आगरा में बिजली वितरण का अधिकार पाने के लिए रिलायंस और टोरेंट समेत चार प्रमुख कंपनियों ने बोलियां जमा की हैं।
इस वितरण अधिकार को पाने की दौड़ में पीएनसी इन्फ्रास्ट्रक्चर और टाटा समूह की कंपनी जमशेदपुर यूटिलिटीज ऐंड सर्विसेज कंपनी लिमिटेड भी शामिल हैं। इस वित्तीय बोली का खुलासा बुधवार को बरेली के लिए तकनीकी बोली के साथ किया जाएगा।
इसके पहले टोरेंट पावर को पिछले हफ्ते ही कानपुर में बिजली वितरण के लिए अभिरुचि पत्र दिया जा चुका है। फिलहाल कानपुर में बिजली वितरण का अधिकार उत्तर प्रदेश विद्युत निगम लिमिटेड की सब्सिडरी कंपनी केसको के पास है।
कानपुर में करीब 4,87,000 ग्राहक हैं और यहां बिजली की सालाना खपत एक अरब इकाई से भी अधिक है। राज्य को विद्युत क्षेत्र से सालाना करीब 600 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है।
कानपुर के लिए टोरेंट ने प्रति यूनिट 2.17 की दर से सबसे अधिक की बोली लगाई थी। इसके बाद दूसरी सबसे अधिक बोली जेयूएससीओ की थी जिसने प्रति यूनिट 2.16 की दर से बोली लगाई थी। टोरेंट पावर के पास महाराष्ट्र के भिवंडी में भी विद्युत वितरण का अधिकार है।
कंपनी के निदेशक मुरली रंगनाथन का दावा है कि यहां लाइन और वितरण नुकसान को काफी हद तक कम किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि टोरेंट और यूपीपीसीएल के बीच 45 दिनों के अंदर एक औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने हैं जिसके बाद कंपनी को वितरण के अधिकार सौंप दिए जाएंगे।
विद्युत कर्मचारी इस बोली प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने कानपुर, आगरा और बरेली में कार्य बहिष्कार कर दिया है। राज्य सरकार विद्युत क्षेत्र में कारगरता बढ़ाने के लिए पहले चरण में राज्य के कानपुर, आगरा, बरेली और मोरादाबाद जैसे शहरों में बिजली की आपूर्ति के लिए फ्रैंचाइजी मॉडल को अपनाने पर जोर दे रही है।
फ्रैंचाइजी को तय किए गए दर पर विद्युत इकाइयां दी जाएंगी जिनका वितरण उनके जिम्मे होगा। इनकी कमाई का जरिया ग्राहकों से प्राप्त राजस्व होगा, जिसके इस्तेमाल से वे यूपीपीसीएल को भुगतान कर सकेंगी। गोरखपुर और मुरादाबाद के लिए बोली जमा करने की आखिरी तारीख 25 मार्च है।
