बरसात के मौसम में कुछ रोग और वॉयरल फीवर जैसे बुखार होते हैं, उनके कई लक्षण और कोविड के लक्षण एक जैसे होते हैं। इसलिए डॉक्टरों को उनके पास आने वाले मरीजों में कोविड के लक्षणों को समय रहते ही पहचान लेना चाहिए। पिछले संक्रमण और वर्तमान संक्रमण के बीच अंतर है। वर्तमान संक्रमण में म्युटेशन वाला वायरस है, जिस कारण यह बहुत तेजी से फैल रहा है। बच्चों के बीच बढ़ते संक्रमण को ध्यान रखते हुए महाराष्ट्र सरकार निजी डॉक्टरों के साथ मिलकर महामारी का सामना करेगी।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद द्वारा कोरोना को लेकर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर डॉक्टरों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड की लड़ाई में अब डॉक्टरों का भी बड़े पैमाने पर योगदान है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल निजी डॉक्टरों में भी कोविड संक्रमण होने का बड़े स्तर पर डर था। उन्होंने अपने दवाखानों और अस्पतालों को बंद कर दिया था, क्योंकि हमारे पास मास्क, पीपीई किट के साथ-साथ अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी थी। लेकिन अब इस दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में डॉक्टरों, जनरल फिजिशियन और विभिन्न रोग विशेषज्ञ भी मैदान में उतर गए हैं।
संक्रमण का बदलता हुआ स्वरुप, होम आइसोलेशन के मरीजों का उपचार, बच्चों में संक्रमण, तीसरी लहर का अंदाज लेते हुए तैयारी करना, कोविड टीकाकरण, फंगस उपचार, कोविड प्रबंधन के मुद्दे, प्रयोगशाला का परीक्षण, कोविड उपरांत होने वाले बीमारियों जैसे विविध विषयों पर यह कार्याशाला दो दिनों तक चलेगी। कार्यशाला में टास्क फोर्स के विशेषज्ञ और अन्य कई विशेषज्ञ डॉक्टर भी मार्गदर्शन करने वाले हैं। इस ऑनलाइन सम्मेलन के लिए 21,500 डॉक्टरों ने पंजीकरण कराया था।
ठाकरे ने कहा कि हम ‘मेरे डॉक्टर’ की अवधारणा के माध्यम से लगातार राज्य के डॉक्टरों के साथ बातचीत कर रहे हैं। आमतौर पर किसी भी मरीज को किसी भी प्रकार की तकलीफ होती है, तो सबसे पहले अपने पारिवारिक डॉक्टर के पास जांच करवाने के लिए जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक डॉक्टरों के पास बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। कोविड के लक्षण भ्रामक हैं। ज्यादातर लोगों के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, ऐसे में आप पर मरीज को ठीक से पहचाने की जिम्मेदारी है। विशेष रूप से प्राथमिक और मध्य चरणों के मरीजों और जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे मरीजों का घर पर ही व्यवस्थित तरीके से इलाज करवा रहे हैं या नहीं, इसे हमें देखने की जरुरत है। डॉक्टरों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उसे अस्पताल में कब ले जाने की जरुरत है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मरीजों को और अधिक समय तक उपचार कराना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि बीमारी की अपेक्षा, इलाज भयंकर न होने पाए। उन्होंने म्युकरमाइकोसिस का तेजी से प्रसार होने का भी जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरी लहर में बड़े स्तर पर युवा वर्ग के लोग संक्रमण के चपेट में आते हुए दिखे थे और तीसरी लहर में बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। इस दृष्टि से अधिक सतर्कता और सावधानी बरतनी चाहिए।
