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हर खेत की होगी अपनी कृषि नीति

Last Updated- December 07, 2022 | 12:42 AM IST

देश में किसानों को राजधानी में बैठकर तैयार की गई कृषि नीति और मौसम की भविष्यवाणी से छुटकारा मिलने वाला है।


केन्द्र सरकार की एक पहल के तहत अब मौसम विज्ञानी और कृषि विशेषज्ञ हिमालय क्षेत्र सहित देश के विभिन्न हिस्सों में जाकर वहां के हालात का जायजा लेकर उसके अनुरूप नीतियां तैयार करने की कवायद में जुटे हैं।

देश में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के तहत केन्द्र सरकार के भूविज्ञान मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि विभिन्न मंत्रालयों द्वारा समय समय पर जारी की जाने वाली मौसम आधारित कृषि सलाह सेवा (एएएस) को क्षेत्रीय आधार पर तैयार किया जाना चाहिए। सूचनाओं को एक स्थान पर ही उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया गया है।

नई प्रणाली से पहले देश में दो संगठनों द्वारा एएएस जारी करते थे। ये संगठन भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकॉस्टिंग हैं। हालांकि इनकी सेवाओं में कुछ खामियां भी थीं। नई पहल के तहत आईएमडी को स्थानीय मौसम दशाओं और खेतीबाड़ी के तौर तरीकों के आधार पर मौसम का पूर्वानुमान बताने का निर्देश दिया गया है।

देहरादून स्थित मौसम विभाग के निदेशक आनंद शर्मा ने बताया कि ‘योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय मौसम दशाओं और खेती के तरीकों के आधार पर हर क्षेत्र के लिए अगल से मौसम का पूर्वानुमान जारी करना है। इससे किसानों को अपने इलाके और फसल की जरुरतों के अनुसार मौसम आधारित कृषि जानकारी मिल सकेगी और किसान जलवायु, जमीन और सिंचाई के संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर सकेंगे।’ नई एएएस प्रणाली एक जून से काम करने लगेगी।

हिमालय क्षेत्र की विविधतापूर्ण भौगोलिक बनावट को ध्यान में रखते हुए आईएमडी प्रत्येक जिले के लिए अलग से मौसम का पूर्वानुमान जारी करेगा। हिमालय क्षेत्र में बहुत कम अंतर पर ही मौसम बदल जाता है। उत्तराखंड के सभी 13 जिलों से मौसम आधारित कृषि सूचना जारी की जाएंगी। शर्मा ने बताया कि नई प्रणाली के लागू होने के बाद बागेश्वर और पिथौड़ागढ़ जैसे दूरदराज के जिलों के किसानों को भी क्षेत्रीय पूर्वानुमान का फायदा मिल सकेगा।

यह प्रणाली बेहतर ढंग से काम कर सके इसके लिए डिजिटल मेट्रोलॉजिकल डेटा डिसीमिनेशन सिस्टम (डीएमडीडीएस) और हाई स्पीड डेटा टर्मिनल (एचएसडीटी) जैसी बेहतरीन प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। एचएसडीटी को आईएमडी के प्रत्येक कार्यालय में स्थापित किया जा रहा है ताकि जिला स्तर पर पूर्वानुमान और कृषि सलाहकार सेवा में सुधार लाया जा सके।

इसके अलावा मौसम के पूर्वानुमान के लिए टेलीफोन के जरिए इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम (आईवीआरएस) की भी स्थापना की जा रही है। पूरी परियोजना का क्रियान्वयन पांच स्तरीय प्रणाली के जरिए किया जा रहा है। इसमें केन्द्रीय स्तर पर एक समन्वयक सेल की स्थापना की गई है जो नई एकीकृत प्रणाली के जरिए पूरी गतिविधियों की लगातार निगरानी करेगी।

परियोजना में आईएमडी पुणे स्थित नेशनल एग्रोमेट सर्विस, राज्य पर पर एग्रोनेट सेवा केन्द्र और कृषि मौसम क्षेत्र इकाइयां (एएमएफयू) भी शामिल हैं। इसके अलावा आईएमडी जिला स्तर पर स्वयं सेवी संगठनों, कृषि विज्ञान केंद्रों और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसियों की मदद भी लेगा। ये संस्थाएं बेहतर उपज के लिए सही कृषि पद्धति के चुनाव में लोगों की मदद करेंगी।

First Published - May 20, 2008 | 9:34 PM IST

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