एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत समझा जाता है कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में भागीरथी नदी पर एनटीपीसी की 600 मेगावॉट वाली लोहारी नागपाल परियोजना का निर्माण रद्द कर दिया है।
राज्य के उत्तरकाशी जिले में 2,800 करोड़ रुपये के निवेश से इस परियोजना का विकास किया जा रहा था और यह फैसला जलविद्युत क्षेत्र के लिए बड़ा धक्का हो सकता है।
भले ही चोटी के अधिकारियों ने इस मसले पर कुछ बोलने से इनकार कर दिया, पर सूत्रों का कहना है कि केंद्र ने यह फैसला पर्यावरणविदों के दबाव को देखते हुए लिया है।
इस परियोजना के निर्माण के विरोध में पर्यावरणविद जी डी अग्रवाल पिछले 37 दिनों से नई दिल्ली में अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठे थे। उनकी मांग थी कि इस जलविद्युत परियोजना के विकास से भागीरथी को नुकसान पहुंचेगा और इस वजह से निर्माण कार्य को रोक दिया जाए।
सूत्रों ने बताया कि इस फैसले के बाद अग्रवाल ने भी अपना उपवास तोड़ दिया है। पिछले साल अग्रवाल के विरोध को देखते हुए ही राज्य सरकार को पाला मनेरी और भैरो घाटी जलविद्युत परियोजना का निर्माण कार्य रोक देना पड़ा था।
इन दोनों ही परियोजनाओं का विकास भागीरथी नदी पर उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड की ओर से किया जा रहा था। यह फैसला एनटीपीसी के लिए भी चोट पहुंचाने वाला हो सकता है क्योंकि कंपनी पहले इस परियोजना पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है।