सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) ने अप्रैल 2023 के लिए भारत के श्रम बाजारों से जुड़े आंकड़े 1 मई को जारी किए। पहले के महीनों की तुलना में अप्रैल में रोजगार (employment) और बेरोजगारी दर (unemployment rates) दोनों ही बढ़ी है। भारत की बेरोजगारी दर अप्रैल में बढ़कर 8.11 प्रतिशत हो गई जो मार्च 2023 में 7.8 प्रतिशत थी।
वर्ष की शुरुआत से ही बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है और लगातार चौथे महीने तक वृद्धि दर्ज की गई। जनवरी 2023 में यह 7.14 प्रतिशत थी। इसकी तुलना में अप्रैल में बेरोजगारी दर 0.97 प्रतिशत अंक अधिक है। पिछले 12 महीनों में बेरोजगारी दर 6.4 प्रतिशत से 8.3 प्रतिशत के बीच रही, जो औसतन 7.6 प्रतिशत थी। इसी वजह से अप्रैल में दर्ज 8.11 प्रतिशत की बेरोजगारी दर उच्च स्तर पर दिखती है।
बेरोजगारी दर में इस वृद्धि की उम्मीद भी की जा रही थी क्योंकि अप्रैल के साप्ताहिक आंकड़ों में मार्च की तुलना में उच्च स्तर पर बेरोजगारी दर दर्ज की गई थी। अप्रैल के चार हफ्तों में से प्रत्येक में बेरोजगारी दर पहले के महीने में दर्ज 7.8 प्रतिशत से अधिक हो गई। यह दर औसतन 8.27 प्रतिशत के करीब थी। अप्रैल में उम्मीद से कम बेरोजगारी दर राहत के रूप में नजर आई।
श्रम भागीदारी दर (LPR) में वृद्धि के कारण बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है। श्रम भागीदारी दर मार्च में 39.77 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2023 में 41.98 प्रतिशत हो गई। यह पिछले तीन वर्षों में दर्ज की गई सबसे अधिक LPR है। मार्च 2020 के बाद के प्रत्येक महीने में जब LPR 41.9 प्रतिशत थी तब यह दर 41 प्रतिशत से नीचे तक सीमित थी। इसलिए अप्रैल में LPR में देखी गई उल्लेखनीय वृद्धि हैरान करती है।
श्रमबल का दायरा अप्रैल में 2.5 करोड़ बढ़कर 46.7 करोड़ हो गया। यह श्रमबल से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में तेजी के संकेत देता है जो संभवतः रोजगार खोजने की उम्मीदों की वजह से बढ़ी है। इस महीने श्रमबल से जुड़ने वाले लोगों में से लगभग 87 प्रतिशत नौकरी हासिल करने में सक्षम थे जबकि इसके एक छोटे हिस्से को रोजगार नहीं मिल सका। देश में बेरोजगारों की संख्या मार्च के 3.45 करोड़ से बढ़कर अप्रैल में 3.79 करोड़ हो गई। वहीं लगभग 34 लाख अतिरिक्त लोग बेरोजगार हो गए।
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भारत में रोजगार की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार दिखा क्योंकि लगभग 2.21 करोड़ नौकरियों के मौके बने। अप्रैल में कार्यबल का आकार बढ़कर 42.97 करोड़ हो गया, जो इससे पिछले महीने में 40.76 करोड़ था।
इसके परिणामस्वरूप, देश में रोजगार दर भी अप्रैल में 1.91 प्रतिशत अंक बढ़कर 38.57 प्रतिशत हो गई। LPR के समान ही अप्रैल में रोजगार दर मार्च 2020 के बाद से सबसे अधिक दर्ज की गई। मार्च 2020 और 2022 के बीच सभी महीनों के दौरान रोजगार दर 38 प्रतिशत से नीचे रही।
अप्रैल के महीने में भारत में LPR और रोजगार दर में उल्लेखनीय वृद्धि रोजगार की तलाश करने की लोगों की बढ़ती इच्छा को दर्शाती है। इस महीने श्रमबल में शामिल होने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा भी नौकरी पाने में सक्षम था। इसके अलावा देश के शहरी क्षेत्रों की तुलना में देश के ग्रामीण इलाकों में श्रम भागीदारी में वृद्धि काफी अधिक थी। अप्रैल में नौकरियों के जो मौके तैयार हुए, उनमें से अधिकांश देश के ग्रामीण हिस्से में बने थे।
अप्रैल में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 2 करोड़ लोग श्रम बल से जुड़े जिसकी वजह से देश के ग्रामीण श्रमबल में कुल 32.12 करोड़ लोग थे। अप्रैल में ग्रामीण LPR 2.7 प्रतिशत अंक बढ़कर 43.64 प्रतिशत हो गई। सुखद परिणाम यह है कि रोजगार की तलाश में श्रमबल में प्रवेश करने वालों में से 11 लाख लोग जो बेरोजगारों की श्रेणी में शामिल हो गए थे उनके साथ-साथ करीब 1.92 करोड़ लोगों ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पाने में सफलता पाई।
नतीजतन, ग्रामीण रोजगार दर मार्च में 37.9 प्रतिशत से अप्रैल में 40.4 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोजगार दर पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक देखी गई है। इसी तरह, भारत के ग्रामीण इलाके में बेरोजगारी दर मार्च के 7.47 प्रतिशत से घटकर अप्रैल में 7.34 प्रतिशत हो गई।
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वहीं दूसरी ओर, शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 9.8 प्रतिशत हो गई जो पिछले महीने 8.5 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण यह है कि अप्रैल में LPR बढ़कर 38.75 प्रतिशत हो गई। मार्च में यह 1.3 प्रतिशत अंक कम था। इसके चलते इस अवधि के दौरान शहरी श्रमबल का दायरा 14.12 करोड़ से बढ़कर 14.64 करोड़ हो गया। अप्रैल में श्रमबल में काम करने के इच्छुक 52 लाख अतिरिक्त लोगों में से 28.4 लाख लोग रोजगार पाने में सक्षम थे।
देश के शहरी हिस्से में अप्रैल में 23 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। कुल मिलाकर, अप्रैल के महीने के मुख्य मापदंडों से पता चलता है कि ग्रामीण श्रम बाजार ने भारत के शहरी श्रम बाजार की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते श्रमबल का बड़ा हिस्सा शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक रोजगार हासिल करता है।
ग्रामीण श्रमबल में शामिल होने वाले लगभग 94.6 प्रतिशत लोग रोजगार पा चुके हैं। इसके विपरीत शहरी भारत में श्रमबल में प्रवेश करने वाले केवल 54.8 प्रतिशत लोगों को ही नौकरी मिल पाई है।
(लेखक सीएमआईई प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ हैं)