कभी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सरजमीं को अलविदा कह टैक्स प्रावधानों में छूट के लुभावने अवसरों के चलते उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की वादियों में आशियाना बना चुकी ढेरों लघु उद्योग इकाइयों (एसएमई)को मंदी ने ऐसी मार मारी है कि अब उन्हें वापस एनसीआर की याद सताने लगी है।
इनमें से कई एसएमई तो ऐसी हैं, जिनकी प्रमुख इकाइयां एनसीआर में ही स्थित हैं और वे उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में स्थित अपनी सहायक इकाइयों में मांग न होने के कारण उत्पादन को कुछ समय के लिए रोक रही हैं।
यही नहीं, ढेरों इकाइयां भले ही कागजी तौर पर एनसीआर से बोरिया-बिस्तर समेट कर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जा चुकी हों लेकिन हकीकत यह है कि नए ऑर्डरों और अच्छी कनेक्टिवटी के चलते इनका औद्योगिक उत्पादन आज भी एनसीआर में ही हो रहा है।
एनसीआर के विभिन्न लघु उद्योग संगठनों के प्रमुखों का कहना है कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सरकार ने प्लास्टिक, मोटरपाट्र्स, ऑटोमोबाइल पाट्र्स, रसायन, औषधि, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद और खिलौने बनाने वाली लघु उद्योग इकाइयां स्थापित करने पर कर प्रावधानों में विशेष छूट देने की घोषणा की थी।
इनमें उत्पाद कर पर अगले दस साल के लिए 100 फीसदी छूट और आयकर पर अगले पांच साल के लिए 100 फीसदी जैसी छूट प्रमुख थी। ऐसे में इन राज्यों में एनसीआर की लगभग एक हजार इकाइयों ने इन राज्यों का रुख किया था।
इनमें से ज्यादातर इकाइयां एनसीआर स्थित एसएमई की सहायक इकाइयों के तौर पर तो कई स्वंतत्र तौर पर स्थापित हुई थी। इन इकाइयों के द्वारा इन राज्यों में लगभग 300 अरब रुपये से ज्यादा का निवेश किया गया था।
लेकिन मंदी की माया इस कदर छाई कि एसएमई इकाइयों के पास ऑर्डरों के लाले पड़ने लगे। ऐसे में प्रमुख इकाइयों में उत्पादन करना मुश्किल हुआ ही, सहायक इकाइयों में तो टोटा ही पड़ गया।
फरीदाबाद स्मॉल इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष और उत्तराखंड में अपनी मोटर पाट्र्स बनाने की इकाइयां को स्थापित करने वाले राजीव चावला का कहना है कि जब हमारी इकाइयां इन राज्यों की ओर गई थी तो हालात बहुत अच्छे थे।
अच्छी मांग होने से प्रमुख इकाइयों और सहायक इकाइयों दोनों में ही उत्पादन करना जरू री था। लेकिन मंदी आने से नए ऑर्डरों की संख्या में 25 से 30 फीसदी की कमी आ गई है। ऐसे में लागत में कमी करने के लिए हमें सहायक इकाइयों में काम रोकना पड़ रहा है।
दूसरी बात यह है कि इन राज्यों में स्थित ज्यादातर इकाइयों के उत्पादों की 60 से 70 फीसदी आपूर्ति व नए ऑर्डरों की मांग भी प्रमुख तौर पर एनसीआर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण के राज्यों में ही है। ऐसे में अच्छी कनेक्टिवटी के चलते एसएमई मालिक भी एनसीआर स्थित इकाइयों में ही उत्पादन को प्रमुखता दे रहे हैं।
नोएडा इंटरप्रेन्योर एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश कत्याल का कहना है कि नोएडा से ही केवल 350-400 इकाइयां दूसरे राज्यों की ओर गई थीं। लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य इन राज्यों के कर प्रावधानों की छूट को ही भुनाना रहा है।
सिंघल मैन्यूफैक्चरर्स नाम से एसएमई चलाने वाले जी.एस. सिंघल का कहना है कि एनसीआर में आज भी लगभग 250-300 इकाइयां उत्पादन कर रही हैं, जो कागजातों के हिसाब से उत्तराखंड जा चुकी है। इनमें से कई इकाइयां बाजार के हालात सुधरने पर दूसरे राज्यों में स्थित अपनी इकाइयों में उत्पादन जारी रखने का दावा भी कर रही है।
