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Holi 2025 Special: Mutual Funds पोर्टफोलियो को बनाएं रंगीन, रिस्क-रिटर्न से समझिये एसेट एलोकेशन का तरीका

जिस तरह होली में कई रंग मिलकर त्योहार की खूबसूरती बढ़ाते हैं, ठीक उसी तरह म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो में Diversification लाने से जोखिम कम होता है और संभावित रिटर्न बढ़ता है।

Last Updated- March 27, 2025 | 7:40 PM IST
Holi Mutual Fund

Holi 2025, Make your Mutual Funds portfolio colorful: होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि संतुलन, विविधता और सामंजस्य का प्रतीक भी है। और यही फॉर्मूला आपके निवेश पर भी लागू होता है! निवेश की दुनिया में जोखिम (Risk) और रिटर्न (Return) के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होती है। जिस तरह होली में कई रंग मिलकर त्योहार की खूबसूरती बढ़ाते हैं, ठीक उसी तरह म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो (Mutual Fund Portfolio) में विविधता (Diversification) लाने से जोखिम कम होता है और संभावित रिटर्न बढ़ता है। बाजार के उतार-चढ़ाव में टिके रहने और अपने पोर्टफोलियो को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक अच्छी तरह से स्ट्रक्चर्ड एसेट एलोकेशन स्ट्रैटजी (Structured Asset Allocation Strategy) अपनाना जरूरी है। सही एसेट एलोकेशन आपके पोर्टफोलियो को बैलेंस और डायवर्सिफाइड बनाकर बेहतरीन रंगो से सजा सकती है।

डायवर्स (रंगीन) पोर्टफोलियो की अहमियत

BPN Fincap के डायरेक्टर ए के निगम के अनुसार, डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो किसी एक निवेश विकल्प पर अत्यधिक निर्भरता से बचने में मदद करता है। विभिन्न एसेट क्लास, सेक्टर और भौगोलिक क्षेत्रों में निवेश करने से जोखिम कम होता है, क्योंकि इससे किसी एक एसेट पर निर्भरता नहीं रहती। साथ ही, अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश करने से संभावित रिटर्न बढ़ता है, क्योंकि यह निवेशकों को अधिक विकास के अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा, एक संतुलित और डायवर्स पोर्टफोलियो बाजार के उतार-चढ़ाव को बेहतर तरीके से संभाल सकता है।

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कैसी हो आपकी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी- एक्टिव या पैसिव?

Moneyfront के CEO और MD मोहित गांग कहते हैं कि निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का तरीका उनकी स्ट्रैटेजी और समय देने की क्षमता पर निर्भर करता है। कुछ निवेशक एक्टिव रूप से एसेट एलोकेशन का प्रबंधन कर सकते हैं, जबकि कुछ पैसिव अप्रोच अपनाना पसंद करते हैं। जहां एक्टिव निवेशक खुद इक्विटी, डेट और गोल्ड/सिल्वर फंड्स में बैलेंस बनाकर निवेश कर सकते हैं, वहीं पैसिव निवेशकों के लिए हाइब्रिड, बैलेंस्ड एडवांटेज और मल्टी एसेट फंड्स एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं। आइए, समझते हैं कि कौन-सी स्ट्रैटेजी आपके निवेश लक्ष्य के लिए उपयुक्त हो सकता है।

1. सक्रिय निवेशकों (Active Investors) के लिए: वे निवेशक जो खुद से एसेट एलोकेशन तय कर सकते हैं, वे इक्विटी, डेट और गोल्ड/सिल्वर फंड्स में निवेश कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई निवेशक 50% इक्विटी, 30% डेट और 20% गोल्ड/सिल्वर फंड में निवेश करता है, तो वह पिछले एक साल में 8.5% का औसत रिटर्न कमा सकता था, जबकि इक्विटी मार्केट में उतार-चढ़ाव ज्यादा रहा।

2. निष्क्रिय निवेशकों (Passive Investors) के लिए: जो निवेशक बहुत ज्यादा पोर्टफोलियो मैनेज नहीं कर सकते, उनके लिए हाइब्रिड, बैलेंस्ड एडवांटेज और मल्टी एसेट फंड्स एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। ये फंड्स विभिन्न एसेट क्लास के बीच संतुलन बनाए रखते हैं और पेशेवर फंड मैनेजर सही एलोकेशन तय करते हैं। हालांकि, इन फंड्स में कराधान (Taxation), एसेट एलोकेशन और निवेश रणनीति अलग-अलग होती है, जिसे निवेशकों को समझना जरूरी है।

रिस्क-रिटर्न से समझिये एसेट एलोकेशन का तरीका

ए के निगम के अनुसार, निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता (Risk Tolerance), निवेश की अवधि (Investment Horizon) और वित्तीय लक्ष्य (Financial Goals) एसेट एलोकेशन की स्ट्रैटेजी को प्रभावित करते हैं।

कुछ सामान्य एसेट एलोकेशन फ्रेमवर्क:

1. कंजर्वेटिव (कम जोखिम लेने वाले निवेशकों के लिए)

डेट (Fixed Income): 60%-80%
इक्विटी (Equity): 20%-40%
अल्टरनेटिव्स (जैसे, गोल्ड, REITs): 0%-10%

2. मॉडरेट (मध्यम जोखिम लेने वाले निवेशक के लिए)

डेट: 40%-60%
इक्विटी: 40%-60%
अल्टरनेटिव्स: 0%-20%

3. एग्रेसिव (ज्यादा जोखिम लेने वाले निवेशक के लिए)

डेट: 20%-40%
इक्विटी: 60%-80%
अल्टरनेटिव्स: 0%-30%

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कौन सी एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी बेहतर है?

मोहित गांग का मानना है कि कोई भी एसेट एलोकेशन स्ट्रैटेजी सभी निवेशकों के लिए आदर्श नहीं हो सकती, क्योंकि हर निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता और वित्तीय लक्ष्य अलग-अलग होते हैं। हालांकि, सामान्य रूप से 50-30-20 मॉडल एक संतुलित दृष्टिकोण प्रदान करता है, जहां 50% निवेश इक्विटी में किया जाता है ताकि दीर्घकालिक वृद्धि सुनिश्चित हो, 30% डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है जिससे पोर्टफोलियो में स्थिरता बनी रहे, और 20% कमोडिटी (गोल्ड/सिल्वर/REITs) में निवेश कर विविधता और जोखिम को कम करने में मदद करता है।

मौजूदा बाजार को ध्यान में रखते हुए इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी

व्हाइटओक कैपिटल एएमसी के डायरेक्टर और हेड सेल्स वैभव चुग का मानना है कि मौजूदा उतार-चढ़ाव भरे माहौल में भी निवेशकों के लिए यह इक्विटी में कदम बढ़ाने का बेहतरीन मौका है। उन्होंने कहा, “जैसे पेंडुलम वापस अपनी जगह लौटता है, वैसे ही बाजार भी समय के साथ अर्निंग्स और ग्रोथ की ओर रुख करता है।” उन्होंने कहा कि भले ही फिलहाल बाजार को लेकर डर बना हुआ है, लेकिन अब यह विश्वास बढ़ रहा है कि बाजार का निचला स्तर आसपास ही है। ऐसे में लार्जकैप और क्वालिटी कंपनियों में निवेश की सलाह दी जा सकती है। चुग ने आगे कहा, “कोई भी बाजार का स्तर सटीक नहीं बता सकता, लेकिन इस समय लार्ज कैप शेयरों और मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स में निवेश करने से रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न बेहतर हो सकता है।”

वेंचुरा के डायरेक्टर जुजेर गबाजीवाला का कहना है कि जो निवेशक अब तक बाजार में करेक्शन का इंतजार कर रहे थे। उनके लिए यह पोर्टफोलियो बनाना शुरू करने का सही समय है। अगर आप कंज़र्वेटिव हैं तो लार्जकैप फंड्स में SIP शुरू करना अच्छा रहेगा और अगर जोखिम लेने को तैयार हैं तो मल्टीकैप फंड्स में SIP करें। जो लोग पहले से निवेश कर रहे हैं, उन्हें अपनी SIP बिल्कुल बंद नहीं करनी चाहिए। अभी नहीं तो कब? इस वक्त SIP रोकना बहुत ही गलत फैसला होगा। बाजार में उतार-चढ़ाव जरूर है, लेकिन ऐसे ही समय में सबसे अच्छे निवेश के मौके मिलते हैं। फिलहाल एकमुश्त निवेश करने से बचें।

विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा बाजार परिस्थितियों में स्मार्ट एसेट एलोकेशन ही सफल निवेश की कुंजी है। बढ़ती ब्याज दरों को देखते हुए, निवेशकों को फ्लोटिंग रेट डेट इंस्ट्रूमेंट्स या शॉर्ट-टर्म डेट फंड्स को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच एक संतुलित पोर्टफोलियो बनाए रखना जरूरी है, ताकि जोखिम को नियंत्रित किया जा सके। वहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज विकास दर को ध्यान में रखते हुए उन सेक्टरों में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है, जो लंबे समय तक मजबूती से ग्रोथ कर सकते हैं।

(डिस्कलेमर: कृपया ध्यान दें कि यह एक सामान्य मार्गदर्शन है। लेख में व्यक्त विचार निजी है। ये निवेश की सलाह नहीं है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)

First Published - March 13, 2025 | 4:14 PM IST

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