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अटकी परियोजनाएं होंगी शुरू

Last Updated- December 10, 2022 | 1:52 AM IST

उत्तराखंड में तीन प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं का काम रद्द किए जाने के बाद अब राज्य सरकार जल्द से जल्द उन सभी ऊर्जा संयंत्रों का काम शुरू करने में जुट गई है, जो कुछ समय से अटकी पड़ी थीं।
इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी सोमवार को देहरादून में यमुना नदी पर 120 मेगावॉट की व्यासी जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रख कर करेंगे। पिछले दो दशकों से इस परियोजना का काम अटका पड़ा था।
व्यासी बांध के विकास का जिम्मा राज्य सरकार की इकाई उत्तराखंड जलविद्युत निगम लिमिटेड के जिम्मे है। इस परियोजना के विकास पर 758 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। 

इस परियोजना के जरिए सालाना 43.83 करोड़ इकाई बिजली पैदा की जा सकेगी और इस तरह हर साल तकरीबन 105.29 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया जा सकेगा।
व्यासी 420 मेगावॉट वाली लखवार-व्यासी परियोजना का एक हिस्सा है जिसे पिछले साल जुलाई में यूजेवीएनएल के सुपुर्द किया गया था। इस परियोजना का मकसद भागीरथी नदी पर दो प्रमुख बांधों पाला मनेरी और भैरोंघाटी से बिजली उत्पादन में हो रही कमी को पूरा करना था।
दरअसल, पर्यावरण मसलों के कारण पिछले महीने राज्य सरकार ने इन दोनों परियोजनाओं पर रोक लगा दी थी। हालांकि लखवार-व्यासी परियोजना का भार यूजेवीएनएल को देने का फैसला थोड़ा हैरान करने वाला था क्योंकि इस परियोजना के लिए विस्तृत रिपोर्ट एनएचपीसी तैयार कर रही थी।
लखवार-व्यासी के अलावा देहरादून में ही टोंस नदी पर 600 मेगावॉट वाली किशाऊ परियोजना का काम भी अटका पड़ा है। इस परियोजना पर भी पिछले एक दशक से काम रुका हुआ है और अब राज्य सरकार इस परियोजना का काम वापस से शुरू करवाने पर विचार कर रही है।
इस परियोजना पर काम दोबारा से शुरू कराने के लिए राज्य सरकार यूजेवीएनएल और टिहरी जल विद्युत निगम (टीएचडीसी) के बीच 50:50 फीसदी हिस्सेदारी वाले संयुक्त करार पर विचार कर रही है। इस परियोजना के लिए विस्तृत रिपोर्ट भी टीएचडीसी ही तैयार कर रही है।
यूजेवीएनएल के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद ने बताया, ‘हम टीएचडीसी के साथ संयुक्त करार करने के पक्ष में हैं।’ प्रसाद राज्य सरकार में ऊर्जा सलाहकार भी हैं। उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों के बीच साझा करार होने से परियोजना को जल्द से जल्द पूरा किया जा सकेगा।

First Published - February 22, 2009 | 9:05 PM IST

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