निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच होड़ लगी है निवेशक जिसका फायदा उठते हुए राज्य सरकारों के साथ मोलभाव करते हैं। नीति आयोग की बैठक में इस मुद्दे को उठाते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्यों के बीच निवेशकों को छूट देने की नहीं, बल्कि उन्हें सुविधाएं देने की प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की संचालन समिति की बैठक को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि उद्योग और व्यवसाय के मामले में बाहरी देशों के साथ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, राज्यों के बीच गलाकाट प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए। इसके लिए केंद्र को कार्यक्षमता व निवेश के लिए आकर्षक मापदंडों पर स्पर्धा को प्रोत्साहन देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ राज्य बिजली रियायतों या स्थान की दरों के आकर्षक प्रस्ताव देते हैं। मोलभाव किया जाता है। अमुक राज्य इन चीजों को देने को तैयार हैं, तो पूछा जाता है कि आप क्या देंगे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा हो, लेकिन सभी राज्यों को न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि राज्यों की प्रशासनिक कार्यक्षमता और उपलब्ध सुविधाओं पर भी इसका लाभ हो। केंद्र को निवेश के संदर्भ में कुछ मापदंड तय करने चाहिए। हमें केवल पैसे के स्वरूप में निवेश कि विचार न करते हुए यह विचार भी करना चाहिए कि रोजगार कितना मिलने वाला है। ऐसा होने पर ही हम सही अर्थों में आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
इस दौरान उन्होंने कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का मुद्दा भी उठाया और केंद्र की फसल बीमा योजना में बदलाव का आह्वान किया। हमें जय जवान और जय किसान के अलावा जय कामगार कहने की जरूरत है। केंद्र सरकार को निवेश के बारे में कुछ मानदंड तय करने चाहिए ताकि राज्य आपस में नहीं, बल्कि दूसरे देशों से प्रतिस्पर्धा करें। कोविड काल की प्रतिकूल परिस्थितियों के होते हुए भी महाराष्ट्र ने एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक के सामंजस्य समझौते (एमओयू) किए। भले ही विकास धीमा हुआ, किंतु वह रुका नहीं। इसके विपरीत हमने अन्य तरीकों से आर्थिक चक्र को जारी रखा है। कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि किसान इसका सबसे बड़ा खामियाजा भुगत रहे हैं।
