facebookmetapixel
घने कोहरे की मार: दिल्ली समेत पूरे उतरी क्षेत्र में 180 से अधिक उड़ानें रद्द, सैकड़ों विमान देरी से संचालितनए साल पर होटलों में अंतिम समय की बुकिंग बढ़ी, पर फूड डिलिवरी करने वाले गिग वर्कर्स के हड़ताल से दबावबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, विदेश मंत्री एस जयशंकर ढाका जाएंगे अंतिम संस्कार मेंकमजोर गर्मी-लंबे मॉनसून के चलते 2025 में सुस्त रहा उपभोक्ता टिकाऊ सामान बाजार, पर GST कटौती से राहत‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बदला देश का सुरक्षा सिद्धांत, अब सीधे वार के लिए भारत तैयारउम्मीदों पर सवार ग्रामीण अर्थव्यवस्था! GST राहत और बढ़ी खपत ने संवारा, आय को लेकर उम्मीदें मजबूतMapmyIndia के मैपल्स ऐप में मेट्रो, रेल व बस रूट जुड़े, पब्लिक ट्रांसपोर्ट हुआ और आसान31 दिसंबर की गिग कर्मियों की हड़ताल से क्विक कॉमर्स पर संकट, जोमैटो-स्विगी अलर्ट मोड मेंAI से बदलेगा बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग उद्योग, कैपजेमिनाई-WNS डील ने खोली नई राहTata Power ने रचा इतिहास, राजस्थान में 1 गीगावॉट सौर परियोजना की सफल शुरुआत

शिक्षा का अधिकार आ सकता है बजट में

Last Updated- December 05, 2022 | 4:23 PM IST

केंद्र सरकार सबको शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए फिर से एक कैबिनेट नोट की तैयारी कर रही है, जिसमें शिक्षा के मद में केंद्र और राज्यों के वित्तीय अनुपात को आपस में सुविधापूर्ण तरीके से बांटने का उल्लेख होगा। दरअसल केंद्र सरकार 6 से 14 साल तक के बच्चों को स्कूल की ओर रूख कराने के लिए प्रयत्नरत है।
राज्य सरकारों को लगता है कि नई प्रतिबद्धता के कारण उन्हें ज्यादा वित्तीय भार सहना पड़ सकता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक
कै बिनेट की हामी भरने के बाद शिक्षा के अधिकार विधेयक को बजट सत्र में लाया जा सकता है, जिसमें 6 से 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक राज्यों का वित्तीय अनुपातों को लेकर चिंतित होना सही नहीं है। दरअसल केंद्र और राज्यों के बीच लागत का विभाजन कर लिया जाएगा। अभी इस लागत के अनुपात तय नहीं किये गए हैं, लेकिन केंद्र राज्यों को इस मद में हरसंभव मदद देगी। लागत को लेकर एक सुविधाजनक और आम राय पर अनुपात तय कर लिया जाएगा। उनके मुताबिक सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम को कार्यान्वित किया जा चुका है। इसलिए जब इस नये विधेयक को लाया जाएगा, तो इस तरह की कोई समस्या नहीं आएगी। सर्व शिक्षा अभियान स्कूलों में 85 प्रतिशत बुनियादी ढांचों का निर्माण करने के लिए सक्षम है। इस तरह की प्रक्रियाओं का मुख्य उद्देश्य राज्यों को सुविधा प्रदान करना ही तो है।
इस विधेयक के तहत 6 से 14 साल तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने क े लिए नामांकित किया जाएगा। इस विधेयक में शिक्षा को एक अधिकार के रूप में पेश किया जाएगा, जिससे बच्चों की शिक्षा पर मां-बाप को खर्च का निर्वहन नहीं करना पड़ेगा। इसके तहत मां- बाप को वे हर सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी, जो बच्चों के पढ़ाई को जारी रखने में बाधक होगी। साथ हीं बच्चों के नामांकन और स्क्रीनिंग शुल्क को भी समाप्त करने का प्रावधान हो सकता है। इस विधेयक में बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराना माता-पिता या अभिभावक की जिम्मेदारी घोषित की जाएगी, जो अनिवार्य होगा।
इस विधेयक के तहत राज्यों को तीन साल के अंदर बच्चों के घर के नजदीक स्कूल की व्यवस्था करनी होगी। अगर ऐसा संभव न हो, तो स्कूल तक पहुंचने के लिए यातायात की व्यवस्था करनी होगी। इस विधेयक के तहत बच्चों को दंड देना वर्जित होगा।

First Published - February 27, 2008 | 11:16 PM IST

संबंधित पोस्ट