पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण का मतदान गुरुवार को होना है और इसी दिन सिंगुर और नंदीग्राम में वोट डाले जाने हैं।
आमतौर पर तो राज्य में चुनावी समीकरण काफी हद तक स्थिर नजर आते हैं पर इस दफा औद्योगीकरण की हवा बहने से सिंगुर और नंदीग्राम में भी हलचल पैदा हुई है।
राज्य की 17 संसदीय सीटों के लिए 7 मई को वोट डाले जाने हैं और इस दफा यहां राजनीति काफी हावी है। वाम मोर्चा तृणमूल कांग्रेस को उद्योग और अर्थव्यवस्था का विरोधी बताते हुए पार्टी के खिलाफ चुनाव अभियान में जुटा है।
वहीं इस बारे में तृणमूल की नेता ममता बनर्जी की दलील है कि उनकी पार्टी औद्योगीकरण के खिलाफ नहीं है लेकिन इसकी आड़ में किसानों के हितों को दरकिनार भी नहीं किया जा सकता है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बड़ी चतुराई के साथ इस दफा नैनो के दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है।
कोलकाता के साथ साथ दूसरी जगहों पर भी नैनो के पोस्टर लगाए गए हैं और उसके साथ यह नारा लिखा गया है कि जो लोग नैनो को यहां से निकालकर गुजरात भेजने के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें जनता जरूर सजा देगी। पिछले कुछ दिनों में इस बात पर नंदीग्राम में जो झड़पें हुई हैं उनसे तो यही लगता है कि मतदान वाले दिन हिंसा की कुछ घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।
पिछले दिनों सिंगुर में चुनाव प्रचार में जुटीं बनर्जी ने औद्यागीकरण के मसले को बड़ी चतुराई के साथ उठाया। हुगली में डनलप की बंद पड़ी फैक्टरी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग खुद को औद्योगीकरण का बादशाह मानते हैं, उन्होंने दरअसल राज्य में बंद और बीमार पड़ी इकाइयों के लिए कुछ किया ही नहीं है।
पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण के तहत मुर्शिदाबाद, नादिया, हावड़ा, बर्द्धमान, पूर्वी मिदनापुर और बिरभूम जिले में मतदान होने हैं। नंदीग्राम और सिंगुर क्रमश: पूर्वी मिदनापुर और हुगली जिले के अंदर आते हैं और पिछले साल यहां के पंचायत और निगम के चुनावों से यह साफ हो चुका है कि यहां के लोग वाम मोर्चे की औद्योगीकरण की नीति से काफी हद तक प्रभावित हैं।
यही वजह है कि इस बार वाम मोर्चे पर उन सीटों को दोबारा से जीतने का दबाव होगा जिन्हें पार्टी पिछली दफा अपने कब्जे में करने में कामयाब रही थी। माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य श्यामल चक्रवर्ती ने भरोसा जताया कि 30 अप्रैल को जिन 14 सीटों के लिए वोट डाले गए थे उनमें से कम से कम 9 सीटों पर पार्टी इस बार भी अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहेगी।
हालांकि पार्टी को दार्जिलिंग और दक्षिण मालदा सीटें जीतने की कोई उम्मीद नहीं है और रायगंज, बालुरघाट और उत्तरी मालदा सीट को लेकर भी पार्टी पशोपेश में है। वहीं विपक्ष खासतौर पर भाजपा अलीपुरद्वार में किसी चौंकाने वाले नतीजे की उम्मीद कर रहा है जहां जनजातियों ने मतदान का बहिष्कार किया था।
