उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में बनने वाले दो ताप बिजली संयंत्रों के भविष्य का फैसला उच्च-स्तरीय कार्य बल (ईटीएफ) को करना है लेकिन राज्य सरकार द्वारा परियोजनाओं के लिए फिर से बोली मंगाने की उम्मीद है।
दोनों परियोजनाओं की कुल उत्पादन क्षमता 3,300 मेगावाट है। पिछले महीने संशोधित वित्तीय बोली में अनिल अंबानी के नियंत्रण वाली रिलायंस पॉवर ने न्यूनतम टैरिफ की बोली लगाई थी। लैंको इन्फ्राटेक और एनटीपीसी ने भी बोली दाखिल की थी।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सरकार कंपनियों द्वारा दाखिल किए गए टैरिफ को कम करने के लिए फिर से बोली आमंत्रित करने पर विचार कर रही है। अभी यह माना जा रहा है कि कंपनियों की ओर से दाखिल की गई बोली काफी अधिक है। इस मामले पर किसी निर्णायक फैसले के लिए ईटीएफ की बैठक 19 जुलाई को होगी।
इस बीच मूल्यांकन समिति ने कल बोली से संबंधित वित्तीय और अन्य कानूनी मसलों पर विचार किया। राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाला ईटीएफ इस परियोजना के भविष्य का फैसला करेगा और इस बारे में राज्य कैबिनेट को अंतिम सिफारिश देगा। प्रस्तावित परियोजना के लिए पहले ही दो बार बोली मंगाई जा चुकी है। इससे पहले न्यूनतम आरंभिक बोली दाखिल करने के बावजूद लैंकों की पेशकश को काफी अधिक होने के कारण रद्द कर दिया गया था।
फिर से बोली दाखिल करने में हालांकि काफी समय लगेगा और सरकार समय बचाने और परियोजना को जल्द से जल्द शुरू करने के लिए कंपनियों से संशोधित बोली दाखिल करने के लिए कह सकती है। इससे पहले संशोधित वित्तीय बोली में लैंकों, एनटीपीसी, जिंदल स्टील ऐंड पॉवर लिमिटेड (जेएसपीएल) और कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी (सीईएसई) को पीछे छोड़ते हुए रिलायंस न्यूनतम बोलीदाता बनकर उभरी थी।
सरकार ने मई में फिर से बोली मंगाने का आदेश दिया था। इससे पहले इलाहाबाद में बारा और करछना में दो बिजली संयंत्र स्थापित करने के लिए हैदराबाद स्थित लैंकों को चुना गया था लेकिन बाद में बोली को काफी अधिक बताकर रद्द कर दिया गया। इसके बाद रिलायंस ने बारा और करछना के लिए क्रमश: 2.64 रुपये और 2.60 रुपये प्रति यूनिट की दर से सबसे कम बोली दाखिल की। यह बोली इससे पहले लैंकों द्वारा दायर बोली से सिर्फ एक पैसा कम है।
प्रस्तावित बारा परियोजना अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इस परियोजना की बोली में रिलायंस, एनटीपीसी, लैंकों और जेएसपीएल शामिल हुए थे जबकि करछना के लिए लैंकों, रिलायंस, जेएसपीएल और सीएसएससी ने बोली लगाई थी। प्रस्तावित परियोजना के कोयला खनन क्षेत्र में नहीं है और कोयले की आवक जिले से 600 किलोमीटर दूर स्थित सिंगरौली से होगी। यूपीपीसीएल बारा में करीब 2,100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करेगा और करछना परियोजना के लिए 990 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इसके लिए एनटीपीसी, भेल और निजी क्षेत्र की कंपनियों का सहयोग लिया जाएगा।
सरकार को उम्मीद है कि नए सिरे से बोली मंगाकर बेहतर विकल्प हासिल किए जा सकेंगे। दूसरी ओर उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि बार-बार बोली रद्द करने से गलत संकेत जाएंगे और राज्य में औद्योगीकरण की प्रक्रिया प्रभावित होगी। राज्य सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय परियोजना के दौरान कुल बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 10,000 मेगावाट करने का लक्ष्य तय किया है। राज्य में बिजली की भारी किल्लत है और आम आदमी के साथ उद्योगों को काफी मुश्किलों का सामाना करना पड़ रहा है। इस कारण कई उद्योगों ने दूसरे राज्यों का रुख करना शुरू कर दिया है।
कब जलेगा बल्ब
इसके पहले की दो बोलियों में लैंको और रिलायंस रहे हैं न्यूनतम बोलीदाता
कम कीमत के लिए फिर से मंगाई जाएंगी निविदाएं