असम में बर्ड फ्लू का असर गहराने से राज्य के मुर्गीपालकों और कारोबारियों को रोजाना 2.21 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
ऑल असम पोल्ट्री फारमर्स एसोसियशन (आपफा) के मुताबिक, पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े राज्य के करीब 5.5 लाख लोगों की रोजी-रोटी का जुगाड़ प्रभावित हुआ है। इस बीच खबर है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में करीब 25 हजार मुर्गियां मारने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
आपफा के अध्यक्ष राजीव सरमा ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि असम के पोल्ट्री उद्योग को इस बीमारी के चलते अब तक करीब 60 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
सरमा ने बताया कि उन गरीब परिवारों की हालत बिल्कुल दयनीय हो गई है जो रोजी-रोटी के लिए मुर्गियों के कारोबार पर निर्भर करती है। इतना ही नहीं उन इलाके के मुर्गी उत्पादकों की हालत भी खराब है, जहां इस बीमारी ने अपने पांव नहीं फैलाए हैं।
ऐसा इसलिए कि इनकी मुर्गियां भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है और न ही बाजार में मुर्गियों को खिलाने के लिए भोजन उपलब्ध है। उनके अनुसार, साल में दो बार बर्ड फ्लू का आक्रमण होने से बगैर सरकारी सहायता के इन किसानों का पोल्ट्री कारोबार में लौट पाना बहुत मुश्किल है।
सरमा ने सरकार से अपील की है कि उसे प्रभावित पोल्ट्री उत्पादकों के पुर्नवास का काम जल्द शुरू करना चाहिए। उनके मुताबिक, बड़े या छोटे सभी पोल्ट्री उत्पादकों की पूंजी इस समय खत्म हो चुकी है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह कोई पुर्नवास कार्यक्रम लेकर सामने आए ताकि इन उत्पादकों की हालत में सुधार हो सके।
उन्होंने कहा कि यदि ऐसा न हुआ तो आधे से ज्यादा मुर्गीपालकों का धंधा चौपट हो जाएगा। सरमा के मुताबिक, मौजूदा हालात में तो किसी भी पोल्ट्री उत्पादक को कोई बैंक कर्ज नहीं देगा। हम सरकार से मांग करते हैं कि प्रभावित उत्पादकों के हित में वह कोई कदम उठाए। ताकि इस कारोबार को दुबारा शुरू करने के लिए पैसे का इंतजाम हो सके।
उनकी यह मांग भी है कि इस कारोबार में मुनाफा ज्यादा होने से अब तक पोल्ट्री के धंधे से जुड़े लोगों को सुअर पालन या बकरी पालन से न जोड़ा जाए। गौरतलब है कि बर्ड फ्लू सबसे पहले असम के कामरूप जिले में 27 नवंबर को पाया गया था। उसके बाद तेजी से इसका फैलाव पूरे राज्य में हुआ है।
ताजा मिली सूचना के मुताबिक, बर्ड फ्लू ने अपने पांव अब गुवाहाटी शहर, बारपेटा और बोंगाईगांव में भी फैला लिए हैं। इतना ही नहीं खबर तो यह भी है कि इस विषाणु से कुछ लोगों के भी प्रभावित होने की खबर है।
सरमा के मुताबिक, राज्य की 60 फीसदी मुर्गियां बर्ड फ्लू से अप्रभावित इलाकों में फैली हैं पर भोजन के अभाव और इनकी खरीद-बिक्री पर लगे प्रतिबंध के चलते इन इलाके के उत्पादकों की हालत भी खराब है।
उन्होंने मांग की है कि जिनकी मुर्गियां मारी जा रही है, सरकार उन्हें थोड़ी-बहुत मुआवजा दे। सरमा ने सरकार से मांग की है कि चूंकि मुर्गियों के भोजन पोल्ट्री उत्पाद नहीं होते, इसलिए उसे बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए। नहीं तो दाना-पानी के अभाव में मुर्गियों के मरने पर किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए।
इस बीच असम सरकार ने कहा है कि राज्य में हालात नियंत्रण में है। सरकार के मुताबिक, राज्य के 6 जिलों के 9 जगहों पर 35 लाख से अधिक मुर्गियां अब तक मारी जा चुकी है। जबकि इसके एवज में उत्पादकों को 2 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा दिया जा चुका है।
इस बीच पश्चिम बंगाल के पशु संसाधन विकास मंत्री अनीसुर रहमान ने बताया कि सतर्कता के तहत पोल्ट्री उत्पादों के मालदा से बाहर भेजने पर पाबंदी लगा दी है। उनके मुताबिक, राज्य सरकार इस विषाणु का प्रसार रोकने के हरसंभव उपाय कर रही है। इस बीच केंद्र सरकार ने भी मुर्गियों के मारे जाने पर मिलने वाली मुआवजा में बढ़ोतरी कर दी है।
