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मंदी आई पर नहीं घटी विज्ञापन की कमाई

Last Updated- December 10, 2022 | 12:06 AM IST

मंदी के कारण जहां देश भर की विज्ञापन कंपनियों का कारोबार कम हो गया है, वहीं कोलकाता में मौजूद विज्ञापन कंपनियों को अब भी पहले की ही तरह कमाई की उम्मीद है।
हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों ने इस साल विज्ञापन कंपनियों का कारोबार 50 फीसदी तक घटने की आशंका जताई है। उद्योग विशेषज्ञ और क ोलकाता की विज्ञापन एजेंसियों ने बताया कि पत्रिकाओं और सिनेमा में दिए जाने वाले विज्ञापनों में कमी जरूर आएगी।
आउटडोर मीडिया में दिए जाने वाले विज्ञापनों के  कारोबार में बढ़ोतरी नहीं होगी। हालांकि इस कारोबार में कमी भी नहीं आएगी। टेलीविजन और अखबारों में विज्ञापनों पर होने वाले खर्च में भी मामूली सी बढ़ोतरी ही होने की संभावना है।
विश्लेषकों के अनुसार फिल्म अभिनेता शाहरुख खान की कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) साल 2008 में मीडिया को सबसे अधिक विज्ञापन देने वाली कंपनी बनकर सामने आई है। इसके बाद से मनोरंजन चैनलों ने अपने विज्ञापन के दाम बढ़ा दिए थे।
जो टीम आईपीएल के फाइनल तक नहीं पहुंच पाई थीं, उन टीमों को लागत वसूलने के लिए लगभग 2-3 साल का समय दिया गया था। लेकिन आईपीएल के पहले सीजन के दौरान सिर्फ कोलकाता नाइट राइडर्स को ही 5 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इसकी वजह थी टीम की मर्केंडाइजी का बिकना और बड़ी संख्या में दर्शकों का मिलना रहा है।
कोलकाता में ऑगिल्वी ऐंड मेथर की वरिष्ठ उपाध्यक्ष शर्मिष्ठा देव ने बताया, ‘कोलकाता में विज्ञापन कंपनियों पर मंदी का कोई असर नहीं पड़ा है। लेकिन कंपनियों के पास मौजूदा बड़े ग्राहकों के  कारण कारोबार की विकास दर ठीक ही रही है। इसके अलावा साल 2008 में कारोबार में कोई बड़ा इजाफा नहीं हुआ। आने वाले समय में कोलकाता में मौजूद बड़े विज्ञापनदाताओं की ओर से होने वाले खर्च में थोड़ी कमी आ सकती है।’
कोलकाता में जेडब्ल्यूटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजी रामस्वामी ने बताया, ‘एक एजेंसी होने के नाते हमने साल 2008 में कारोबार के तय किए गए लक्ष्यों को पा लिया है। इसीलिए हम यह कह सकते हैं कि पिछले साल विज्ञापनों से होने वाली कमाई में कोई कमी नहीं आई है।
हमारी क माई सिर्फ बिक्री बढ़ने पर ही निर्भर नहीं है। बल्कि यह उद्योग में मौजूद नई संभावनाओं को पहचानकर उनका लाभ उठाने पर भी निर्भर है। आने वाले समय में भी कारोबार अच्छा रहने की ही उम्मीद है। मुझे लगता है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विज्ञापनों पर होने वाले खर्च में थोड़ी कमी करेंगे।’
रामास्वामी ने बताया, ‘रियालिटी कार्यक्रमों की बढ़ती संख्या के कारण अब कार्यक्रमों के भीतर ही ब्रांड को शामिल करने का चलन शुरू हो गया है। हालांकि यह आम विज्ञापनों के मुकाबले काफी महंगा होता है।

First Published - February 6, 2009 | 11:55 AM IST

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