उत्तराखंड सरकार ने किसानों को बीमा कवर उपलब्ध कराने के मकसद से आईसीआईसीआई लोमबार्ड के साथ जो समझौता किया था, उसे निरस्त कर दिया गया है। ऐसे में सरकार की ओर से फिर से निविदा आमंत्रित की जा सकती है।
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई लोमबार्ड के साथ सरकार ने मंगलवार को एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया था, लेकिन कुछ घंटे बाद ही तकनीकी आधार पर उस समझौते को निरस्त कर दिया गया।
इस बात की पुष्टि करते हुए उत्तराखंड सहकारिता मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने बताया कि समझौते को निरस्त कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि ग्रामीण विकास के मुख्य सचिव विभा पुरी दास ने मंगलवार को सहकारिता मंत्री चुफाल की मौजूदगी में किसानों को बीमा कवर उपलब्ध कराने के मकसद से आईसीआईसीआई लोमबार्ड के साथ एक समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किया था।
‘नारायण कृषक कवच योजना’ के तहत राज्य के किसानों को आश्रितों को ध्यान में रखकर यह योजना बनाई गई है। इसमें प्रावधान है कि किसी भी किसान की असामयिक मृत्यु, मसलन-सड़क दुर्घटना, सांप के काटने आदि की वजह से होती है, तो उसके आश्रितों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।
एक विज्ञप्ति जारी करते हुए चुफाल ने बताया कि इस समझौते को तकनीकी आधार पर निरस्त किया गया है। इसकी वजह के बारे में उन्होंने बताया कि इसमें कुछ बिंदुओं का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।
यही नहीं, उन्होंने बताया कि इस बात की भी जांच की जाएगी कि निविदा के लिए अन्य कंपनियों को क्यों नहीं बुलाया गया। जांच के लिए एक सप्ताह का समय तय किया गया है।
दिलचस्प बात यह कि जब समझौते पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे, तो इसके प्रावधानों को चुफाल ने किसानों के हित में बताया था।
लेकिन चुफाल के साथ-साथ अन्य अधिकारी भी इस बात का मीडिया को जबाव देने से बचते रहे कि क्या दूसरी बीमा कंपनियां भी इस निविदा के लिए आवेदन किया था या नहीं?
हालांकि चुफाल ने यह बताया कि किसानों को बीमा कवर मुहैया कराने के लिए जल्द ही नई निविदा जारी की जाएगी और उसमें लगभग सभी बीमा कंपनियों को आमंत्रित किया जाएगा और इसके लिए जरूरी रूप-रेखा पर काम चल रहा है।