झारखंड में केंद्र प्रायोजित त्वरित ग्रामीण जलापूर्ति कार्यक्रम (एआरडब्ल्यूएसपी) के तहत ग्रामीण आबादी को स्वच्छ और पर्याप्त जल मुहैया कराने के बुनियादी लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका है।
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार 2002-07 के दौरान कार्यक्रम क्रियान्वयन के संबंध में सफलता के लेखाजोखा से यह यह पता चला है कि राज्य में 13.54 लाख ग्रामीण लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध नहीं है। इसका कारण विलंब और गलत सर्वेक्षण तथा वार्षिक कार्रवाई योजना को परिचालन में नहीं लाना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सतत जल स्रोत के लिए कोई योजना नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना से संबध्द कोष के कुप्रबंधन और अत्यधिक खर्च के अलावा योजना को अमल में लाने में धीमी गति के कारण बुनियादी लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका है। वार्षिक कार्रवाई योजना के अभाव में जरूरत आधारित आबंटन नहीं किया जा सका। योजना के चयन में मानदंड को नजरअंदाज किया गया।
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यक्रम के तहत कम खर्च किए जाने के कारण राज्य सरकार केंद्र से 59.40 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त करने में भी नाकाम रही। कैग के मुताबिक 6.79 करोड़ रुपये के उपलब्ध कोष का उपयोग नहीं किए जाने के कारण ग्रामीण इलाकों में मौजूद 3,735 स्कूलों में पेय जल की सुविधा मुहैया नहीं कराई जा सकी।