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रोडीज : बिगडैल शहजादों का सफर

Last Updated- December 05, 2022 | 9:25 PM IST

एमटीवी के दीवानों के लिए ‘रोडिज’ कोई नया नाम नहीं है। इस रीयल्टी शो में साजिश, सस्पेंश, एक्शन, ड्रामा और वह सब कुछ है, जो सास-बहू सीरियल्स को भी मात दे दे।


अभी कुछ दिनों पहले की बात है, जब शो में उनकी जमकर तारीफ की जा रही होती। अचानक तभी इसके एक जज ताली प्रतियोगियों से गुस्से में कहता है, ‘आप आखिर ताली क्यों बजा रहे हैं? आप खुद को किस बूते पर रोडिज कहते हैं? आप कोई काम नहीं कर सकते। आपको बाइक तक ठीक से चलानी नहीं आती।


बार-बार आपका एक्सीडेंट होता है। आपकी वजह से पुराने रोडिज खुद को रोडिज कहलाने में शर्म महसूस करते हैं।’ इसके बाद तो वह हुआ, जिसके बारे में उन छह कंसस्टेंट्स ने सोचा तक नहीं होगा। इस शो से निकाले जा चुके पुराने प्रतियोगियों को वापस बुला लिया गया। बैंगकॉक तक पहुंचने से पहले इन लोगों को इसी मुसीबत से पार पाना था।


यही वह दो मिनट का टॉर्चर ड्रील है, जिसकी वजह से लोगों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती है। इसी तेज धड़कन को तो वे इन्जॉय करते हैं। अपने क्रूर जजों के लिए पॉपुलर यह शो सिर्फ इसी एक वजह के लिए ही फेमस नहीं है। इसके पीछे कुछ और भी बड़े कारण हैं। समय-समय पर एमटीवी का यह शो अपने दर्शकों को अपने कंसस्टेंट्स के बुरे बर्ताव को भौंचक्का कर देता है।


इसके ऑडिशन में आपको दिखाई जाता है, गुस्सा, विद्रोह, कटाक्ष और कुछ मामलों में तो हिंसा भी। वैसे, इसके लिए कोई स्क्रिप्ट तो नहीं बनाई जाती, लेकिन कम से कम चैनल वालों का मकसद यही सब दिखाने का होता है। हालांकि, ऐसी बात नहीं है कि ‘रोडिज’ शुरू से ही ऐसा है। एमटीवी का सबसे पहला ‘रोडिज’ शो आज के मुकाबले काफी शांत हुआ करता था। तब कंसस्टेंट्स के बीच अंदरुनी राजनीति और गालियों का ‘आदन-प्रदान’ भी काफी कम हुआ करता था।


सच तो यह भी है कि ‘रोडिज’ का बेसिक कॉन्सेप्ट पूरी तरह से इसके एग्जीक्यूटिव प्रोडयूसर और अपने बुरे बर्ताव के नामी जज रघु राम की दिमागी उपज नहीं है। वह खुद बताते हैं कि,’हीरो-होंडा ने 2003 में अपनी ‘करिज्मा’ बाइक लॉन्च की थी। उन्हें ट्रैवल और नौजवानों के इर्द-गिर्द बुने गए एक पब्लिसिटी कैंपेन की चाहत थी। एमटीवी ने इस आइडिया के साथ मुझसे कॉन्टैक्ट किया और इस तरीके से मैं इस पूरे सीन में शामिल हो गया।’


वैसे, आपको बता दें कि इससे पहले राम बीबीसी में काम किया करते थे और 2003 में वह एमटीवी से जुड़ गए। राम का इस प्रोजेक्ट के साथ जोड़ने का मकसद यही है कि इस प्रोजेक्ट को लंबे समय तक खींचा जा सके और हर नए शो के साथ कुछ नया जोड़ा जाए। साथ ही, यह किसी इंटरनैशनल प्रोजेक्ट की कॉपी नहीं है, इस वजह से इस शो को कॉपीराइट के मुद्दों से दो-चार नहीं होना पड़ा। 


‘रोडिज’ की असलियत काफी चोट पहुंचाने वाली होती है। कुछ मामले में तो इस चोट के निशान दिल के साथ-साथ गालों पर भी साफ दिखाई देते हैं। इस बात की मिसाल इस बार के ‘रोडिज 5.2’ के ऑडिशन में दिखाई दी, जब इसके एक प्रतियोगी को शो के एक जज और मशहूर वीजे निखिल चिनप्पा ने झन्नाटेदार तमाचा रसीद कर दिया था। वह प्रतियोगीस निहाल निकाम इस शो के साथ आज बैंगकॉक घूम रहा है। इस बारे में निखिल ने बताया कि, ‘कभी-कभी आपको किसी कंसस्टेंट में कोई उम्मीद दिखाई देती है।


मुझे वह उम्मीद निहाल में दिखाई दी थी। मुझे पता था कि वह इस शो में आ जाएगा। मैंने बहुत कोशिश की कि वह अपने खोल से बाहर आ जाए और कुछ अजीब करे। वह मेरी उम्मीद के काफी करीब तक पहुंच गया था, लेकिन अंत में उसने उस सीमा को पार नहीं किया। आखिरकार मैं बुरी तरह से गुस्से में आ गया। सब कुछ इतनी जल्दी में हो गया कि मुझे कुछ सोचने का मौका भी नहीं मिला। इस बात को मैं कभी नहीं दोहारुंगा।’


निहाल के प्रति राम के मन की शंका उस वक्त खत्म हो गई, जब उसका चुनाव विदेश जाने वाली टीम में हुआ। चिनप्पा का कहना है कि,’जब व्रिकांत के खिलाफ निहाल जीता था, तो रघु ने मुझे फोन करके बधाई दी थी। उसने कहा कि मेरे लड़के ने तो कमाल कर दिया।’वैसे, राम तो कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। उनका कहना है कि,’हम रोडिज में कुछ कर गुजरने का जज्बे रखने वाले लड़कों की तलाश करते हैं। ऐसे लोग, जो कभी हार न मानें और जिनमें खुद इस शो में खुद ही तरह पेश करने की ताकत हो।


इसलिए तो हमने इस शो के लिए कोई स्क्रिप्ट नहीं रखी है। मैं बुरा और आक्रामक हूं क्योंकि मैं ऐसा ही हूं। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं। हम किसी और तरीके से यह शो नहीं बना सकते थे और हम ऐसे ही हैं। मैं अपना काम करता रहूंगा।’ इसी सोच की वजह से तो रोडिज के ऑडिशन रूम के बारे में सोचते ही लोगों को पसीने आ जाते हैं। वहां आपसे हर तरह के सवाल पूछे जाएंगे। इनमें कुछ तो बेहद निजी होते हैं।


अगर जवाब नहीं दे पाते तो काफी बेइाती सहने के लिए भी तैयार रहिए। इसलिए तो कुछ लोगों ने इसे टॉर्चर रूम की संज्ञा तक दे दी है। इस बारे में रघु का कहना है कि, ‘रोडिज शो तो नई ऊंचाइयां छू रहा है, लेकिन इसके प्रतिभागी नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार नहीं हो पाते। यह पहली बार नहीं है कि हम गुस्से को दिखा रहे हैं। इस शो में गुस्सा और जिंदा रहने व कामयाबी का जज्बा हमेशा से रहा था। हम तो इसे हर बार अच्छी तरह से उभार देते हैं।’


वैसे, राम की इसी कोशिश की वजह से तो इस शो को नजरअंदाज तो नहीं कर सकता और न ही खुद राम को। उन्हें तो इस शो में शादी के प्रॉपोडल से लेकर जान से मारने की दमकी तक मिल चुकी है। कुछ लोग तो उन्हें अकेले में देख लेने की धमकी तक दे चुके हैं। उनका अपने ‘चाहने वालों ‘ के लिए एक ही संदेश है कि, ‘मैं यहां कोई पॉपुलिरिटी कॉन्टेस्ट जीतने के लिए थोड़ी ही आया हूं।


मेरा आस्तित्व दूसरों के भरोसे नहीं तय हो सकता।’अगर आपको लगता है कि जो काम राम कंसस्टेंट से करने के लिए कहते हैं, तो आपको उनके साथ टास्क क्रिएटिंग सेशन में बैठना चाहिए। रोमांच से बेहद मुहब्बत करने वाला यह शख्स कोई भी काम दूसरों को देने से पहले खुद वो काम करता था। वह बताते हैं, ‘जब हम रोडिज 4 के लिए टास्क तय कर रहे थे कि कंसस्टेंट्स को आग के बीच से गुजरना पड़ना है।


मैंने इसे खुद ट्राई करने का सोचा, लेकिन बीच में कुछ गड़बड़ हो गई और मैं पूरे दो मिनट ऊंची लपटों के बीच घिरा रहा था। इससे भी हमें फायदा ही मिला। इससे हमें अपनी सुरक्षा को चाक-चौकस करने में मदद मिली।’ जैसे-जैसे शो आगे बढ़ता जाता है, कंसस्टेंट्स के टास्क भी मुश्किल होते जाते हैं। इसका मकसद केवल काबिल लोगों को ही शो में रखने का है। चिनप्पा कहते हैं, ‘यह कोई ब्यूटी कॉन्टेस्ट तो है नहीं। यह एक रीयल्टी शो है, जिसका मकसद लोगों का मनोरंजन करने का है।


इसलिए तो मैं और रघु ऐसे 13 लोगों को चुनते हैं, जो अपने साथ एक अलग तरह की पर्सनैलिटी लेकर आते हैं।’ वैसे हैरत की बात यह है कि इन दोनों को भी यह पता नहीं है कि रोडिज का विजेता कैसे बनते हैं। चिनप्पा हंसते हुए कहते हैं,’अक्सर हमारे पास आकर लोग बाग कहते हैं कि हमें ले लो, हम में रोडी बनने की काबलियत है। हमारा यही सवाल होता है, हमें भी बता दो रोडी बनने के लिए किन काबलियतों की जरूरत होती है।’

First Published - April 15, 2008 | 12:57 AM IST

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