चीनी उद्योग की मिठास में तेजी की संभावना ने बिहार में निवेश की चासनी लपटने का काम किया है।
पिछले दो महीनों से निवेश की इच्छुक चीनी मिल जल्द ही बिहार में अपना काम शुरू करने जा रही हैं। इनमें एक दो नहीं बल्कि 20 से अधिक चीनी मिलों का प्रस्ताव शामिल हैं। इन मिलों के शुरू होने से निवेश से महरूम बिहार में 3500 करोड़ रुपये से भी अधिक के निवेश की उम्मीद है।
बिहार के औद्योगिक विकास आयुक्त एके सिन्हा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि चीनी में तेजी के रुख से निवेश की इच्छुक मिलों के कामों में सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। और जल्द ही कई मिलों के काम शुरू होने की उम्मीद की जा रही है। सिन्हा की इस बात की पुष्टि दिल्ली स्थित सुप्रभातम सुगर इंडस्ट्रीज ने भी की।
इस इंडस्ट्री के प्रबंधक बी दास कहते हैं, ‘हम लोग अगले माह से बिहार में चीनी मिल का काम आरंभ कर रहे हैं। निश्चित रूप से चीनी की कीमत में तेजी की संभावना से मिल के काम में तेजी आएगी।’ सुप्रभातम बिहार के दानापुर के पास 5000 टीसीडी क्षमता वाली चीनी मिल स्थापित करने जा रही है और इस मद 230 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इसके अलावा इंडस्ट्री मधुबनी में भी चीनी मिल लगाने की योजना बना रही है। दिल्ली में अपने मुख्यालय रखने वाले इंडियन ग्लाइकॉल्स लिमिटेड एवं धामपुर शुगर भी बिहार में चीनी मिल स्थापित करने जा रही हैं। ग्लाइकॉल्स 550 करोड़ रुपये तो धामपुर की तरफ से 185 करोड़ रुपये निवेश की योजना है।
चीनी मिल के नाम पर निवेश की इच्छुक कंपनियों में कोलकाता, कोयम्बटूर एवं हैदराबाद की भी कंपनियां भी शामिल हैं। हालांकि इन कंपनियों में 11 कंपनियां बिहार की हैं।
सिन्हा के मुताबिक इन मिलों को बिहार सरकार की तरफ से हरी झंडी मिल चुकी है और अब सिर्फ कुछ औपचारिकताएं ही बची हैं। और जल्द ही इसका भी निपटान कर लिया जाएगा। चीनी का उत्पादन देश में लगातार घटता जा रहा है।
वर्ष 2006-07 के दौरान कुल 283.28 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2007-08 में घटकर 263 लाख टन पर सिमट गया। गन्ने के उत्पादन में कमी को देखते हुए इस साल और अधिक गिरावट की आशंका है। चीनी का विश्व उत्पादन भी वर्ष 2008-09 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 5 फीसदी कम रहने का अनुमान है।
बिहार में जिन कंपनियों ने चीनी मिल लगाने की इच्छा जाहिर की हैं उनमें राजश्री शुगर (283 करोड़ रु), बालमुकुन्द लीजफीन (202 करोड़ रु), जयगंगला शुगर (196 करोड़ रु), बिहार सहकारी चीनी मिल फेडरेशन (180 करोड़ रु), कमलापुर शुगर (487 करोड़ रु), जीएम इंडस्ट्रीज (220 करोड़ रु), और मौर्या शुगर (241 करोड़ रु) आदि शामिल हैं।