आज भी देश के लगभग सभी राज्यों के कई गांव में तो बिजली आई नहीं है। जिन इलाकों में इसके कदम पड़े भी हैं, वहां भी बिजली रानी आंख मिचौली खेलने के लिए आती है।
इस विकट परिस्थिति में गुजरात अपवाद के तौर पर मौजूद है। राज्य सरकार ने ‘ज्योति ग्राम योजना’ के तहत राज्य के गांवों में सौ फीसदी विद्युतीकरण की सुविधा सुनिश्चित की है। इसके अलावा, यहां हफ्ते के सातों दिन और 24 घंटे बिजली आपूर्ति कराने का दावा भी किया गया है।
नतीजतन राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्थित उद्योगों को फिर से उभरने का मौका मिला है। इसी वजह से तो अब लोग-बाग वापस ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ वापस जा रहे हैं।’ज्योति ग्राम योजना’ में गुजरात में 18,065 गांवों और 9,681 उपनगरीय इलाकों को एक हजार करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना में शामिल किया गया है।
कृषि क्षेत्र और घरेलू कामों के लिए आमतौर पर बिजली मुहैया कराने के लिए सामान्य फीडर इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इस योजना के तहत अलग फीडर से बिजली मुहैया कराई जाएगी। लगभग, 12,621 ट्रांसफार्मर सेंटर और 56,599 किमी. लंबी नई लाइनें बिछाई गई हैं। इस योजना को 30 महीने में पूरा कर एक मिसाल बनाया गया।
इस परियोजना में विशेष रूप से डिजाइन किए गए ट्रांसफार्मर लगाने की योजना भी शामिल थी ताकि किसानों के घरेलू कामों के लिए बिजली आपूर्ति लगातार मुहैया क राई जा सके । अगर हम बड़े खिलाड़ियों की तुलना करें जो अपने ट्रांसमीशन और वितरण घाटे को नियंत्रण करने की कोशिश करते हैं तो हम पाएंगे कि इस योजना ने बेहतर नतीजे दिए हैं।
इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2005-2006 में इस घाटे में 4.88 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। ट्रांसफार्मर फेल होने की दर में भी 1.17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
सीआईआई और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान ने ज्योतिग्राम योजना का अध्ययन कराया जिसके मुताबिक औसत रोजगार में बढ़ोतरी और ग्रामीण क्षेत्र से पलायन में भी 33 प्रतिशत की कमी आई है। ज्योतिग्राम योजना के बाद सामाजिक आर्थिक लाभ असंभव बात रही है।
मिसाल के तौर पर शिक्षा के लिए समय के दायरे में 90 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि मनोरंजन के लिए दिए जाने वाले वक्त में भी 88 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इस अध्ययन के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र क ी महिलाओं की आय में भी 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई । इसके अलावा टेलीफोन बूथ में भी 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई।