मोबाइल ब्रॉडबैंड हो या उपग्रह संचार, सरकार दूरसंचार के हर क्षेत्र में कई ऑपरेटर सुनि श्चित करने पर ध्यान दे रही है। यह बात संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुभायन चक्रवर्ती और निवेदिता मुखर्जी से बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि एमटीएनएल के कर्ज को पुनर्गठित करने के लिए बैंकों से बात की जाएगी। मुख्य अंश:
क्या कम शुल्क दरें दूरसंचार क्षेत्र की समस्या नहीं हैं?
मैं बाजार तैयार करने वाला नहीं हूं। मेरा काम नियामक बनना नहीं बल्कि सुविधा प्रदाता बनना है। मेरा काम लोगों को तमाम विकल्प उपलब्ध कराना है ताकि वे अपनी सुविधानुसार चयन कर सकें। ग्राहक के तौर पर यह उनका अधिकार है कि वे खुद तय करें कि उन्हें कौन सी सेवा लेनी है और देखें कि वे किस सेवा से संतुष्ट हैं। दुनिया भर में दूरसंचार उद्योग ठहर चुके हैं और अगर बढ़ भी रहे हैं तो महज एक अंक में। ऐसे में अ धिकतर कंपनियां पूंजीगत व्यय नहीं करना चाहती हैं। केवल भारत ही दूरसंचार उद्योग जीडीपी में 7.5 फीसदी योगदान करता है और वह 12-13 फीसदी वा र्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी और चौथी तिमाही से दूरसंचार उद्योग मुनाफा दर्ज कर रहा है। चारों दूरसंचार कंपनियां और दूरसंचार उद्योग रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय कर रहे हैं।
तो फिर उद्योग हर समय राहत और रियायतों की मांग क्यों कर रहा है?
हर कंपनी की जिम्मेदारी है कि वह अपने नफा नुकसान और बहीखाते को खुद संभाले। मैं सभी दूरसंचार कंपनियों का बहुत सम्मान करता हूं और मुझे लगता है कि उन्होंने भारत में डिजिटल परिवेश को आगे बढ़ाने में जबरदस्त सेवा की है। अगर उन्हें कोई सलाह या सहायता लेनी हो तो सरकार के पास आने का पूरा अधिकार है।
सर्वोच्च न्चायालय ने कहा है कि अगर सरकार दूरसंचार कंपनियों को राहत देना चाहती है तो अदालत उसमें दखल नहीं देगी। इस पर आप क्या कहेंगे?
मुझे नहीं लगता उन्होंने ऐसा कहा है।
क्या वोडाफोन आइडिया एजीआर राहत पर सरकार से बातचीत कर रही है?
वोडाफोन आइडिया लंबे समय से सरकार से बातचीत करती रही है और हमने वोडाफोन में इक्विटी हिस्सेदारी भी ली है। वोडाफोन आइडिया में सरकार की हिस्सेदारी 49 फीसदी है और उसे बढ़ाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।
क्या दूरसंचार क्षेत्र में दो कंपनियों का वर्चस्व सरकार के लिए चिंता की बात है?
चाहे उपग्रह संचार हो या मोबाइल ब्रॉडबैंड अथवा इंटरनेट सेवा प्रदाता या दूरसंचार ऑपरेटर, मेरा काम तमाम कंपनियों को अवसर प्रदान करना है।
एयरटेल ने भी एजीआर बकाये को इक्विटी में बदलने के लिए सरकार से संपर्क किया था। इस पर क्या कहेंगे?
हर आवेदन का विभाग द्वारा अध्ययन किया जाएगा और उस पर निर्णय लिया जाएगा। सरकार से संपर्क करना हरेक पक्ष का अधिकार है और उस पर निर्णय लेना सरकार का अधिकार है।
तो क्या एयरटेल मामले में अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है?
नहीं।
बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए आगे क्या योजना है?
यह बिल्कुल स्पष्ट है। एमटीएनएल ने 1 जनवरी से अपनी सभी परिचालन जिम्मेदारियां बीएसएनएल को हस्तांतरित कर दी हैं। अभी हम मुंबई और दिल्ली दोनों में 4जी बीटीएस का निर्माण कर रहे हैं। अब एमटीएनएल में केवल उसका कर्ज बचेगा, जिसके पुनर्गठन के लिए हम बैंकों से बात करने जा रहे हैं। एमटीएनएल की भू-संपत्तियों का मुद्रीकरण भी किया जाएगा।
दूरसंचार कंपनियों ने उपग्रह स्पेक्ट्रम की कीमत पर ट्राई की सिफारिशों का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे सभी के लिए समान अवसर खत्म हो जाएगा। इस पर आप क्या कहेंगे?
स्थानिक और उपग्रह संचार बिल्कुल अलग-अलग प्रौद्योगिकी हैं। आप एक ऐसे उद्योग की तुलना कैसे कर सकते हैं जिसके पास केवल 45 लाख ग्राहक हैं जबकि भारत में ही 1.2 अरब ग्राहक मौजूद हैं?
ऑपरेटरों का कहना है कि अगली पीढ़ी के नॉन-जियोस्टेशनरी सैटेलाइट ऑर्बिट (एनजीएसओ) उपग्रह अब सीधे स्थानिक फिक्स्ड एवं मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
प्रौद्योगिकी हमेशा बदलती रहती है। क्या आप ऐसा कह रहे हैं कि प्रौद्योगिकी स्थिर है? मैंने हमेशा कहा है कि उपग्रहक प्रौद्योगिकी पूरक है। ग्राहकों को विकल्प देना मेरा काम है और मैं वैसा ही करूंगा।
तो क्या ट्राई की सिफारिशों की समीक्षा नहीं होगी?
ट्राई ने अपनी सिफारिशें दी हैं। अब दूरसंचार विभाग अध्ययन करेगा। विभाग कोई निष्कर्ष पर पहुंचेगा। उसी आधार पर हम प्रशासनिक तौर पर स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए आगे बढ़ेंगे।