उत्तर प्रदेश में नगर निकाय फिर से किराये के मकान बनाएंगे। कोरोना संकट के दौरान बड़ी तादाद में बाहर से लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए इसकी शुरुआत हो रही है। राजधानी लखनऊ में नगर निगम जल्द ही प्रवासी मजदूरों के लिए इस तरह की आवासीय योजना लेकर आ रहा है। सरकारी आवासीय संस्थाएं जैसे आवास विकास परिषद व विकास प्राधिकरण भी फिर से किराया क्रय पद्धति के आधार पर मकान का निर्माण करेंगे। आवास विकास व विकास प्राधिकरणों के इन मकानों में आवंटी रहते हुए किराये के तौर पर किस्त चुकता करेंगे।
लखनऊ नगर निगम ने प्रवासी मजदूरों को रिहाइश उपलब्ध कराने के लिए राजधानी में जगहों की तलाश पूरी कर ली है। इन जगहों पर प्रवासी मजदूरों के सस्ते मकान बनाए जाएंगे। नगर निगम की आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार से मकान बनाने के लिए धनराशि की मांग की गई है या फिर इन मकानों को निजी सार्वजनिक सहभागिता (पीपीपी) के आधार पर भी बनाया जा सकता है।
एमओयू ट्रैकिंग सिस्टम: उत्तर प्रदेश में औद्योगिक परियोजनाओं के करारों की निगरानी के लिए ऑनलाइन एमओयू ट्रैकिंग सिस्टम लागू कर दिया गया है। अलग-अलग एमओयू के लिए नोडल अधिकारी भी तैनात कर दिए गए हैं। अब तक किए गए सभी निवेश के करारों की ऑनलाइन ट्रैकिंग होगी।
कृषि के क्षेत्र में 2,000 करोड़ रुपये ज्यादा की परियोजना की सीधी निगरानी कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी जबकि अन्य सभी क्षेत्रों से संबंधित 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के एमओयू की मॉनिटरिंग अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त (आईआईडीसी) की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने आज यह आदेश जारी किया।
