facebookmetapixel
कमजोर गर्मी-लंबे मॉनसून के चलते 2025 में सुस्त रहा उपभोक्ता टिकाऊ सामान बाजार, पर GST कटौती से राहत‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बदला देश का सुरक्षा सिद्धांत, अब सीधे वार के लिए भारत तैयारउम्मीदों पर सवार ग्रामीण अर्थव्यवस्था! GST राहत और बढ़ी खपत ने संवारा, आय को लेकर उम्मीदें मजबूतMapmyIndia के मैपल्स ऐप में मेट्रो, रेल व बस रूट जुड़े, पब्लिक ट्रांसपोर्ट हुआ और आसान31 दिसंबर की गिग कर्मियों की हड़ताल से क्विक कॉमर्स पर संकट, जोमैटो-स्विगी अलर्ट मोड मेंAI से बदलेगा बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग उद्योग, कैपजेमिनाई-WNS डील ने खोली नई राहTata Power ने रचा इतिहास, राजस्थान में 1 गीगावॉट सौर परियोजना की सफल शुरुआतसिस्टम गड़बड़ी के बाद सतर्क NPCI, 2025 में कुछ चुनिंदा थर्ड पार्टी UPI ऐप को ही मिली मंजूरी2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य पर आधारित हों बजट और नीतियां: पीएम मोदीअंबानी लाए रिलायंस का एआई घोषणा पत्र, 6 लाख कर्मचारियों की उत्पादकता में 10 गुना सुधार का लक्ष्य

समझौता निरस्त, सरकार आमंत्रित करेगी नई निविदा

Last Updated- December 05, 2022 | 4:33 PM IST

उत्तराखंड सरकार ने किसानों को बीमा कवर उपलब्ध कराने के मकसद से आईसीआईसीआई लोमबार्ड के साथ जो समझौता किया था, उसे निरस्त कर दिया गया है। ऐसे में सरकार की ओर से फिर से निविदा आमंत्रित की जा सकती है।


गौरतलब है कि आईसीआईसीआई लोमबार्ड के साथ सरकार ने मंगलवार को एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया था, लेकिन कुछ घंटे बाद ही तकनीकी आधार पर उस समझौते को निरस्त कर दिया गया।


इस बात की पुष्टि करते हुए उत्तराखंड सहकारिता मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने बताया कि समझौते को निरस्त कर दिया गया है।


उल्लेखनीय है कि ग्रामीण विकास के मुख्य सचिव विभा पुरी दास ने मंगलवार को सहकारिता मंत्री चुफाल की मौजूदगी में किसानों को बीमा कवर उपलब्ध कराने के मकसद से आईसीआईसीआई लोमबार्ड के साथ एक समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किया था।


‘नारायण कृषक कवच योजना’ के तहत राज्य के किसानों को आश्रितों को ध्यान में रखकर यह योजना बनाई गई है। इसमें प्रावधान है कि किसी भी किसान की असामयिक मृत्यु, मसलन-सड़क दुर्घटना, सांप के काटने आदि की वजह से होती है, तो उसके आश्रितों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।


एक विज्ञप्ति जारी करते हुए चुफाल ने बताया कि इस समझौते को तकनीकी आधार पर निरस्त किया गया है। इसकी वजह के बारे में उन्होंने बताया कि इसमें कुछ बिंदुओं का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।


यही नहीं, उन्होंने बताया कि इस बात की भी जांच की जाएगी कि निविदा के लिए अन्य कंपनियों को क्यों नहीं बुलाया गया। जांच के लिए एक सप्ताह का समय तय किया गया है।


दिलचस्प बात यह कि जब समझौते पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे, तो इसके प्रावधानों को चुफाल ने किसानों के हित में बताया था।


लेकिन चुफाल के साथ-साथ अन्य अधिकारी भी इस बात का मीडिया को जबाव देने से बचते रहे कि क्या दूसरी बीमा कंपनियां भी इस निविदा के लिए आवेदन किया था या नहीं?


हालांकि चुफाल ने यह बताया कि किसानों को बीमा कवर मुहैया कराने के लिए जल्द ही नई निविदा जारी की जाएगी और उसमें लगभग सभी बीमा कंपनियों को आमंत्रित किया जाएगा और इसके लिए जरूरी रूप-रेखा पर काम चल रहा है।

First Published - March 13, 2008 | 6:47 PM IST

संबंधित पोस्ट