ठंड के मौसम में ही मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल समेत 100 से अधिक शहरों में जल संकट इस कदर गहराता जा रहा है कि राज्य के अधिकारी आने वाले दिनों में पानी के कोहराम से बचने के लिए अभी से ही नए नए तरीके ढूंढ़ने लगे हैं।
मालवा पठार में जलस्तर दिनों दिन नीचे जाता जा रहा है और इसे देखते हुए अधिकारी जल संरक्षण के ऐसे उपाय ईजाद करने में जुटे हैं जिन्हें अब तक देखा नहीं गया था।
अधिकारी इंदौर के बड़े होटलों में पानी के व्यावसायिक इस्तेमाल (इसमें आलीशान होटलों में बाथ टबों में पानी के इस्तेमाल पर रोक लगाना भी शामिल है) पर लगाम कसने पर विचार कर रहे हैं।
स्थानीय निगम पार्षदों ने पानी के व्यावसायिक इस्तेमाल पर निगरानी रखने की जद्दोजहद को ‘आपातकाल’ का नाम दिया है। इसके तहत इंदौर में निर्माण कार्य, कारों की धुलाई और बागानों को सींचने के लिए पीने योग्य पानी का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है।
स्थानीय स्व सरकार विभाग के प्रधान सचिव राघव चंद्रा ने बताया, ‘इनमें सभी होटलों, घरों और फैक्टरियों को शामिल किया गया है।’
व्यापारियों और कारोबारी अधिकारियों को इनमें से कुछ सुझाव और प्रतिबंध अटपटे लग सकते हैं पर अधिकारियों के पास पानी की किल्लत को रोकने के लिए जल आपूर्ति को सीमित करने, जल स्त्रोतों को प्रशासनिक अधिकार में लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
इंदौर में पानी का संकट इस कदर गहराने की एक वजह पिछले कुछ सालों में सामान्य से कम बारिश होना भी है। इंदौर नगर निगम के आयुक्त सी बी सिंह ने बताया, ‘हमने पीने के पानी के ऐसे स्त्रोतों की पहचान कर ली है जिनका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है।
जल्द ही पानी के बेतहाशा और व्यावसायिक इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी जाएगी। ऐसे बोरिंग वेल को जब्त कर प्रशासन के नियंत्रण में ले लिया जाएगा, जिनका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है।’ सामान्यत: इंदौर में हर साल 1092 मिलीमीटर वर्षा होती है पर इस साल यह केवल 517 एमएम ही रही है।
यही वजह है कि शहर को यशवंत सागर बांध से पहले हर दिन जहां 4.5 करोड़ लीटर पानी मिलता था, वहीं अब यह घटकर 16 एमएलडी रह गया है। शहर को हर दिन करीब 19 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है, पर शहर को फिलहाल केवल 18 करोड़ लीटर पानी ही मिल पा रहा है।
वहीं राज्य की राजधानी और झीलों के शहर भोपाल का हाल भी कुछ ऐसा ही है। शहर में ताजे पानी का प्रमुख स्त्रोत अपर लेक सूखने के कगार पर है। प्रशासन की ओर से ऐसे संकेत मिले हैं कि राज्य सरकार ने सिंचाई के लिए जल आपूर्ति पर आंशिक रोक लगा दी है।
दरअसल शहर को 45 फीसदी जल आपूर्ति इसी झील से होती है जो अब घटकर महज 10 फीसदी रह गई है। चंद्रा ने बताया, ‘इस मुश्किल समय में जल व्यवस्था पर निगरानी के लिए हमने एक आपातकालीन योजना तैयार की है।
शहर को पर्याप्त जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए करीब 500 चापाकलों की जरूरत होगी। इंदौर में हालात से निपटने के लिए स्थानीय नगर निगम कुछ और आपातकालीन उपायों पर विचार कर रहा है।’