आज हम रंगों की दुनियां की सैर पर निकलने वाले हैं। सबसे पहले बात करेंगे उस रंग की जिसमें रंगना हर प्रेमिका का सपना होता है।
जी हां, हम सिंदूर की बात कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि सिंदूर रबर, पेंट और ल्यूब्रिकेंट जैसे उद्योगों का भी चहेता है। रसायन शास्त्र की भाषा में सिंदूर को लेड ऑक्साइड कहा जाता है।
रेजिनोवा केमिकल्स लिमिटेड के गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी उमेश शुक्ला ने बताया कि देश में महाराष्ट्र, गुजरात, कोलकाता और दिल्ली में लेड ऑक्साइड का निर्माण वाणिज्यिक स्तर पर किया जाता है। पेंट उद्योग में लेड ऑक्साइड का इस्तेमाल लाल रंगत के लिए किया जाता है जबकि रबर उद्योग में प्रोसेस रेग्यूलेटर के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। लेड ऑक्साइड और ग्लिसरीन को मिलाकर वाटरप्रूफ सीमेंट बनाई जाती है।
सिंदूर पर अमेरिकी नजर
अमेरिकी खाद्य और दवा प्रशासन (एफडीए) ने इस साल फरवरी में एक आदेश जारी कर अमेरिका के सभी रिटेल स्टोर्स और मॉल में सिंदूर तथा बिंदी की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। सिंदूर में लेड ऑक्साइड और अन्य खतरनाक तत्वों के पाए जाने के कारण ऐसा किया गया। इसके बाद भारत के छोटे कारोबारियों पर दबाव बढ़ा है। सिंदूर उद्योग से ज्यादातर छोटे कारोबारी जुड़े हुए हैं।
ऐसे में गुणवत्ता नियंत्रण कानून को सख्त बनाने पर इन्हें कारोबार से हाथ धोना पड़ सकता है। सिंदूर बनाने के लिए प्रसिद्व कोलकाता स्थित रंगशाला आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स लिमिटेड के आदित्य गुप्ता ने बताया कि भारत में सिंदूर की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए कोई भी निगरानी एजेंसी नहीं है। ऐसे में यह साबित करना काफी मुश्किल है कि कौन सा सिंदूर अच्छी गुणवत्ता का है। इससे सिंदूर का निर्यात काफी प्रभावित हुआ है।
उन्होंने बताया कि परंपरागत तौर से हल्दी, चूना, चंदन और कुछ औषधियों को मिलाकर सिंदूर बनाया जाता है। हालांकि, आजकल मिलावट का कारोबार बढ़ता जा रहा है। मिलावटी सिंदूर से तंत्रिका तंत्र, किडनी तथा हार्ट पर असर पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि कुछ कारोबारी सस्ते रंग तैयार करने के लिए गेहूं का आटा, स्टार्च जैसे बेस मेटेरियरल में केमिकल डाई की मिलावट कर देते हैं। कई बार रंग में लेड और कैडमियम भी पाए जाते हैं। सिंथेटिक डाई बनाने के लिए रोडेमियम-बी (गुलाबी या लाल), मीथाईल (बैंगनी) और औरेमाईन (पीला) जैसे केमिकल मिलाए जाते हैं।
डाई और डाई स्टफ
देश में वित्त वर्ष 2006-07 के दौरान 33,000 मीट्रिक टन डाई और डाई स्टफ का उत्पादन किया गया था। कुल उत्पादन में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी केवल महाराष्ट्र और गुजरात की है। इन राज्यों में रंग बनाने की 750 छोटी-बड़ी इकाइयां हैं। कुल उत्पादित रंग के 80 प्रतिशत हिस्से की खपत सिर्फ टेक्सटाइल उद्योग में ही हो जाती है।
इसके अलावा चमड़ा, काजग, प्लास्टिक, पेंट जैसे उद्योगों में भी रंग की काफी मांग है। दुनिया के कुल रंग उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 7 प्रतिशत है। भारत से अमेरिका, यूरोप, हांगकांग, मिस्र और दक्षिण अफ्रीका को रंगों का निर्यात किया जाता है जबकि देश में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, हरियाणा और उत्तर प्रदेश बड़े बाजार हैं।
सिंदूर लगाने की इजाजत
19वीं शताब्दी में सूफी संत शरीफूद्दीन मनेरी ने बांग्लादेश की मुस्लिम महिलाओं को सिंदूर लगाने की इजाजत दे दी। इसके बाद तो बांग्लादेश के समाजिक ताने-बाने में भूचाल आ गया। पाबंदी की कोशिशों के बावजूद भी वहां की मुस्लिम महिलाएं सिंदूर लगा ही लेती हैं।
हिंदू धर्म में सिंदूर का बड़ा महत्व है। सिंदूर लाल होता है और लाली खुशियों का प्रतीक है। सिंदूर पति पत्नी के पारस्परिक भरोसे का भी प्रतीक है। हालांकि, मिलावटी सिंदूर से परहेज करना चाहिए। – शारदा सिन्हा, लोकप्रिय भोजपुरी गायिका