सरकार ने आज उम्मीद जताई है कि देर से अच्छी बारिश होने के कारण कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों में इस महीने के अंत तक धान का रकबा और बढ़ेगा। हालांकि अधिसंख्य फसलों के लिए खरीफ की बोआई लगभग पूरी हो गई है।
यदि रोपाई कुछ और दिनों तक जारी रहती है तो, यह पिछले वर्ष की तुलना धान के रकबे में कमी को कम कर सकता है जो य3 सितंबर तक 5.53 फीसदी यानी 4.01 करोड़ हेक्टेयर था। हालांकि, यह रकबा जहां धान बोया जाता था उस सामान्य क्षेत्र से 1.13 फीसदी अधिक था। औसत रकबा पिछले 5 वर्षों का सामान्य क्षेत्र है।
बोआई के ताजा आंकड़े जो आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार चालू खरीफ सत्र में अंतिम है यह भी दर्शाते हैं कि इस वर्ष करीब 10.97 करोड़ हेक्टेयर में खरीफ की फसल बोई गई है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 1.24 फीसदी कम है। पिछले साल की तुलना में पूर्वी भारत के सूखे के कारण धान के रकबे में गिरावट आई है साथ ही कुछ प्रतिस्पर्धी फसलों में रुझान से इस खरीफ सत्र में चावल उत्पादन 6.05 फीसदी गिरकर 10.49 करोड़ टन होने की उम्मीद है।
यह बुधवार को जारी 2022-23 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के कृषि उत्पादन के लिए पहली अग्रिम अनुमान के अनुसार है। 2021-22 खरीफ सत्र में चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 11.17 करोड़ टन हुआ था। यदि संख्या स्थिर रहती है तो यह 2020-21 के फसल वर्ष के बाद खरीफ सीजन दो वर्षों में सबसे कम चावल उत्पादन होगा।
हालांकि स्वतंत्र एजेंसियों ने कहा है कि चावल उत्पादन में और भी तेजी से गिरावट हो सकती है। ओरिगो कमोडिटिज ने शुक्रवार को एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि खरीफ सत्र में चावल का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 13 फीसदी घटकर 9.67 करोड़ टन हो सकता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में कम बारिश के कारण पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।