facebookmetapixel
भारी बारिश और चक्रवात मोंथा से कपास उत्पादन 2% घटने का अनुमान, आयात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीदSpicejet Q2FY26 results: घाटा बढ़कर ₹635 करोड़ हुआ, एयरलाइन को FY26 की दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीदRetail Inflation: खुदरा महंगाई अक्टूबर में घटकर कई साल के निचले स्तर 0.25% पर आई, GST कटौती का मिला फायदाGold ETFs में इनफ्लो 7% घटकर ₹7,743 करोड़ पर आया, क्या कम हो रही हैं निवेशकों की दिलचस्पी?चार्ट्स दे रहे ब्रेकआउट सिग्नल! ये 5 Midcap Stocks बना सकते हैं 22% तक का प्रॉफिट₹60 के स्मॉलकैप Metal Stock पर मिल सकता है 80% रिटर्न, ब्रोकरेज बोले – खरीदों; एंट्री का सही वक्तरूस से तेल सप्लाई रुकी तो क्या फिर बढ़ेंगे दाम? एक्सपर्ट बता रहे क्या होगा आगेHAL Q2FY26 results: पीएसयू डिफेंस कंपनी का मुनाफा 10% बढ़कर ₹1,669 करोड़, रेवेन्यू भी 11% बढ़ाAshok Leyland ने Q2 में किया धमाका! ₹9,588 करोड़ का रेवेन्यू, डिविडेंड का दिया तोहफाGemini AI विवाद में घिरा गूगल! यूजर्स की प्राइवेसी लीक करने के आरोप

धुनाई मिलों पर प्रवेश शुल्क की मार

Last Updated- December 07, 2022 | 11:02 AM IST

मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में कपास धुनाई इकाइयों की बदहाली दूर होने की रही सही कसर भी दम तोडती हुई नजर आ रही है।


राज्य सरकार ने हाल में इन इकाइयों को कपास के प्रवेश शुल्क पर दी जा रही छूट को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में सभी कपास मिलों को प्रवेश शुल्क से मुक्त करने की घोषणा की थी। मध्य प्रदेश की कताई मिलों को पड़ोसी राज्यों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड रहा है।

पड़ोसी राज्यों में मिलों को कपास मंगाने पर किसी तरह का प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ता है। मध्य प्रदेश में सभी तरह के फाइबर का विनिर्माण करने वाली मिलों को प्रवेश शुल्क से छूट मिली हुई है, लेकिन वाणिज्य कर विभाग ने यह छूट धुनाई उद्योग को देने से इनकार कर दिया है। सेंधवा कपास संघ के सचिव गोपाल तायल ने बताया कि ‘इस फैसले के बाद हमारे लिए उद्योग को बचाए रखना काफी मुश्किल हो गया है। पड़ोसी राज्य हमारे कारोबार को हड़प रहे हैं। मजदूर दूसरे राज्यों में जा रहे है।

यदि सरकार हमारी कुछ मदद करे तो ही मिलों की हालत दुरुस्त हो सकती है। हम एक बार फिर सरकार से कर राहत की गुहार लगाएंगे।’ सेंघवा में बड़ी संख्या में कपास धुनाई की मिलें हैं। सेंधवा की सीमा महाराष्ट्र से लगी हुई है। बीते साल एसोसिएशन ने मंडी कर के मुद्दे को उठाया था। मंडी कर को अब 2 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया है। सेंधवा  के धुनाई उद्योग का कुल कारोबार 100 करोड़ रुपये है। सेंधवा मंडी में कपास की आवक इस साल 36 प्रतिशत घटकर 2180 टन हो गई है जो बीते साल 3413 टन था।

क्षेत्र में कुल 24 धुनाई मिलें हैं और प्रत्येक को कम से कम 2500 गांठों की जरूरत होती है। तायल ने बताया कि बिजली आपूर्ति में बाधा, बिजली की अधिक दर और अन्य दिक्कतों से भी उद्योग को जूझना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि मुकाबले में बने रहने के लिए जरूरी है कि राज्य सरकार उद्योग को विशेष रियायतें दे। इस साल सेंधवा, कुकशी, धार, मानावार और खेतिया की मंडियों में भी कपास की आवक घटने की खबर आ रही है।

First Published - July 14, 2008 | 10:32 PM IST

संबंधित पोस्ट