टाटा मोटर्स तमाम गतिरोध के बाद नैनो परियोजना को समेट कर सिंगुर से लौट तो आई पर पश्चिम बंगाल सरकार ने इस परियोजना को लगाने के लिए कंपनी को जो 997 एकड़ जमीन सुपुर्द की थी, उसे कंपनी फिलहाल अपने पास ही रखेगी।
ऐसा माना जा रहा है कि कंपनी राज्य सरकार को इस जमीन को लौटाने में एक साल या फिर उससे कुछ अधिक समय भी ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने कुछ जमीन सीधे वेंडर्स को सौंपी थी। यह जमीन सरकार को पहले लौटाए जाने की उम्मीद है।
हालांकि कुछ वेंडर इकाइयों को जमीन टाटा मोटर्स ने उपलब्ध कराई थी और ऐसी जमीनें पहले कंपनी को लौटाई जाएंगी और फिर कंपनी के मार्फत इसे सरकार को लौटाया जाएगा। इस वजह से इनमें थोड़ा अधिक वक्त लग सकता है।
एक सूत्र ने बताया, ‘कंपनी की ओर से सरकार को जमीन लौटाने की प्रक्रिया बहुत सरल नहीं है- इसमें कई कानूनी और करार से संबंधित दाव पेंच शामिल होते हैं, जिनका निपटारा करना होता है।’ हालांकि इस परियोजना को लेकर सरकार और कंपनी के बीच जिस करार पर हस्ताक्षर किया गया था, उस पर अब तक पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाया है।
जब टाटा मोटर्स के प्रवक्ता से बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि जमीन को लौटाने के मसले पर कंपनी सीधे सरकार से चर्चा करेगी। इधर, वामपंथी दलों के मंत्रियों का कहना है कि इस जमीन पर दूसरे निवेशक परियोजनाएं लगाने के लिए इच्छुक हैं और यह तभी मुमकिन है जब टाटा मोटर्स इस जमीन को वापस लौटा देती है।
एक सूत्र ने बताया, ‘मैं किसी खास निवेशक का नाम नहीं ले सकता, पर चूंकि यह जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर है, इस वजह से कई कंपनियों को परियोजना लगाने के लिए इसमें दिलचस्पी हो सकती है।’
राज्य के एक अधिकारी ने बताया, ‘जिन लोगों ने अपनी जमीन दी है, भले ही वे इसकी वापसी के लिए मांग कर रहे हों, पर मौजूदा कानून के तहत इस जमीन को उन्हें नहीं लौटाया जा सकता है।’ फिलहाल इस जमीन पर एक छोटा सा कॉम्पलेक्स बना हुआ है जिसे प्रशिक्षण कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।