उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार नई पर्यटन नीति की तैयारी में जुटी है।
यह उम्मीद की जा रही है कि नई नीति के तहत निजी निवेशकों को छूट दी जाएगी और साथ ही इस क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी साझेदार (पीपीपी) को बढ़ावा भी दिया जाएगा।
मालूम हो कि आगरा, वाराणसी, सोमनाथ, कुशीनगर, कौशांबी, श्रावस्ती और कपिलवस्तु राज्य के उन पर्यटन स्थलों में से है, जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है। लेकिन सरकार की उदासीनता और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इन क्षेत्रों का विकास नहीं हो पाया है।
पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नई पर्यटन नीति पारिस्थितिकी-पर्यटन पर जोर देगी। उन्होंने बताया कि राज्य में पर्यटन स्थलों की संख्या बहुत अधिक है लेकिन सरकार इन स्थलों के प्रचार और विपणन में विफल रही है। अधिकारी ने बताया कि यह उम्मीद जताई जा रही है कि नई पर्यटन नीति की घोषणा शीघ्र की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने हाल ही में नई ऊर्जा नीति की घोषणा की थी। इस नीति के तहत रिलायंस पावर, लैंको, एनटीपीसी सहित देश की तमाम बड़ी कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में दो ताप विद्युत संयंत्रों को विकसित करने के लिए अपनी बोली लगाई थी।
वर्तमान में, पर्यटन विभाग के पास दो परियोजनाएं हैं- पीपीपी मॉडल के जरिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम (यूपीटीडीसी) की 77 प्रापर्टी का विनिवेश और कुशीनगर में एक अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का निर्माण। यूपीटीडीसी की 77 प्रापर्टी में से 47 ऐसे गेस्ट हॉउस हैं जो घाटे में चल रहे हैं और 30 गेस्ट हॉउस मुनाफे में चल रहे हैं। इस परियोजना में पूरे सूबे में पर्यटक परिसर बनाना भी शामिल है।
हालांकि उत्तर प्रदेश कर्मचारी संघ ने आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग इस नई नीति के जरिए निजीकरण को बढ़ावा देना चाहती है, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी। विभाग पीपीपी मॉडल अपनाना चाहती है, लेकिन इससे कर्मचारी सहित विभाग की संपत्ति और दायित्व भी निजी साझेदार को हस्तांतरित हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कर्मचारी संघ इन मुद्दों को लेकर पिछले महीने अचानक हड़ताल पर चले गए थे। बाद में निगम ने संघ को विश्वास दिलाया कि उनकी नौकरी सुरक्षित रहेगी। विनिवेश के लिए परामर्श कंपनियों की वित्तीय बोली प्रक्रिया 8 सितंबर से शुरू हो गई है। दूसरी ओर सरकार ने भी व्यापक परियोजना रिपोर्ट की तैयारी के लिए पहले ही कदम उठा चुकी है।
कुशीनगर में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और पीपीपी मॉडल के तहत बौध्द सर्किट को निर्माण, परिचालन और स्थानांतरण मॉडल के आधार पर विकसित किया जाएगा। विभाग के अधिकारी ने बताया कि निर्माण कार्यों के लिए बनाई गई समिति बोली प्रक्रिया की अंतिम तारीख जल्द ही तय करेगी। अधिकारी ने बताया, ‘परियोजना के हित के लिए हम लोग एक स्वस्थ्य स्पर्धा चाहते हैं।’
उल्लेखनीय है कि कुशीनगर में हवाईअड्डे के लिए सरकार पहले ही करीब 160 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित कर चुकी है और परामर्शदाताओं के रिपोर्ट आने के बाद ही यह पता चल पाएगा कि और जमीनें अधिग्रहण की जानी है या नहीं। इस प्रस्तावित हवाईअड्डे को जापान, म्यांमार, कोरिया, चीन, थाईलैंड, भूटान और श्रीलंका को कुशीनगर के साथ सीधे जोड़ा जाएगा।
मालूम हो कि बौध्द सर्किट कहे जाने वाले इन सभी देशों से सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक कुशीनगर में मैत्रेय परियोजना में 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस परियोजना के तहत 500 फुट की बुध्द प्रतिमा बनाई जाएगी, जो कि विश्व की सबसे बड़ी बुध्द प्रतिमा होगी। इसके अलावा, इस परियोजना के तहत मुफ्त अस्पताल, स्कूल और साथ ही बुनियादी सुविधाओं और पर्यटन विकास के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।