कोरोनावायरस का बुखार उत्तर प्रदेश के कमोबेश सभी छोटे-मझोले उद्योगों को परेशान कर रहा है मगर कानपुर का होजरी उद्योग इससे काफी हद तक बेअसर है। तमिलनाडु के तिरुपुर के बाद कानपुर ही देश में होजरी का दूसरा सबसे बड़ा अड्डा है। लॉकडाउन की वजह से यहां कामगारों की किल्लत जरूर हुई है मगर धंधे पर धेले भर का असर नहीं पड़ा है।
कानपुर के होजरी उद्योग में 50,000 से ज्यादा कामगारों को रोजगार मिलता है। इनमें से आधे दूसरे जिलों या राज्यों से आते हैं। महामारी की वजह से लॉकडाउन होने पर देश भर में मजदूरों का पलायन हुआ और कानपुर भी इससे अछूता नहीं रहा। यहां से भी बड़े पैमाने पर मजदूर अपने घरों को लौटे हैं, जिससे होजरी उद्योग को भी तकलीफ हुई है। हालांकि अनलॉक शुरू हुए महीना भर बीत गया है मगर काफी कामगार अब भी लौटे नहीं हैं। कानपुर के प्रमुख होजरी व्यवसायी और जेट निटवियर के चेयरमैन बलराम नरूला ने बताया कि यहां 50 फीसदी कामगार लौटे ही नहीं हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां के ज्यादातर कामगार बिहार और पश्चिम बंगाल के हैं, जिनके जल्दी लौटने की उम्मीद कम ही है।
नरूला ने बताया कि शहर में होजरी की करीब 1,500 इकाइयां हैं। ताज्जुब की बात है कि बाकी शहरों की तरह यहां कोई भी होजरी इकाई बंदी के बारे में नहीं सोच रही है। न तो धंधा बंद हो रहा है और न ही उत्पादन में कमी की बात हो रही है। इन इकाइयों में करीब 1,000 तो स्टिचिंग यानी सिलाई का काम करती हैं और 100 इकाइयां निटिंग यानी बुनाई में लगी हैं। शहर की करीब 300 होजरी इकाइयां अपने ब्रांड से माल बाजार में बेचती हैं।
कानपुर का होजरी उद्योग वाकई दिलचस्प है। यहां सालाना 1,200 करोड़ रुपये का होजरी कारोबार है। इतना बड़ा कारोबार होने के बाद भी निर्यात की नौबत नहीं आती क्योंकि उत्तर प्रदेश के बाजार की मांग भी यहां का उद्योग पूरा नहीं कर पाता। आलम यह है कि उत्तर प्रदेश की बमुश्किल 25 फीसदी मांग कानपुर की इकाइयां पूरी करती हैं और बाकी माल बाहर से आता है। अलबत्ता 20 फीसदी उत्पाद दूसरे राज्यों को भेजे जाते हैं। इसका फायदा कोरोना महामारी के दौरान यहां के कारोबारियों को मिला क्योंकि उनके ऑर्डरों में किसी तरह की कमी ही नहीं आई। वास्तव में लॉकडाउन के दौरान होजरी उत्पादों की मांग बढ़ ही गई। नरूला ने बताया कि दफ्तर के बजाय घरों से काम कर रहे लोगों ने औपचारिक पोशाक की वजह होजरी के उत्पाद जमकर पहने और उनकी मांग बढ़ती गई। इसलिए ऑर्डरों पर किसी तरह का असर नहीं पड़ा। दो महीने उत्पादन ठप रहने से इस बार कारोबार में 20-25 फीसदी कमी आ सकती है मगर मांग बनी रहने से आगे असर नहीं दिखेगा। कोरोना महामारी ने कानपुरिया होजरी को एक नया उत्पाद दे दिया। यहां कमोबेश सभी होजरी कंपनियां अब फेस मास्क भी बनाने लगी हैं। कारोबारियों का कहना है कि यह धंधा जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा है।
