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राष्ट्र की बात: पाकिस्तानी सेना प्रमुख और पांचवें सितारे का बोझ

मुनीर ने इमरान खान को कैद किया, कठपुतली संसद के जरिये संविधान को तोड़ मरोड़कर अपना सेवा विस्तार हासिल किया। अब उनके पांचवें सितारे की चमक से जमीनी हकीकत नहीं बदलने वाली।

Last Updated- June 02, 2025 | 9:00 AM IST
Pak Army chief General Asim Munir

अपने सीने पर सजे पांच सितारों के साथ पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष आखिर ऐसा क्या कर सकते हैं जो वह चार सितारों के साथ नहीं कर सके? एक पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल बनकर आखिर ऐसा क्या कर सकता है जो वह केवल जनरल के रूप में नहीं कर सका? यह कहना लुभावना हो सकता है कि यह उनकी कॉलर, टोपी, कार आदि को और सुसज्जित करेगा लेकिन यह सवाल तो खुद उनके भी दिमाग में उमड़ घुमड़ रहा होगा? उन्हें पता है कि इस पांचवे सितारे के हासिल होने के बाद कुछ करना होगा। क्या भारत को चिंतित होना चाहिए?

इसका संक्षिप्त जवाब है कि भारत को पाकिस्तान की सेना से हमेशा चिंतित होना चाहिए और वह होता भी है। यह एक अलग चिंता का विषय है कि व्यवस्था के भीतर या उसके बाहर इस अजीबोगरीब पदोन्नति के बाद शहबाज शरीफ की इस व्यवस्था में क्या जगह बनती है?

वह अपने पांचवे सितारे के साथ क्या करेंगे जो पाकिस्तान और इस उपमहाद्वीप के इतिहास में केवल दूसरी बार हासिल हुआ है (हमारे तीन पांच सितारा जनरलों करियप्पा, मानेकशॉ और अर्जन सिंह को रस्मी बेटन सौंपा गया था) और आधुनिक सेनाओं में यह अत्यंत दुर्लभ है। किसी और देश से ऐसा उदाहरण चुनना हो तो मिस्र के अब्देल फतह अल-सीसी का नाम लिया जा सकता है।

यहां तक कि शक्तिशाली देश अमेरिका ने भी आइजनहॉवर, पैटॉन, ब्रैडले और शर्मन जैसे नामों के बाद इस उपाधि का इस्तेमाल बंद कर दिया। यकीनन आसिम मुनीर इस उपाधि के बाद कुछ करना चाहेंगे। मैं यहां ईदी अमीन का उदाहरण देना चाहूंगा और ‘ब्रिटिश साम्राज्य को फतह करने वाला’ जैसी कोई उपाधि हो सकता है,  लेकिन यह मजाक का वक्त नहीं है।

असैन्य सरकार को हटाकर सत्ता संभालना पाकिस्तान में इतना साधारण काम है कि शायद उनको ऐसा करने की जरूरत ही न पड़े। पाकिस्तान को लेकर हमारा तमाम राजनीतिक और सामरिक विश्लेषण इस बात पर केंद्रित रहना चाहिए कि फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, जनरल आसिम मुनीर से किस तरह अलग होंगे? जनरल क्या कर सकते हैं यह हमने 16 अप्रैल को प्रवासी पाकिस्तानियों को दिए उनके संदेश और पहलगाम में 22 अप्रैल को हुई घटना में देख सकते हैं। अपने भाषण का एक वादा जो उन्हें अभी पूरा करना है वह है पाकिस्तान को एक ‘हार्ड स्टेट’ बनाने का। प्रचार तंत्र के सहारे जीत के जश्न से इतर उनको पता है कि उनकी सेना को गहरा नुकसान हुआ है। भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के तथ्यरहित दावे कुछ समय के लिए पाकिस्तान की जनता को खुश कर सकते हैं। इसके बावजूद सिंधु नदी के पूरब में ध्वस्त हवाई ठिकानों और जैश-लश्कर के ठिकाने के मलबे में बदले होने की तस्वीरें ही छाई रहेंगी।

वह पांचवे सितारे के साथ चाहे जितना सीना ठोक लें, जमीनी तथ्य नहीं बदलने वाले। वह यकीनन ‘कुछ और’ करना चाहेंगे। वास्तव में उन्हें इसकी जरूरत भी है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि वह हमारी उम्मीद से जल्दी कुछ कर गुजरेंगे। अतीत में हम इसे पाकिस्तानी सेना की ‘सात साल वाली खुजली’ कहते रहे हैं जहां हर बड़े आतंकवादी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया के चलते करीब सात वर्ष तक सब शांत रहता था। हमें अब वैसा समय नहीं मिलेगा क्योंकि मुनीर के पास समय नहीं है। वह कब और क्या करेंगे इस बारे में ठोस तरीके से कुछ कहा नहीं जा सकता। परंतु अगर आप अगले छह सात साल के बारे में सोच रहे हों तो एक बात मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं और वह यह कि मुनीर यकीनन अच्छी स्थिति में नहीं होंगे। पाकिस्तान की राजनीति, संस्कृति और इतिहास बताते हैं कि वह अच्छी स्थिति में नहीं होंगे।

हम देखें कि चार सितारा जनरल के रूप में ही वह कितनी ताकत इकट्ठी कर चुके थे। जिस असैन्य सरकार को उनके साथ मिलीभगत करके गठित किया गया था वह पहले ही उनके कदमों में थी। मुनीर के सामने शहबाज शरीफ की देहभाषा और उनके शब्दों पर गौर करिये तो सब स्पष्ट हो जाता है। वह पांचवें सितारे के पहले ही उन्हें ‘सिपहसालार’ कहकर पुकारने लगे थे। मुनीर हर जरूरी मुद्दे पर बोलते रहे हैं यहां तक कि उन्होंने पाकिस्तान की 370 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात भी कही है।

उन्होंने सेना की शक्ति को चुनौती देने वाले इकलौते नेता इमरान खान को जेल में बंद कर दिया। इसके पहले उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था। मुनीर की प्राथमिकता वाला पीएमएल के नेतृत्व में बना गठबंधन इस एकतरफा चुनाव में भी जीत नहीं हासिल कर सका। बहरहाल इसके बावजूद उसे सत्ता सौंप दी गई।

पाकिस्तान में न्यायपालिका ने भी फौजी अदालतों के सामने समर्पण कर दिया है। यहां तक कि नागरिकों के विरुद्ध देशद्रोह जैसे गंभीर मामले चलाने की शक्ति भी उन अदालतों को सौंप दी गई है। संसद उनके हाथों की कठपुतली है जिसे गलत ढंग से हुए चुनाव में चुना गया है। वह संविधान में संशोधनों के लिए रबर स्टैम्प की तरह इस्तेमाल की जा रही है। इसके माध्यम से ही उन्होंने अपना कार्यकाल बढ़ाया है। न्यायाधीशों को भी सेवा विस्तार और नौकरियों के जरिये लाभान्वित किया जा रहा है। मुनीर ने सबकुछ अपने नियंत्रण में कर लिया है तो अब आगे क्या?

इसे फील्ड मार्शल की नजर से देखिए। अगर वह आगे के सात साल देखते हैं तो शायद म्युचुअल फंड के विज्ञापनों की चेतावनी वाली पंक्ति उन पर भी लागू हो। वह यह कि ‘अतीत के प्रदर्शन को भविष्य के प्रदर्शन की गारंटी न मानें।’ पिछला प्रदर्शन तो यही बताएगा कि सत्ता की महत्त्वाकांक्षा रखने वाला हर सेना प्रमुख बुरी गति को प्राप्त हुआ। उन्हें हार झेलनी पड़ी, मुकदमे झेलने पड़े, देश निकाला मिला, चार में से तीन को तो मार दिया गया। यहां अयूब, याह्या, जिया और मुशर्रफ सब एक ही लाइन में नजर आते हैं।

यहां तक कि जुल्फिकार अली भुट्टो भी तानाशाह बने तो उनका यही हश्र हुआ। मुनीर के दो पूर्ववर्ती कमर जावेद बाजवा और राहील शरीफ समझदार थे और वर्दी की ताकत के बाद वे खामोशी से पार्श्व में चले गए। हालांकि, मुनीर के पास अभी जो ताकत है उतनी ताकत वाला पाकिस्तानी सेना प्रमुख यह ख्वाब नहीं देखता कि वह सेवानिवृत्त होकर गोल्फ खेलेगा। मुनीर के भीतर मौजूद धार्मिक शिक्षक उन्हें यकीन दिलाता है कि उन्हें खुदा ने एक अवसर दिया है। लेकिन ऊपर वाले ने उन्हें क्या करने के लिए चुना है?

पाकिस्तान में एक ऐसा सेनाध्यक्ष भी रहा है जिसे असैन्य सरकार ने एक साथ रक्षा और गृह मंत्री बनाया था। वह जनरल अयूब थे जो आगे चलकर चीफ मार्शल लॉ प्रशासक बन गए और उसी असैन्य सरकार को हटाकर राष्ट्रपति बन गए। कुछ ही महीनों ने उन्होंने खुद को फील्ड मार्शल घोषित कर दिया। हमने याह्या, जिया और मुशर्रफ का हश्र भी देखा है।

इनमें से अंतिम दो ने निर्वाचित सरकारों की भी स्थापना की। राजनीति विज्ञान में पाकिस्तान का यह विशिष्ट योगदान है। जब जनरल सीधे सत्ता में नहीं रहे तो उन्होंने बाहर से सत्ता संभाली। इस खास व्यवस्था को ‘हाइब्रिड’ सरकार कह सकते हैं। लेकिन मौजूदा व्यवस्था को क्या कहा जाए जहां एक फील्ड मार्शल सरकार को बंधुआ जैसा बनाए हुए हैं और इकलौता चुनौती देने वाला व्यक्ति जेल में है।

तीन दशक से भी पहले जब नवाज शरीफ को सेना ने सत्ता से हटाया था तब उन्होंने एक साक्षात्कार में मुझसे कहा था, ‘यह कैसी व्यवस्था है, आधा तीतर, आधा बटेर।’ अगली बार जब वह बहुमत में आए तो उन्होंने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि स्पष्टता आए। या तो सेना का शासन रहे या राजनेता शासन करें। पता नहीं अब जो हो रहा है उसकी वह कैसी व्याख्या करेंगे, जबकि वह खुद राजनीति से निर्वासित हैं। आप इसे कैसे देखेंगे? यानी एक सेना प्रमुख को फील्ड मार्शल बनाया जाना, सबसे प्रमुख नेता का दो साल से जेल में बंद होना और हास्यापद ढंग से चुनी गई असैन्य सरकार का होना।

क्या आपको कक्षा पांच की जीव विज्ञान की पुस्तक का वह पाठ याद है जिसमें एक ऑस्ट्रेलियाई जीव डकबिल्ड प्लैटिपस के बारे में बताया गया था जो एक स्तनपायी, चिड़िया और सरीसृप तीनों के गुण रखता है। यह पाठ विभिन्न प्रजातियों के उद्भव के बारे में बताता है। मुझे पता है आप हंस रहे होंगे लेकिन कृपया मत हंसिए। फील्ड मार्शल मुनीर इस समय इसी तरह का राज कर रहे हैं। पांचवां सितारा जीत के झूठे दावे की तरह बोझ बन गया है। भारत के लिए बेहतर होगा कि वह तैयार रहे। मुनीर के पास 5-7 साल का समय नहीं है। वह जल्दी ही आक्रामक हो सकते हैं। शायद अगले एक साल में ही वह ऐसा करें।

First Published - June 1, 2025 | 10:37 PM IST

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