उपनगर मुंबई में रहने वाले लाखों फ्लैट मालिकों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अस्थायी राहत दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज डेवलपरों की अपील पर यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। डेवलपरों ने जंगल भूमि पर एक हजार एकड़ में हजारों अपार्टमेंट बना दिए हैं, जिन्हें मुंबई नगर निगम ने अवैध करार दिया है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई नगर निगम ने डेवलपरों को इस इलाके में काम बंद करने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद डेवलपरों ने मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की लेकिन 25 मार्च को उनकी याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालाकृष्ण की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया कि अग्रिम आदेश तक यथास्थिति बनाए रखी जाए।
बहरहाल, एक आंकड़े के मुताबिक इस इलाकों में एक लाख से भी अधिक मकान बने हुए हैं। इन मकानों में करीब 75 हजार लोगों के पैसे लगे हैं। विदित है कि लोगों ने भांडुप-मुलुंड-ठाणे और बोरीवली-कंाडिवली क्षेत्र में निजी जंगल भूमि पर बनने वाले फ्लैटों की खरीद के लिए पैसे लगाए थे। इन इलाकों में फ्लैटों के निर्माण पर करीब 25 हजार करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। मुंबई नगर निगम का कहना है कि इन इलाकों में भवन का निर्माण करना जंगल संरक्षण कानून का उल्लंघन है।