आर्थिक मंदी और कई स्थानीय कारणों से कानपुर में रियल एस्टेट कारोबार और निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
अगर स्थानीय भूमि पंजीकरण कार्यालय के आंकड़ों पर यकीन करें, तो भूमि सौदे और आवास विकास का काम पिछले चार महीने में आधे से भी कम हो गया है।भूमि सौदे से जितने राजस्व की उम्मीद विभाग ने की थी, उसमें भी 40 फीसदी की कमी आई है।
इस बाबत उप-पंजीयक और स्टाम्प राजस्व अधिकारियों को उत्तर प्रदेश के राजस्व मंत्री फागु चव्हाण ने इस कमी के स्पष्टीकरण के लिए तलब किया है। कानपुर विकास प्राधिकरण के सचिव ओ. एन. सिंह ने बताया, ‘वैश्विक आर्थिक मंदी का असर तो रियल एस्टेट पर पड़ ही रहा है।
रियल एस्टेट बाजार से जुड़े लोग लखनऊ जैसे पड़ोस के शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं। इसकी वजह है कि लखनऊ में बुनियादी ढांचे का विकास काफी हो रहा है और इसमें इन्हें संभावनाएं दिख रही है।’
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की प्रवृत्ति से कानपुर का प्रॉपर्टी व्यापार तेजी से घट रहा है।’ प्रॉपर्टी व्यापार में एक बड़ी हिस्सेदारी छोटे उद्योगों की है, जो पिछले महीने से लागू किए गए 12 फीसदी मूल्य वर्द्धित कर (वैट) की वजह से शहर से पलायन कर रहे हैं। प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी सृष्टि डेवलपर्स के मालिक आर. के. अग्रवाल ने कहा, ‘उद्योगों के पलायन करने से प्रॉपर्टी बाजार पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। छोटे उद्योगों का रियल एस्टेट कारोबार में महत्त्वपूर्ण योगदान है।’
कानपुर बिल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित खन्ना ने कहा, ‘जो प्रॉपर्टी 40 हजार प्रति वर्ग मीटर की दर से बिकती थी, वह अब 25 हजार रुपये प्रति मीटर की दर से बिक रही है।’ यहां तक कि प्रॉपर्टी बाजार में ग्राहकों की कमी से केडीए, आवास विकास परिषद और उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक परिषद (यूपीएसआईडीसी) सभी परेशान हैं।
आवास विकास परिषद के अध्यक्ष संतोष कुमार ने कहा, ‘अभी लोग उस भूखंड के लिए 4 लाख रुपये भी नहीं देने को तैयार हैं, जो पिछले साल 5.5 लाख रुपये में बिका करता था।’ शहर की प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी डॉल्फिन डेवलपर्स के सीएमडी विश्वनाथ गुप्ता ने बताया, ‘लगभग 800 फ्लैट बनकर तैयार है, लेकिन इसे खरीदने वाला कोई नहीं है। सर्किल दर में बेतहाशा बढ़ोतरी, होम लोन की बढ़ी हुई ब्याज दर और वैश्विक मंदी की वजह से बेरोजगारी की समस्या के कारण प्रॉपर्टी बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।’