महामारी का दौर खत्म होने के बाद से ही दुकानों में खरीदारों की अपार भीड़ देखी जा रही है। आप किसी भी सप्ताहांत मॉल में जाएंगे तो आपको अंदाजा होगा कि स्टोर में आपकी मदद के लिए कोई कर्मचारी खाली नहीं मिलेगा। आपको जिस साइज या रंग वाली चीजों की तलाश होगी उसे पाना मुश्किल होगा।
मुमकिन है कि आप यह भी सोच लें कि आपका वहां जाना ही व्यर्थ था और आप उन चीजों को आसानी से ऑनलाइन ढूंढ़ सकते थे और ये चीजें किफायती भी मिल सकती थीं। लेकिन जब आप किसी स्टोर में जाते हैं तब आप चीजों को खरीदने से पहले छू कर और उसे महसूस कर देखना चाहते हैं।
नतीजतन अब स्मार्ट रिटेलर इस अंतर को महसूस करते हुए इसे अपने कारोबार के लिए एक बेहतर मौके के तौर पर देख रहे हैं ताकि ग्राहकों के अनुभवों को बेहतर बनाते हुए स्टोर और ऑनलाइन बिक्री को जोड़कर संचालन की रणनीति (ब्लेंडेड कॉमर्स) की ताकत का फायदा उठाया जाए। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है लेकिन रिटेलर अब इस तरह के कारोबार के बारे में सोचना शुरू कर रहे हैं जिसमें ग्राहकों को बाधारहित खरीदारी का अनुभव मिले।
आप किसी एक ऐसे ग्राहक की कल्पना करें जो किसी स्टोर में दफ्तर के किसी खास मौके पर पहने जाने के लिए एक ड्रेस की तलाश में जाते हैं। अगर यह ड्रेस वहां उपलब्ध नहीं है तब क्या स्टोर का कोई सहायक कर्मचारी अपने सिस्टम से यह जांच करके पता कर पाएगा कि शहर के किसी स्टोर में वह ड्रेस स्टॉक में उपलब्ध है या नहीं?
अगर यह स्टॉक में है तब क्या वह उस ग्राहक के लिए उसे रिजर्व कर देंगे और ग्राहकों को यह विकल्प देंगे कि वे उसे उस स्टोर से ले लें या फिर उस ड्रेस की डिलिवरी समय पर उनके घर पर कर दी जाएगी?
अगर स्टोर के सीमित स्टॉक से इतर ज्यादा विकल्प उपलब्ध है तब क्या सहायक खरीदारों को ऑनलाइन खरीदारी के अनुभव के साथ वह सामान चुनने का विकल्प दे सकते हैं और उसे निश्चित समय-सीमा के भीतर नजदीकी वेयरहाउस से उसकी डिलिवरी करा सकते हैं?
ऐसे में ऑफलाइन स्टोर की एक नई भूमिका तैयार हो रही है। यह न केवल उपलब्ध सामान को दिखाने के साथ ही ग्राहकों को चीजें आजमाने का मौका भी देता है। इसके अलावा यहां सामान की बिक्री पर स्टोर कुछ अतिरिक्त लाभ की पेशकश भी करते हैं, अगर ग्राहक अपने किसी नजदीकी स्टोर या वेयरहाउस से डिलिवरी कराने के लिए तैयार हों।
ऑफलाइन स्टोर में ऑनलाइन जैसी सहूलियत दिए जाने वाला ब्लेंडेड कॉमर्स रिटेल क्षेत्र के लिए एक बड़े तोहफे के रूप में उभर रहा है। खासतौर पर तब जब भारत जैसे बड़े और विविधता वाले देश को कवर करना ही अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। टियर-1 शहरों और इससे इतर भी मौके मिलने शुरू हो गए हैं। बड़े रिटेलर भी अब स्टोर खोलने के लिए तैयार हैं लेकिन इसमें वक्त लगेगा।
ऐसे में अगर सावधानी से सोच-विचार करके ई-कॉमर्स और ऑफलाइन स्टोर का मिला-जुला रूप तैयार हो तब इस अंतर को पाटने में मदद मिल सकती है।
हालांकि इसके बारे में कहना आसान है करना मुश्किल होगा। एक बड़े कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेलर ने यह पाया कि स्टोर का विस्तार काफी धीमा और जटिल है। ऐसे में इसके लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और आपूर्ति श्रृंखला परिचालन का नियंत्रण लेकर ई-कॉमर्स का विस्तार बड़े पैमाने पर करना एक बेहतर समाधान हो सकता था।
ऐसा माना जाता है कि सेवा के स्तर में सुधार, तेज डिलिवरी और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। कंपनी ने अपना खुद का एक बड़ा गोदाम बनाया और उसे चलाने के लिए एक लॉजिस्टिक्स साझेदार को जोड़ा। गोदाम की आधी जगह ई-कॉमर्स का सामान रखने के लिए तय की गई थी।
लेकिन कुछ महीनों बाद उन्हें अहसास हुआ कि उनका ई-कॉमर्स का कारोबार सफल नहीं हो सका। ग्राहक दुकानों पर ही सामान खरीदने आते रहे और कंपनी को अतिरिक्त गोदाम के लिए किराये के साथ और अधिक शुल्क चुकाना पड़ा। अब, इस तरह के करार में बंधे होने के कारण इस जटिल व्यवस्था से बाहर निकलना आसान नहीं था।
ऐसे में समझदारी वाला तरीका यही होता कि शुरुआत में किसी तीसरे पक्ष के गोदामों का इस्तेमाल किया जाए जब तक कि ऑनलाइन बिक्री न बढ़े और अपना खुद का गोदाम बनाना आर्थिक रूप से फायदेमंद न हो जाए।
दूसरा विकल्प है, स्टोर आधारित आपूर्ति। भारत में, इस साल की शुरुआत में, आइकिया ने तेलंगाना, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के 62 जिले में लोगों के घरों तक डिलिवरी की पेशकश करने के लिए अपना कारोबार बढ़ाने की घोषणा की।
अलग से गोदाम स्थापित करने के बजाय, कंपनी हैदराबाद, बेंगलूरु और मुंबई में अपने बड़े स्टोरों का इस्तेमाल मांग पूरी करने और 7-10 दिन के भीतर डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए करेगी। आईकिया को उम्मीद है कि वह अगले साल दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में अपना पहला स्टोर खोलेगी, जिससे इसे उत्तर भारत के बाजारों में अपने ई-कॉमर्स कारोबार का विस्तार करने का मौका मिलेगा।
ऐसे बड़े स्टोर न सिर्फ गोदाम के तौर पर काम करते हैं, जिससे लागत कम होती है बल्कि इनके काम करने का तरीका भी आसान हो जाता है। यही नहीं, अमेरिका में वॉलमार्ट ने अपने बड़े सुपरस्टोर के नेटवर्क को ही फुलफिलमेंट सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया है। वहां लगभग 90 प्रतिशत ग्राहक वॉलमार्ट सुपरस्टोर से एक घंटे की दूरी वाले दायरे में रहते हैं और उनके पास बड़ी गाड़ियां भी होती हैं।
ग्राहक खासतौर पर किराने के सामान के लिए ऑनलाइन ऑर्डर देना पसंद करते हैं और काम से घर वापस आते समय नजदीकी स्टोर से खुद सामान ले जाते हैं। भारत में, स्थिति थोड़ी अलग है। यहां कारों की संख्या कम है और शहर का ट्रैफिक भी अप्रत्याशित होता है। इसलिए, आमतौर पर लोग सामान सीधे घर मंगवाना पसंद करते हैं।
ब्लेंडेड कॉमर्स को सफल बनाने के लिए, इन ऑफलाइन स्टोर और ई-कॉमर्स टीमों के बीच एक समान दृष्टिकोण, रणनीति और टीम के साथ मिलकर काम करना महत्त्वपूर्ण है।
दुकानों की मर्केंडाइजिंग टीम को आमतौर पर अपने आसपास के ग्राहकों की पसंद की बेहतर समझ होती है। ई-कॉमर्स टीमें इसका शुरुआती स्तर पर लाभ उठा सकती हैं। निश्चित रूप से खरीदारी प्रक्रिया को समझना (चाहे दुकान से हो या ऑनलाइन) ग्राहकों को एक बेहतर अनुभव देने के लिए आवश्यक है।
(लेखक फाउंडिंग फ्यूल के सह संस्थापक हैं)