कोलकाता के बड़ा बाजार क्षेत्र में स्थित कमर्शियल कांप्लेक्सों और थोक विक्रेता बाजारों में आग लगने की घटना अब आम हो गई है।
हालांकि इन घटनाओं से एक बात तो स्पष्ट है कि यहां के दुकानदारों के पास बीमा न के बराबर है। बीमा क्षेत्र के अधिकारियों की मानें तो बड़ा बाजार क्षेत्र में स्थित बाजारों में बीमा कराने वाले दुकानदारों की संख्या एक फीसदी से भी कम है।
अधिकारियों ने बताया कि उचित स्वामित्व वाले दस्तावेजों की कमी और दुकान मालिकों में बीमा को नजरअंदाज करने की आम प्रवृति के कारण ही यहां बीमाधारकों की संख्या इतनी कम है। राष्ट्रीय बीमा कंपनी लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक वी रामासामी ने बताया, ‘उचित दस्तावेजों की कमी की वजह से ही यहां के दुकान मालिक बीमा नहीं करवा पा रहे हैं और यही सबसे बड़ी बाधा भी है।
दुकानदारों को अपने सामान का उचित रिकार्ड रखना बेहद जरूरी है। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में उनके समक्ष मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।’ एक अहम बात यह भी है कि प्रीमियम दरें कमर्शियल बिल्डिंग और मार्केट की मौजूदा स्थिति पर निर्भर करती है यानी बिजली तारों की गुणवत्ता, सुरक्षा उपायों और पानी की सुविधाओं जैसी आधारभूत चीजों पर ध्यान दिया बहुत जरूरी है। इसके बीच शहर के अधिकांश पुराने बाजारों में भवनों की स्थिति काफी दयनीय है।
रामासामी ने यहां के दुकानदारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि, ‘दुकानदारों के लिए हम लोगों के पास विस्तृत नीतियां हैं लेकिन बहुत कम लोगों के पास ही उन नीतियों की जानकारी है।’ दूसरी तरफ फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता का कहना है कि बीमा कंपनियां इन क्षेत्रों में बीमा बेचने के लिए कभी भी चिंतित नहीं होते हैं।