होटल वाइल्डफ्लावर हॉल ओबेरॉय होटल समूह की सबसे प्रमुख संपत्तियों में से एक है।
लेकिन इस शानदार होटल के संपत्ति संबंधी वित्तीय प्रबंध को लेकर ओबेरॉय होटल समूह और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए हैं। इस वजह से अब इस होटल का भविष्य अनिश्चितता में नजर आ रहा है।
राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि होटल के तीन सरकारी निदेशकों सहित राज्य मुख्य सचिव की यहां हाल ही में आयोजित वार्षिक बोर्ड बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया कि इस साल खातों को पारित नहीं किया जाएगा।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि होटल द्वारा कथित तौर पर 80 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया गया है जबकि पूंजीगत खर्च 46 करोड़ रुपये का है। राज्य सरकार ने 1993 में इस प्रापर्टी के लिए ओबेरॉय समूह के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाया।
जल्द ही इस समूह में राज्य सरकार की हिस्सेदारी 35 फीसदी से घटकर 21 फीसदी रह गई। नए होटल का परिचालन 2002 में शुरू हुआ था लेकिन इसी बीच परियोजना की लागत को लेकर राज्य सरकार और ओबेरॉय समूह के बीच मतभेद पैदा हो गए।
राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रॉपर्टी के अधिग्रहण की कोशिश की। जब से यह संयुक्त उद्यम बना है तब से होटल परियोजना को घाटे का सामना करना पड़ रहा है।