यूक्रेन ने कहा है कि वह व्यापक एवं दीर्घकालिक शांति की स्थापना के लिए हो रहे प्रयासों का समर्थन करता है और अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की अगुआई में शांति प्रस्ताव पर बातचीत के लिए तैयार है मगर ऐसा कोई समझौता नहीं करेगा जिससे उसकी क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता पर चोट पहुंचे। यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्री सिबिहा ने मंगलवार को नई दिल्ली में यह बात कही।
सिबिहा ने ‘रायसीना डायलॉग’ में कहा कि यूक्रेन ने संघर्ष विराम के अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया है और अब वह इस पर रूस के रुख का इंतजार कर रहा है। इस मसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से इस मसले पर टेलीफोन से बातचीत करने वाले हैं।
हालांकि, यूक्रेन के मौजूदा रुख को देखकर तो यही लगता है कि इस बातचीत से बहुत उम्मीद नहीं लगाई जा सकती। सिबिहा ने कहा, ‘हमने अपने इस रुख से अमेरिका और यूरोप के अपने मित्रों को अवगत करा दिया है। यूक्रेन में शांति स्थापना यूक्रेन के हितों को दरकिनार कर नहीं की जा सकती। यह ठीक उसी तरह है जैसे यूरोप में यूरोप के हितों का ध्यान रखे बिना कुछ नहीं हो सकता। हम अपनी सेना पर किसी तरह की पाबंदी बर्दाश्त नहीं करेंगे और कोई भी तीसरा देश यह तय नही कर सकता कि हमें किस संगठन या गुट में शामिल होना चाहिए और किसमें नहीं।’
फिलहाल यूक्रेन में शांति स्थापित करने की राह में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बातचीत के जरिये यूक्रेन से रूसी सैनिकों की वापसी हो पाएगी और होगी तो फिर कैसे होगी। सिबिहा ने कहा, ‘रूस हमारी जमीन का कोई हिस्सा हथिया ले यह बात हमें स्वीकार नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इस समय उनके देश का लगभग 20 फीसदी हिस्सा रूस के नियंत्रण में है।’
यूक्रेन और रूस में पिछले तीन वर्षों से भी अधिक समय से युद्ध चल रहा है और इसमें दोनों ही पक्षों को भीषण नुकसान हुआ है। यूक्रेन ने दिसंबर 2024 में कहा था कि इस युद्ध में उसके 43,000 सैनिक मारे जा चुके हैं और लगभग 3.9 लाख घायल हुए हैं।
सिबिहा ने यह माना कि ट्रंप दोनों देश के बीच युद्ध समाप्त करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि अब सख्त कूटनीतिक प्रयास करने का वक्त आ गया है। हमें राष्ट्रपति ट्रंप के प्रयासों पर पूरा विश्वास है और यूक्रेन में दीर्घकालिक शांति स्थापित की जा सकती है।‘ सिबिहा का यह बयान काफी अहमियत रखता है क्योंकि पिछले महीने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच गरमागरम बहस हुई थी।
दरअसल दोनों नेताओं के बीच बैठक अमेरिका और यूक्रेन के बीच दुर्लभ खनिजों पर समझौता करने के लिए हुई थी मगर यह बैठक बहस में बदल गई। अमेरिका की कोशिश यह थी कि यूक्रेन अगर उसे दुर्लभ खनिज की आपूर्ति सुनिश्चित करता है तो इसके बदले उसे अमेरिका की तरफ से सुरक्षा की गारंटी दी जाए। अमेरिका का तर्क था कि यूक्रेन में अमेरिका के निवेश एवं संसाधनों की मौजूदगी से रूस भविष्य में आक्रामक रुख अपनाने से परहेज करेगा। बैठक के दौरान ट्रंप ने जेलेंस्की पर रूस के साथ शांति समझौता करने का दबाव बनाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उप-राष्ट्रपति जे डी वेंस ने जेलेंस्की पर आरोप लगाया कि वह अमेरिकी समर्थन एवं मदद का ‘एहसान’ नहीं मान रहे हैं।
सोमवार को सिबिहा ने अमेरिका के साथ यूक्रेन के मतभेद दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, ‘हम शांति स्थापना की राह में बाधा नहीं बनना चाहते हैं। मगर हमें यह भी देखना होगा कि इस शांति प्रस्ताव पर रूस का क्या रुख रहता है।’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच संघर्ष के दीर्घकालिक तनाव में बदलने को लेकर जताई जा रही आशंका दूर करने के लिए यूक्रेन अस्थायी संघर्ष विराम के लिए तैयार हो गया था।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहा है क्योंकि यह उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता और शांतिपूर्ण वैश्विक व्यवस्था की स्थापना से जुड़ा मुद्दा है।