चुनावी भाषण को लेकर आई कड़वाहट और विदेश नीति के मसले पर अलग अलग राय को पीछे छोड़ते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस को वाम दलों के साथ अपने रिश्ते बनाए रखने में कोई गुरेज नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने वाम दलों के साथ गठजोड़ के अपने विकल्प को खुला रखा है। नई दिल्ली में मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘वामदल और कांग्रेस दोनों ही आम आदमी के हित के लिए काम करना चाहते हैं। क्रियान्वयन के तरीके में थोड़ा फर्क जरूर है लेकिन ऐसा नहीं है कि सहमति नहीं बन सकती है।
अर्थव्यवस्था के विकास के बिना आम आदमी के सपनों को पूरा करना संभव नहीं है और हम आर्थिक विकास के साथ ही समान विकास की बात करते हैं। वाम दल भी आम आदमी के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं इसीलिए हमारा और उनका तालमेल बेहतर हो सकता है।’
हालांकि प्रधानमंत्री पद के लिए कोई असहमति की स्थिति के लिए क्या विकल्प हैं इस सवाल पर उनका कहना था कि मनमोहन सिंह ही उनकी पार्टी की ओर से आम सहमति से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि वाम दलों को भी प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह के नाम से कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए।
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या स्थितियां बनने पर कांग्रेस विपक्ष में बैठने को तैयार है तो उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र है और अगर ऐसा होता है तो हमारे पास इसे मानने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।’
जब उनसे यह पूछा गया कि वाम दलों ने संप्रग को चार सालों से अधिक समय तक समर्थन दिया है ऐसे में अगर जरूरत पड़ी तो क्या कांग्रेस उन्हें समर्थन देगी तो उन्होंने कहा, ‘अगर वामपंथी पार्टियां 180 से 190 सीटें जीतने में कामयाब रहती है तो हम ऐसा जरूर करेंगे। मुझे उम्मीद है कि वह ऐसा कर सकते हैं। अगर वह ऐसा कर पाते हैं तो हम उन्हें समर्थन देने वालों में सबसे आगे रहेंगे।’
हालांकि उन्होंने यह संकेत जरूर दिया है कि चुनाव के नतीजों के हिसाब से गठबंधन की नई दिशा तय होगी। राहुल गांधी ने तेलगुदेशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि वे बेहतर काम कर रहे हैं।
अपने पार्टी संगठन में पारदर्शिता से जुड़े एक सवाल पर उनका कहना था कि पंजाब में उन्होंने स्थानीय स्तर पर लोकतांत्रिक तरीके से कार्र्यकत्ताओं का चयन किया है। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर राजनीतिक दल को अपने संगठन में सुधार लाने की कोशिश करनी ही होगी।
उन्होंने इस संवाददाता सम्मेलन में पांच सालों के दौरान आम आदमी के लिए कितना सार्थक किया है इस सवाल के जवाब पर उनका कहना था कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और सूचना के अधिकार के जरिए आम आदमी के हितों पर ध्यान देने की कोशिश की गई है लेकिन इसके बेहतर नतीजे के लिए पार्टी को थोड़ा और वक्त चाहिए।
कम मतदान के मुद्दे पर बिजनेस स्टैंडर्ड के एक सवाल पर उनका कहना था कि उनकी पार्टी मतदान को सभी के लिए अनिवार्य बनाने पर विचार करेगी वैसे इसमें संवैधानिक प्रावधानों के फेर-बदल की जरूरत होगी।
राहुल गांधी लिट्टे को एक आतंकवादी संगठन जरूर मानते हैं लेकिन उन्होंने तमिल लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति जताई है और उनका कहना है कि सरकार तमिल लोगों की बेहतरी के लिए भी कदम जरूर उठाएगी।
