कोरोना संकट के दौर में उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर छोटे व मझोले उद्यमों ने सैनिटाइजर का उत्पादन शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश की इकाइयों से इस समय दिल्ली, गुजरात, हरियाणा और उत्तराखंड सहित सभी 28 राज्यों को सैनिटाइजर भेजा जा रहा है। बीते तीन महीनों में ही प्रदेश ने सैनिटाइजर की बिक्री से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व अर्जित किया है जो पहले महज दो करोड़ रुपये सालाना था।
उत्तर प्रदेश के आबकारी आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने बताया कि कोरोना संकट के शुरू होने से पहले प्रदेश में केवल एक ही कारखाने में सैनिटाइजर का उत्पादन होता था, वहीं अब यह तादाद बढ़कर 91 हो गई है। प्रदेश की इकाइयों में बनने वाले सैनिटाइजर का 30 फीसदी से ज्यादा बाहरी राज्यों में भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि बीते चार महीनों में ही प्रदेश की सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों ने 1.33 करोड़ लीटर का उत्पादन किया है जिसमें से 47.15 लाख लीटर बाहर के राज्यों में भेजा गया है। प्रदेश ने सबसे ज्यादा 13.05 लाख लीटर सैनिटाइजर दिल्ली में और 3.19 लाख लीटर उत्तराखंड में भेजा है।
आबकारी आयुक्त ने बताया कि उत्तर प्रदेश का बना हुआ सैनिटाइजर असम, मिजोरम और लद्दाख जैसे दूर के राज्यों में भी भेजा जा रहा है। प्रदेश के अस्पतालों व सरकारी विभागों में इसकी आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि सैनिटाइजर का उत्पादन 80 फीसदी से ज्यादा एमएसएमई सेक्टर में किया जा रहा है, जबकि कुछ चीनी मिलें भी इस क्षेत्र में उतरी हैं। सैनिटाइजर के धंधे में 1,600 लोगों को रोजगार मिला हुआ है और प्रदेश सरकार ने बीते कुछ महीनों के भीतर ही 100.5 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त किया है। प्रदेश सरकार ने 30 सितंबर तक सभी किराने की दुकानों और जनरल स्टोरों को भी सैनिटाइजर की बिक्री की इजाजत दे दी है।
