों को तेल नहीं दे सकते हैं।
उनका कहना है सभी तेल कंपनियां अपने प्रीमियम उत्पादों को बेचने पर ज्यादा जोर दे रही हैं। उनका कहना है कि प्रीमियम पेट्रोल-डीजल में कंपनियों को सामान्य पेट्रोलियम पदार्थों की तुलना में कम नुकसान हो रहा है। वे बताते हैं कि सामान्य पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति ही बाधित है जबकि प्रीमियम उत्पादों की आपूर्ति में कोई समस्या नहीं, चाहे जितना ले लें। लेकिन, इसमें भी एक समस्या है कि प्रीमियम पेट्रोलियम पदार्थों का बाजार बहुत सीमित है।
यदि बाजार में हिस्सेदारी की बात करें तो कुल पेट्रोल की बिक्री में केवल 25 फीसदी ही प्रीमियम क्वालिटी का पेट्रोल बिकता है जबकि यदि डीजल की बात करें तो कुल बिक्री में प्रीमियम डीजल की हिस्सेदारी केवल 15 फीसदी की है। एक पेट्रोल पंप मालिक का कहना है कि ज्यादातर लोग सस्ता होने की वजह से सामान्य पेट्रोल-डीजल ही खरीदना अधिक पसंद करते हैं। गौरतलब है कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ‘एक्स्ट्राप्रीमियम’, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ‘पॉवर’ और भारत पेट्रोलियम ‘स्पीड’ नाम से प्रीमियम क्वालिटी का पेट्रोल-डीजल बेचती हैं।
ये भी बेचारे करें क्या
दिल्ली पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव अनुराग नारायण कहते हैं कि पेट्रोलियम कंपनियां भी क्या करें। उनकी भी मजबूरी है, उनको तगड़ा घाटा जो हो रहा है। उनका कहना है कि जब इन कंपनियों के पास पैसा ही नहीं होगा फिर इनका कारोबार कैसे चलेगा।
अनुराग भी इस समय पेट्रोल पंपों पर तेल की किल्लत की बात स्वीकारते हैं। उनका कहना है कि खासकर डीजल की बहुत ज्यादा कमी है। यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि सभी पेट्रोलियम पदार्थों में डीजल की ही सबसे अधिक खपत है, इसलिए डीजल बिकता भी सबसे ज्यादा है।
एक डीलर का कहना है कि केवल इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम के पंपों पर ही डीजल की कम आपूर्ति हो रही है, बाकी हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पेट्रोल पंपों पर हालात सही हैं।
बंगाल में सस्ता हुआ पेट्रोल
पश्चिम बंगाल ने पेट्रोल की कीमत में 2.12 रुपये और डीजल की कीमत में 1.38 रुपये प्रति लीटर की कमी की है। केन्द्र द्वारा पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत बढ़ाने के असर को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पेट्रोल पर बिक्री कर 25 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत और डीजल पर बिक्री कर को 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत करने की घोषणा की है।