पंजाब में जल्द ही नई औद्योगिक नीति की घोषणा किए जाने की उम्मीद है। कारोबारियों के घटते भरोसे के बीच पंजाब में विभिन्न उद्योगों को मुश्किल दौर का सामना करना पड़ रहा है।
उद्योगपतियों ने मांग की है कि नई नीति में सरकार को उद्योगों के लिए विशेष तौर पर जमीन का प्रावधान करना और मालभाड़े में सब्सिडी देनी चाहिए।
इसके अलावा, सरकार को प्रवेश कर से राहत देना, करों को तर्क संगत बनाने और बेहतर ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर देना चाहिए।
समूचे उद्योग जगत ने राज्य की अतार्किक कर संरचना को लेकर चिंता जताई है। राज्य सरकार ने ढांचागत अधिभार, ग्रामीण विकास कोष और बाजार शुल्क के तौर पर भारी कर लगाया है।
इसके अलावा कारोबारी बिजली की दरों को तर्कसंगत बनाने की मांग भी कर रहे हैं। और इस सभी मसलों से नई औद्योगिक नीति में निपटना होगा।
इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट संवर्धन परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष एस सी रालहान ने बताया कि ‘सरकार को उद्योगों के लिए लैंड बैंक और प्रमुख केंद्र तैयार करने चाहिए। जमीन नहीं होने के कारण उद्योगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा पंजाब में जमीन काफी महंगी है जिसके कारण उद्योगपति पंजाब आने से कतराते हैं।’ इसके अलावा विनिर्माताओं को मालभाड़े पर सब्सिडी मिलनी चाहिए।
सरकार को वाणिज्यिक गैस पर वैट की दर को 12.5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत करना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को 5 करोड़ रुपये की पूंजीगत सब्सिडी भी मिलनी चाहिए।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष ए पी शर्मा ने बताया कि ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग काफी कम मार्जिन पर काम करता है। ढांचागत अधिभार 2007 में 1 प्रतिशत था और इसे सितंबर 2008 में बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया।
इससे कारोबार पर बुरा असर पड़ा है।’ वर्धमान स्पिनिंग एंड गिनिंग मिल्स के मुख्य कार्यपालक वी के गोयल ने बताया ‘सरकार को कपास पर लगाए जा रहे 4 प्रतिशत के प्रवेश शुल्क को तत्काल खत्म करना चाहिए। पंजाब में कपास पर कुल 8.5 प्रतिशत का कर लगता है। इस टैक्स की वजह से दूसरे राज्यों के मुकाबले हमारे उत्पाद काफी महंगे हो गए हैं।’
उद्योगपति राज्य में बिजली की आपूर्ति, सड़क और वायु यातायात को बेहतर बनाने और प्रमुख उद्योगपतियों के एक समूह के गठन की मांग कर रहे हैं जो उद्योगों की मुकाबला करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए काम करे। वैश्विक मंदी के कारण राज्य का कपड़ा, हैंडटूल, होजरी और इस्पात उद्योग प्रभावित हुए हैं।