रुपये ने बुधवार को पांच दिन की गिरावट का सिलसिला तोड़ दिया और सात महीने से ज्यादा समय में इसमें दिन के कारोबार में सबसे तेज रिकवरी देखी गई। डीलरों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डॉलर बिक्री के जरिये संभावित हस्तक्षेप से घरेलू मुद्रा में 0.73 प्रतिशत की मजबूती आई और यह पिछले बंद भाव 91.03 प्रति डॉलर के मुकाबले 90.37 प्रति अमेरिकी डॉलर पर बंद हुआ।
यह कदम हाल के सप्ताहों में रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद उठा है, जिससे इस बात पर बहस छिड़ गई है कि आरबीआई ने मुद्रा को मजबूत बनाने के लिए ज्यादा आक्रामक तरीके से दखल क्यों नहीं दिया। रुपया मंगलवार को 91 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के निशान को पार कर गया और लगातार चौथे सत्र में डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर पर पहुंच गया था। लगातार विदेशी बिकवाली और अमेरिका के साथ व्यापार करार में देरी से भी धारणा प्रभावित हुई थी। भारतीय मुद्रा नौ कारोबारी दिनों में 90 रुपये प्रति डॉलर से 91 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया।
आईएफए ग्लोबल के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘आज रुपये में दिन के कारोबार में तेज रिकवरी हुई। आरबीआई के समय पर दखल देने से यह 91.05 रुपये के स्तर से मजबूत होकर 90 के आसपास आ गया। केंद्रीय बैंक ने बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव कम करने और बेतरतीब गिरावट को रोकने के लिए दखल दिया।
एचडीएफसी बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता के अनुसार आज के आरबीआई के दखल से यह नहीं पता चलता कि यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के किसी खास स्तर को सुरक्षित करने की कोशिश है। पिछले कुछ महीनों में भी ऐसे ही दखल देखे गए हैं और ऐसा लगता है कि यह हाल के दिनों में घरेलू मुद्रा में आए तेज उतार-चढ़ाव के मद्देनजर ये कदम उठाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘आरबीआई रुपये में व्यवस्थित उतार-चढ़ाव सुनिश्चित करने और बेवजह की अस्थिरता रोकने पर ध्यान दे रहा है। इसके बावजूद, पूंजी निकासी के लगातार दबाव और व्यापार समझौते की घोषणा न होने के कारण आने वाले सप्ताहों में रुपये के फिर से 91 प्रति डॉलर के स्तर की ओर बढ़ने की संभावना है।’
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपया अभी गिरावट के दौर से गुजर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार घरेलू मुद्रा इस दौर से बाहर निकल सकती है, जिसके बाद अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसके डॉलर के मुकाबले मजबूत होने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमारे विश्लेषण के मुताबिक रुपया अभी कमजोर हो रहा है। रुपया इस स्थिति से बाहर निकलेगा। हमारा मानना है कि अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रुपया मजबूती से वापसी करेगा।’ इसमें यह भी कहा गया है कि इस साल 2 अप्रैल से जब अमेरिका ने सभी अर्थव्यवस्थाओं पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी, तब से रुपया डॉलर के मुकाबले 5.7 प्रतिशत कमजोर हुआ है, जो प्रमुख मुद्राओं में सबसे तेज गिरावट है।