उत्तर प्रदेश में चीनी कंपनियों का बुरा समय खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। गन्ना पेराई के लिहाज से चालू सत्र पिछले 15 वर्षो के दौरान सबसे छोटा साबित होने जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों ने बीते नवंबर में पेराई शुरू की थी और गन्ने की आवक में कमी के कारण मिलें अभी से पेराई बंद करने लगी हैं।
राज्य सरकार का अनुमान था कि चालू सत्र के दौरान 76 लाख टन गन्ने की पैदावार होगी। यह आंकड़ा बीते वर्ष के मुकाबले 10.27 प्रतिशत कम है।
बीते साल 84.7 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ था। पेराई की शुरूआत के समय गन्ने की कीमत 1,375 रुपये प्रति क्विंटल थी
लेकिन उत्पादन मंी कमी के अनुमानों के बाद कीमतें चढ़कर 1,500 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंची।
उत्तर प्रदेश चीनी मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और बिड़ला सुगर के सलाहकार सी बी पेट्रोदिया ने बताया कि ‘मिलों ने पेराई पहले ही बंद कर दी है।
यह पिछले 15 वर्षो के दौरान सबसे छोटा पेराई सत्र है। बीते वर्षो के औसत 150 दिन के पेराई सत्र के मुकाबले इस साल केवल 120 से 140 दिन ही पेराई हो सकती है।’
राज्य सरकार के साथ गन्ने की कीमत पर मतभेद के कारण मिलों ने इस साल एक महीने की देरी से पेराई शुरू की।
खरीद में देरी के कारण मई किसानों ने कम दाम पर अपनी फसल को गुड़ बनाने वाली इकाइयों को बेच दिया। गेहूं की बुआई के लिए गन्ने की फसल काटनी जरूरी थी।
देश की सबसे बड़ी चीनी कंपनी बजाज हिंदुस्तान के मुख्य कार्याधिकारी राकेश भरतिया ने बताया कि ‘खासतौर से मध्य उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों ने 15 मार्च से पेरोई बंद कर दी है।
गन्ने के गुड़ इकाइयों की ओर चल जाने से मिलों में आपूर्ति बाधित हुई है। ये इकाइयां अक्टूबर में शुरू हुई थीं।’
उन्होंने बताया कि नई इकाइयों के शुरू होने से भी आपूर्ति प्रभावित हुई है। कई जगह पर मिलें पिछले कुछ दिनों के दौरान क्षमता से कम काम ही कर रहीं हैं।
अजय और विक्रम श्रीराम के नियंत्रण वाले डीएससीएल ने पहले ही पेराई बंद कर दी है।
कंपनी के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रबंध निदेशक अजय श्रीराम ने बताया कि उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश नहीं हुई है। इसके अलावा गर्मी बढ़ने से भी गन्ने की आवक प्रभावित हुई है।