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 …और बदल गई सिक्किम की तकदीर

साल 2023-24 में सिक्किम प्रति व्यक्ति आय के मामले में गोवा से 1,780 रुपये से आगे निकल गया। एक साल पहले गोवा की प्रति व्यक्ति आय सिक्किम से 12,388 रुपये अधिक थी।

Last Updated- May 15, 2025 | 10:54 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर

सिक्किम के भारत में शामिल होने का वहां के लोगों को शायद कोई अफसोस नहीं हुआ होगा। पूर्वोत्तर का यह राज्य वर्ष 1975 में लोकतंत्र का हिस्सा बना था और उसके बाद 50 वर्षों का सफर तय करते हुए आज यह प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश का सबसे संपन्न होने का दम भर रहा है। केंद्र सरकार भी इसके वित्तीय खजाने में भारी-भरकम योगदान देती है।

साल 2023-24 में सिक्किम प्रति व्यक्ति आय के मामले में गोवा से 1,780 रुपये से आगे निकल गया। एक साल पहले गोवा की प्रति व्यक्ति आय सिक्किम से 12,388 रुपये अधिक थी। इसे देखते हुए यह बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि भारत का हिस्सा बनने के 25 साल बाद भी 12 राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में सिक्किम से आगे थे। उन सभी को पछाड़ते हुए इसने सबसे तेज तरक्की दर्ज की।

साल 2000-2001 के बाद से देश की अर्थव्यवस्था के अनुपात में सिक्किम की अर्थव्यवस्था तीन गुना हो गई है। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि इतनी प्रगति के बाद भी साल 2023-24 में राज्य की अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था का सिर्फ 0.16 फीसदी थी। यह पहाड़ी राज्य 7,096 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो देश के क्षेत्रफल का 0.21 फीसदी है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, चूंकि यहां की जनसंख्या 6,10,577 है और यह देश की कुल आबादी की सिर्फ 0.05 फीसदी है, इसलिए प्रति व्यक्ति आय के मामले में इससे बहुत फर्क पड़ा है।

पूर्वोत्तर की अधिकतर ‘सेवन सिस्टर्स’ की तरह ही सिक्किम में भी खासकर करों के मामले में राजस्व अर्जित करने वाले संसाधन बहुत कम हैं। उदाहरण के लिए साल 2023-24 में राज्य में कुल राजस्व प्राप्तियों में करों की हिस्सेदारी केवल 17 फीसदी रही। हालांकि, यह साल 2000-2001 के मुकाबले दोगुना दर्ज किया गया। केंद्रीय करों और अनुदानों के हस्तांतरण के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। समय के साथ हस्तांतरण बढ़ने और अनुदान में कमी आने के बावजूद राज्य की राजस्व प्राप्तियों में इनकी हिस्सेदारी 75 फीसदी बनी हुई है। सिक्किम की आर्थिक समृद्धि इसके सामाजिक कल्याण परिदृश्य में साफ झलकती है।

उदाहरण के लिए राज्य की सिर्फ 2.6 फीसदी ही आबादी बहुआयामी गरीबी के दायरे में आती है। भले ही यह संपन्नता आंकने का सही पैमाना नहीं हो, फिर भी उस लिहाज से इसे देखा जा सकता है कि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 15 फीसदी है और यह उससे बहुत कम है। इसके अलावा सिक्किम की स्थिति साक्षरता दर और शिशु मृत्यु दर के मामले में भी दमदार रही है। मगर राज्य को अपने लिंगानुपात पर थोड़ा काम करने की जरूरत महसूस होती है। इसके अलावा, प्रदेश की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे बनी हुई है, मगर यह साल 2021-22 के बाद से लगातार बढ़ रही है। आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण से इसका खुलासा हुआ है। मगर इस रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेरोजगारी का जिक्र नहीं किया गया है।

First Published - May 15, 2025 | 10:35 PM IST

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