कोरोना की दूसरी लहर में चौपट व्यवस्था देख चुकी दिल्ली तीसरी लहर की आशंका से निपटने के लिए पहले ही तैयारी में जुट चुकी है। दूसरी लहर के दौरान दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना पीडि़त बेड, ऑक्सीजन, दवाओं के लिए तरस रहे थे और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी कोढ़ में खाज का काम कर रही थी। इसलिए दिल्ली सरकार तीसरी लहर से निपटने के लिए अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन व दवाओं का पर्याप्त इंतजाम कर रही है।
फिलहाल राजधानी में बेड तैयार किए जा रहे हैं, ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जा रहे हैं मगर स्वास्थ्य क्षेत्र के जानकार स्वास्थ्य कर्मियों की कमी से बड़े चिंतित दिख रहे हैं। उनका कहना है कि तीसरी लहर में भी मामले तेजी से बढ़े तो बेड, ऑक्सीजन या दवा के इंतजाम में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी मगर स्वास्थ्य कर्मियों की कमी बड़ी चुनौती बन सकती है। दिल्ली में कुल 117 सरकारी और निजी अस्पतालों को कोविड अस्पताल की सूची में डाल दिया गया है। साथ ही 3,871 कोविड देखभाल केंद्र तथा 151 कोविड स्वास्थ्य केंद्र भी हैं।
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार ने तीसरी लहर से निपटने की तैयारी दूसरी लहर कमजोर पडऩे के साथ ही शुरू कर दी थी। कोरोना लहर की शुरुआत में तैयार किए गए तीन-चार हजार बेड में लगातार इजाफा किया जाता रहा। दूसरी लहर में भी यह सिलसिला चला और अब कोविड अस्पतालों की सूची में शामिल 117 सरकारी तथा निजी अस्पतालों में करीब 16,500 बेड कोरोना मरीजों के लिए हैं। फिलहाल इनमें बमुश्किल 300 का इस्तेमाल हो रहा है क्योंकि रोजाना कोरोना के 30 से 70 मामले ही आ रहे हैं। मगर अधिकारी ने बताया कि तीसरी लहर के लिए 35,000 से अधिक बेड का इंतजाम किया जा रहा है। करीब 6,800 बेड क्षमता के 7 नये अस्पताल अगले 6 महीने में तैयार हो जाएंगे।
सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर बेड ऑक्सीजन की सुविधा वाले बनाए जा रहे हैं। प्रमुख सरकारी कोविड अस्पताल लोक नायक जय प्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि अस्पताल में तीसरी लहर से निपटने के लिए बेड, ऑक्सीजन व दवा का पूरा इंतजाम हो रहा है। बेड की संख्या 2,000 से बढ़ाकर 2,500 कर दी गई है और बच्चों के लिए भी 150 बेड का इंतजाम है। 5 नए ऑक्सीजन संयंत्र भी लगाए गए हैं। हालांकि जानकार इन दावों पर सवाल खड़े करते हुए कह रहे हैं कि दिल्ली सरकार ने कोरोना के दौरान नए बेड तैयार करने में ढिलाई बरती और अस्पतालों में पहले से मौजूद बेड को कोरोना समर्पित बेड बना दिया, इसलिए तीसरी लहर घातक होने पर बेड की किल्लत हो सकती है।
दवाओं के बफर स्टॉक का निर्देश
दिल्ली में दूसरी लहर के दौरान दवाओं की कमी भी देखी गई थी। ऐसे में दिल्ली दवा नियंत्रण विभाग ने दवा निर्माता कंपनियों और केमिस्टों को दवाओं का बफर स्टॉक करने को कहा है ताकि तीसरी लहर के दौरान उनकी किल्लत नहीं हो। दिल्ली में दवाओं के थोक बाजार भगीरथ पैलेस के दवा करोबारी और ऑल इंडिया केमिस्ट ऐंड ड्रगिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता ने कहा कि इस समय कोरोना की दवाएं पर्याप्त रूप से उपलब्ध हैं। केमिस्ट भी तीसरी लहर के लिए स्टॉक तैयार करने के इरादे से निर्माताओं को 30-40 फीसदी अधिक ऑर्डर दे रहे हैं। दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मारामारी रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए थी। अब यह इंजेक्शन कारोबारियों के पास बड़ी मात्रा में है। दवा कारोबारी सुरेश गुप्ता कहते हैं कि अगर अगले 6 महीने में इन इंजेक्शनों की जरूरत नहीं पड़ी तो काफी इंजेक्शन एक्सपायर भी हो सकते हैं। पहले इसके लिए मारामारी थी और अब इसके कारगर होने पर ही सवाल उठ रहे हैं। कोरोना की रेमडेसिविर, आइवरमेक्टिन, फैबिफ्लू जैसी पुरानी दवाएं ही चल रही हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों की किल्लत
दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी कमी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर से निपटने के लिए राज्य सरकार का बेड, ऑक्सीजन का इंतजाम तो संतोषजनक कहा जा सकता है मगर स्वास्थ्य कर्मियों की दूर करने के लिए खास प्रयास नहीं हुए हैं। डॉ वाधवा कहते हैं कि बेड, ऑक्सीजन के मामले में तो दिल्ली सरकार सही दिशा में चल रही है मगर डॉक्टर और उनके सहायक ही कम पड़ जाएंगे तो अस्पताल के बेड और ऑक्सीजन का क्या फायदा होगा। उनकी सलाह है कि सरकार को अच्छा वेतन देकर जल्द से जल्द बड़ी संख्या में डॉक्टर, नर्स व सहायक स्वास्थ्य कर्मी नियुक्त करने चाहिए।
हालांकि स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के सवाल पर दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने 5,000 स्वास्थ्य सहायक तैयार किए हैं, जो इलाज के दौरान डॉक्टरों की मदद करेंगे। इसके अलावा भी स्वास्थ्य कर्मियों को रखने के लिए निविदा जारी की गई है। डॉ वाधवा कहते हैं कि दिल्ली में 50-60 हजार डॉक्टर एसोसिएशन में पंजीकृत हैं, जिनमें से कम से कम 8-10 हजार डॉक्टरों की नियुक्ति सरकार को करनी चाहिए।
बढ़ रही ऑक्सीजन की उपलब्धता
दिल्ली में दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा मारामारी ऑक्सीजन के लिए थी। उस दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण मरीजों की मौत के बहुत दावे किए गए। उस समय ज्यादातर अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी की बात कहकर सरकार से ऑक्सीजन मांगी थी। तीसरी लहर में भी ऐसा नहीं हो, इसके लिए दिल्ली में 88 ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जा रहे हैं। इनमें करीब 50 संयंत्र लग चुके हैं और बाकी संयंत्र अगले महीने तक लग जाएंगे। पीएम केयर फंड से भी 26 संयंत्र लग रहे हैं। इसके बाद दिल्ली में इन संयंत्रों से रोजाना 100 टन प्रति दिन ऑक्सीजन बनने लगेगी। ऑक्सीजन भंडारण की क्षमता भी बढ़ाई जा रही है और अस्पतालों में इसके लिए टैंक लग रहे हैं। दिल्ली में सरकारी व निजी अस्पतालों में 150 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के साथ करीब 160 ऑक्सीजन संयंत्र लग रहे हैं। दिल्ली सरकार के अधिकारी ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान सबसे बड़ी दिक्कत ऑक्सीजन संयंत्रों से गैस लाने और भंडारण करने की थी। अब दिल्ली में अपने ही संयंत्र लगने से यह समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। दिल्ली में दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन कह मांग और आपूर्ति पर बड़ा विवाद हुआ था। राज्य सरकार ने केंद्र पर कम ऑक्सीजन देने का आरोप लगाते हुए अधिक आपूर्ति की मांग की थी। लेकिन अधिकारी मानते हैं कि ऑक्सीजन संयंत्रों की तादाद बढऩे के बाद अब ऐसी नौबत नहीं आएगी। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ बीबी वाधवा कहते हैं कि तीसरी लहर आने का समय तो किसी को नहीं पता मगर अब तक के हालात यही बता रहे हैं कि यह दूसरी लहर जैसी घातक नहीं होगी।