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मुंबई : कांजुरमार्ग में मेट्रो शेड बनाने पर रोक

Last Updated- December 14, 2022 | 6:37 PM IST

महाराष्ट्र सरकार की मेट्रो कार शेड को आरे कॉलोनी की जगह कांजुरमार्ग में बनाने की योजना को अदालत से करारा झटका लगा है। बंबई उच्च न्यायालय ने कांजुरमार्ग में बनाए जा रहे मेट्रो कार शेड के काम को तत्काल रोकने का आदेश देते हुए उस स्थान को पहले जैसा ही रखने को कहा है। मामले की सुनवाई अब फरवरी में होगी।
राज्य सरकार इस मामले को उच्चतम न्यायालय ले जाने की तैयारी में जुट गई है जबकि विपक्षी दल भाजपा ने सरकार से अहम छोडऩे की अपील की है।
उच्च न्यायालय ने मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए मुंबई के कांजुरमार्ग इलाके में 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी के पीठ ने उक्त जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण पर भी रोक लगा दी है। मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए राज्य द्वारा चिह्नित जमीन के मालिकाना हक को लेकर केंद्र और शिवसेना नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन सरकार के बीच तकरार चल रही है। केंद्र्र सरकार ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर कार शेड के लिए जमीन आवंटित करने के जिलाधिकारी के 1 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी और कहा कि यह जमीन केंद्र के विभाग की है।
इस मेट्रो कार शेड को भाजपा सरकार के दौरान आरे कॉलोनी के जंगलों में बनाया जा रहा था लेकिन ठाकरे सरकार ने इसे स्थानांतरित कर कांजुरमार्ग में बनाना शुरू किया था। महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले को उच्चतम न्यायालय जाने के संकेत दिए हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि संविधान और कानून में अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का प्रावधान है। इसलिए हम इस पर विचार करेंगे।भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सरकार से कहा है कि वह अपने ‘अहं’ को छोड़ दे और आरे कॉलोनी की जमीन पर निर्माण फिर से शुरू करे। उन्होंने कहा कि मनोज सौनिक समिति ने भी कहा था कि अगर मेट्रो कार शेड को कंजुरमार्ग में स्थानांतरित किया जाता है तो इससे राज्य को 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भाजपा नेता किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इस्तीफा देने की मांग की है। सोमैया ने कहा कि कांजुरमार्ग में यह प्रोजेक्ट अगर बनता तो इससे पांच साल की देरी होती और 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान भी होता।

First Published - December 16, 2020 | 11:01 PM IST

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